• हर व्यक्ति को कभी-कभी दस्त होना जरूरी भी है क्योंकि इससे पाचनक्रिया में जो गंदगी जमा होती है वह दस्त के रूप में शरीर के बाहर निकल जाती है इसलिए इसे दवाईयों से नहीं दबाना चाहिए नहीं तो यह जीर्ण रोग (असाध्य रोग) का रूप धारण कर सकता है। लेकिन जब यह किसी विषैले पदार्थ या किसी गंदगी के कारण से होता है तो यह एक बीमारी हो जाती है और उसका इलाज कराना जरूरी होता है।

➡ दस्त होने के लक्षण :

  • यह एक प्रकार का मल से सम्बन्धित रोग है जिसमें रोगी को बार-बार पतला मल आता है और इस पतले मल में बदबू भी आती है। इस रोग से पीड़ित रोगी कोपेट में दर्द होता है, कभी-कभीउल्टियां होने लगती है तथाजी मिचलाने(मितली) लगता है। इस रोग से पीड़ित रोगी को कभी-कभीसिर में दर्दतथा बुखार भी हो जाता है।

➡ दस्त रोग के होने का कारण :

  • दस्त रोग होने का सबसे प्रमुख कारण पाचन क्रिया का ठीक प्रकार से काम न करना है। 
  • अधिक भोजन, दूषित भोजन या गंदे पानी का सेवन करने से दस्त रोग हो सकता है।
  • पाचन प्रणाली में विषैले (जहरीले पदार्थ) पदार्थों के जमा हो जाने के कारण दस्त रोग हो सकता है। www.allayurvedic.org

➡ दस्त रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार :

  • दस्त रोग से पीड़ित रोगी को प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने के लिए सबसे पहले पानी तथा नींबू मिला हुआ पानी पीकर उपवास रखना चाहिए। इसके बाद जब रोगी के दस्त बंद हो जाए तो उसे रसाहार पतला मठ्ठा, गाजर, सेब तथा अनार का रस पीना चाहिए।
  • दस्त रोग से पीड़ित रोगी को नारियल का पानी और चावल का पानी पिलाना काफी फायदेमंद होता है।
  • दस्त रोग से पीड़ित रोगी को थोड़ी सी हल्दी पानी में मिलाकर या छाछ में मिलाकर पीने से बहुत लाभ मिलता है।
  • दस्त रोग से पीड़ित रोगी को नींबू का एनिमा या छाछ का एनिमा देना चाहिए और इसके बाद उसके पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी का लेप लगाना चाहिए। इस पट्टी को 2-2 घण्टे के बाद बदलते रहना चाहिए तथा फिर कुछ देर बाद उसे कटिस्नान कराना चाहिए। इस प्रकार से रोगी व्यक्ति का इलाज करने से दस्त रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
  • यदि दस्त रोग काफी पुराना हो गया हो तो जब तक रोग कम न हो जाए तब तक रोगी को मट्ठा पीते रहना चाहिए और उसके बाद थोड़ी सी किशमिश भी खाते रहना चाहिए। यदि भूख बढ़ जाए तो किशमिश कम खानी चाहिए। इसके बाद रोगी को दोपहर के समय में दलिया और सब्जी खानी चाहिए। www.allayurvedic.org
  • यदि रोगी व्यक्ति को दस्त के साथ उल्टी भी हो रही हो तो उसे तुरंत उपवास रखना चाहिए और कागजी नींबू के रस को पानी में मिलाकर पीना चाहिए। इसके बाद रोगी को अपने पेड़ू पर गीली मिट्टी की पट्टी रखनी चाहिए।
  • यदि रोगी का जी मिचला रहा हो तो उसे हल्का गर्म पानी पीकर उल्टी कर देनी चाहिए ताकि उसका पेट साफ हो जाए।
  • रोगी व्यक्ति को अपने इस रोग का उपचार करने के लिए प्रतिदिन बर्फ के ठंडे पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए ताकि पेट साफ हो सके। इसके साथ रोगी को नींबू का पानी पीकर उपवास रखना चाहिए।
  • रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक 2 घण्टे के अंतराल पर मिट्टी का लेप या तौलिया अपने पेट पर लपेटना चाहिए। इसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
  • नीबूं पानी का घोल (Lemon Juice) : एक गिलास पानी मे नीबूं का रस, एक चम्मच चीनी (Tea Spoon Of Sugar), चुटकी भर नमक (pinch of salt) मिला कर उसका घोल तैयार कर उस घोल को पिए । इस प्रक्रिया को हर एक से दो घंटे के अन्तराल में लेते रहें , ऐसा करने से शरीर में पानी के मात्रा बनी रहती हैं ।
  • दही और केला का सेवन (Cured and Banana) : दस्त से निजात (Cure) पाने के लिए आप दही (Cured) और केले (Banana) को मिला कर उसका सेवन करे। ऐसा करने से शरीर के पाचन क्रिया (Digestion) बनी रहती है। इसे दिन में 1 से 2 (1 to 2 times) बार खाये , ऐसा करने से शल्य क्रिया शंतुलित रहती है।
  • सरसों का बिज (Mustard Seed) : एक चम्मच (Teaspoon) सरसों(Mustard) के बिज (Seed) को एक गिलास पानी में एक घंटे(One Hour) भिगो कर रखे। उस गिलास से सरसों के बिज (Seed) निकाल कर उस पानी को पिये। इस प्रक्रिया को 2 to 3 times बार दोहराये।
  • छाछ और जीरा पाउडर (Butter Milk) : एक गिलास (Glass) छाछ में चुटकी भर जीरा पाउडर ,चुटकी भर काला नमक (Salt) मिला कर घोल तैयार कर ले। उस घोल को पिए । इश प्रक्रिया को दिन में 2 से 3 बार करे। ऐसा करने से पेट (Stomach) में ठंडक बनी रहती है।
  • बेल के पत्ते का सरबत (Aegle marmelos Leaf) : बेल के चार से पांच पत्ते (4 to 5 Leaf) को तोड़ कर उसे अच्छे से धो (Clean Wash) कर ,उसे पिस ले। फिर उसे एक गिलास पानी (One Glass Of Water) में मिला कर पिए। ऐसा करने से पेट (Stomach) की ठंडक बनी रहती है। www.allayurvedic.org
  • गन्ने का जूस ( juice of sugarcane) : दस्त होने पर गन्ने की juice पिए इससे आपके शरीर में पानी और glucose की मात्र बनी रहेगी। दिन में कम से कम 4 या 5 ग्लास गन्ने की juice पिए।

➡ जानकारी : 

  • इस प्रकार से दस्त रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार किया जाए तो यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।