पेट सफाई के नायाब उपाय 

  • नमस्कार दोस्तों एकबार फिर से आपका All Ayurvedic में स्वागत है आज हम आपको पेट साफ़ करने या कब्ज के बारे में बताएँगे, आजकल बिना कुछ खाए-पीए ही पेट में गैस बन जाती है। और पेट फूल के मोटा हो जाते हैं। जिसके कारण खट्टी खट्टी डकारें भी आने लगती है। और गले में जलन भी होने लगती है। अगर आप भी इस समस्या से परेशान है तो नीचे दिए गये  घरेलु उपाय से आपकी समस्या दूर हो सकती है ।
  • यदि शौच के दौरान आपका पेट अच्छी तरह से साफ़ नहीं होता तो समझ लीजिये आपको कब्ज की बीमारी हैं और तरल पदार्थो की कमी आपके शरीर में हो रही हैं। यदि कब्ज हो जाये तब कोई भी खुद को फ्रेश फील नहीं कर पाता हैं। एक बात ध्यान अवश्य रखिये यदि कब्ज होने पर उसको अनदेखा किया गया तब इसके परिणाम काफी घातक होते हैं यह किसी भी जटिल बीमारी का रूप ले लेता हैं।  कब्ज के होते ही पेट में अनेको व्याधिया आ जाती हैं उदाहरण के लिए कब्ज वाले रोगी को पेट दर्द की शिकायत रहती हैं, सुबह शौच करने में परेशानी आती हैं ,तथा मल का शरीर से पूरी तरह ना निकलना जैसी परेशानियो से सामना करना पड़ता है। वैसी तो कब्ज के लिए बहुत उपाय हैं पर कब्ज को जड़ से खत्म करने के लिए मात्र आर्युवैदिक उपाय ही कारगर साबित हुए हैं।
  • कब्ज यूं तो छोटी समस्या लगती है और इस कारण लोग इसे काफी नजरअंदाज भी करते हैं, लेकिन इसे छोटी समस्या समझना सेहत के साथ खिलवाड़ करना है। आप पेट से जुड़ी इस समस्या को ज्यादा समय तक नजरअंदाज करते हैं तो यह सेहत के लिए घातक साबित हो सकती है, कब्ज के कारण जो की पेट से सम्बंधित है इससे प्रभावित होने वाले लगभग 72 रोग को आपके लिए बिन बुलाए मेहमान बन सकते है, समय रहते जाग जाए और कब्ज को नीचे दिए गये उपायों से भगाए।
  • देश के लगभग 20 फीसदी लोग कब्ज से त्रस्त हैं। इनमें से 14 प्रतिशत वो लोग हैं, जो शहरों में रहते हैं। शहर का रहन-सहन, कुछ भी खा लेने की आदत और मजबूरी, घटते शारीरिक श्रम आदि ने कब्ज को इनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया है। आइये कब्ज को थोड़ा करीब से समझते और जानते हैं, क्योंकि जब पेट ठीक रहेगा, तभी जीवन की गाड़ी भी ठीक चलेगी। ये उपाय इतने कारगर है की इनसे आप बिना ज़ोर लगाए अपना पेट साफ़ कर सकते है।

कब्ज को जड़ से मिटाने वाले कुछ करामाती आर्युवैदिक उपाय

  1. पानी, दलिया और खिचड़ी : कब्ज का मुख्य कारण यह हैं की शरीर में पानी और दुसरे प्रकार के तरल पदार्थो की कमी हो गयी हैं। इन्ही तरल पदार्थो की कमी के चलते आंतो में मल सुख जता हैं तथा सुबह शौच क्रिया के दौरान बल प्रयोग करना पड़ता हैं। इसके चलते कब्ज रोगी को दिक्कत का सामना करना पड़ता हैं। दलिया, खिचड़ी जैसे और तरल पदार्थो को लेने की कब्ज रोगीयो को अक्सर सलाह दी जाती हैं, इसके अतरिक्त चिकित्सक कब्ज के मरीज को गर्म पानी के सेवन पर जोर देते हैं।
  2. गुड़ और गिलोय : गुड के साथ गिलोय का बारीक़ चूर्ण मिलाकर सोते समय 2 चम्मच लीजिये और ध्यान रखिये गुड तथा गिलोय का चूर्ण बराबर मात्र में मिक्स किया हो ,कब्ज एकदम ठीक होगा।
  3. त्रिफ़ला, सेंधा नमक और अजवाइन : 10 ग्राम सेंधा नमक, 10 ग्राम त्रिफला तथा 10 ग्राम अजवायन को मिलाकर कूट लीजिये और एक बारीक़ चूर्ण बना लीजिये। अब हर रोज हल्के गर्म पानी के साथ 3 से 5 ग्राम चूर्ण का सेवन कीजियेगा ,पुराणी से पुराणी कब्ज भी खत्म हो जाएगी।
  4. हर्रा : हर रोज रात में हर्रा को पीसकर बारीक चूर्ण बना लीजिए, इस चूर्ण को कुनकुने पानी के साथ पीजिए। कब्जा दूर होगा और पेट में गैस बनना बंद हो जाएगा।
  5. अमरूद : पका हुआ अमरूद और पपीता कब्जर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। अमरूद और पपीता को किसी भी समय खाया जा सकता है।
  6. किशमिश : किशमिश को पानी में कुछ देर तक डालकर गलाइए, इसके बाद किशमिश को पानी से निकालकर खा लीजिए। इससे कब्जि की शिकायत दूर होती है।
  7. पालक : पालक का रस पीने से कब्ज की शिकायत दूर होती है, खाने में भी पालक की सब्जीि का प्रयोग करना चाहिए।
  8. बेल का गूदा, सौंफ, ईसबगोल की भूसी और छोटी इलायची : पुरानी आंव या आंतों की सूजन में 100-100 ग्राम बेल का गूदा, सौंफ, ईसबगोल की भूसी और छोटी इलायची को एक साथ पीसकर पाउडर बना लेते हैं। अब इसमें 300 ग्राम देशी खांड या बूरा मिलाकर कांच की शीशी में भरकर रख देते हैं। इस चूर्ण की 2 चम्मच मात्रा सुबह नाश्ता करने के पहले ताजे पानी के साथ लेते हैं और 2 चम्मच शाम को खाना खाने के बाद गुनगुने पानी या गर्म दूध के साथ 7 दिनों तक सेवन करने से लाभ मिल जाता है। लगभग 45 दिन तक यह प्रयोग करने के बाद बंद कर देते हैं। इससे सुबह पेट साफ़, कब्ज, पुरानी आंव और आंतों की सूजन के रोग दूर हो जाते हैं।

ईसबगोल भूसी से कब्ज का सबसे आसान और कारगर उपाय 

  1. ईसबगोल भूसी के रूप में काम में आता है। यह कब्ज को दूर करती है। ईसबगोल के रेशे आंतों में पचते नहीं हैं तथा तरल पदार्थ सूखकर फूल जाते हैं और मल की निकासी शीघ्र करते हैं। तीन चम्मच ईसबगोल गर्म पानी या गर्म दूध से रात को सेवन करने से कब्ज में लाभ मिलता है।
  2. ईसबगोल को जल में घोलकर उसका लुबाव बनाकर उसमें बादाम का तेल मिलाकर पीने से बहुत लाभ मिलता है। इससे कोष्ठबद्धता (कब्ज) दूर होकर पेट का दर्द भी नष्ट हो जाता है।
  3. ईसबगोल 2 चम्मच, हरड़ 2 चम्मच, बेल का गूदा 3 चम्मच आदि को पीसकर चटनी बना लें। सुबह और शाम इसमें से एक-एक चम्मच गर्म दूध के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
  4. ईसबगोल की भूसी को दूध के साथ रात के सोने से पहले लेने से सुबह शौच खुलकर आती है।
  5. ईसबगोल की मात्रा 6 ग्राम, को 250 मिलीलीटर गुनगुने दूध के साथ सोने से पहले पी लें। कभी-कभी ईसबगोल की भूसी लेने से पेट फूल जाता है। ऐसा बड़ी आंतों में ईसबगोल पर बैक्टीरिया के प्रभाव से पैदा होने वाली गैस से होता है। इसलिए ध्यान रखें कि ईसबगोल की मात्रा कम से कम ही लें। ईसबगोल के प्रयोग से आंतों की कार्यशीलता बढ़ जाती है, जिससे मल ठीक से बाहर निकल आता है और कब्ज दूर हो जाती है। ईसबगोल लेने के बाद दो-तीन बार पानी पीना चाहिए। इससे ईसबगोल अच्छी तरह फूल जाता है।
  6. त्रिफला (हरड़, बहेड़ा तथा आंवला) का दो चम्मच चूर्ण प्रतिदिन रात में सोते समय गर्म दूध या गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज दूर हो जाती है।
  7. गर्मी के दिनों में सुबह-शाम 3-3 चम्मच ईसबगोल की भूसी को मिश्री के मिले हुए जल में कुछ दिनों तक भिगोकर सेवन करने से कब्ज दूर हो जाता है।