संग्रहणी रोग | Irritable Bowel Syndrome | IBS
- संग्रहणी रोग अथवा ग्रहणी (IBS) पेट का एक ऐसा रोग है, जो जनसख्या के एक बड़े तबके को परेशान करता है। जब दस्त रोग से पीड़ित रोगी गर्म चीज खा लेता है तो रोगी संग्रहणी रोग का शिकार हो जाता है। इस रोग में भोजन को पचाने वाली अग्नि मंद हो जाती है और पाचनक्रिया बहुत बिगड़ जाती है। पाचनक्रिया खराब होने से रोगी के द्वारा खाया हुआ भोजन पच नहीं पाता।
संग्रहणी रोग | IBS का प्रकार
- वातज संग्रहणी : जो व्यक्ति बादी वाली चीजे अधिक सेवन करता है उनकी वायु (गैस) कुपिट होकर पाचनक्रिया को बिगाड़ देती है।
- पित्त की संग्रहणी : जो व्यक्ति अधिक मिर्च -मसालेदार भोजन करता है, गर्म चीजों का सेवन करता है, तीखी व खट्टी चीजों का सेवन करते हैं उसे नीले, पीले, पतले, कच्चे दस्त होते हैं।
- कफ की संग्रहणी : चिकनी, तली हुई, भारी और ठण्डी चीजों का अधिक सेवन करने और सेवन करने के तुरंत बाद सो जाने के कारण खाया हुआ पदार्थ पूरी तरह से पच नहीं पाता। ऐसे में रोगी को दस्त के साथ आंव आने लगता है। इसके अतिरिक्त एक अन्य संग्रहणी भी होता है जिसे सन्निपातक संग्रहणी कहते हैं। इस संग्रहणी में ऊपर के तीनों लक्षण पाए जाते हैं।
संग्रहणी रोग | IBS के कारण
- जब दस्त के रोग से पीड़ित रोगी खान-पान में सावधानी नहीं रखता तब जठराग्नि मंद होकर पाचनक्रिया खराब हो जाता है जिससे वसा (चर्बी) को पचाने की शक्ति समाप्त हो जाती है।
- इस तरह जब खाया हुआ पदार्थ ठीक से पच नहीं पाता है तो संग्रहणी रोग की उत्पत्ति होती है।
संग्रहणी रोग | IBS के लक्षण
- कफ संग्रहणी में भोजन पूरी तरह से नहीं पच पाता।
- गला सूख जाता है, भूख और प्यास अधिक लगती है।
- कान, पसली, जांघ, पेडू आदि में दर्द रहता है।
- रोगी के मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है, मिठाई खाने की अधिक इच्छा होती है तथा बार-बार दस्त लगता रहता है।
- पित्त की संग्रहणी में नीले, पीले और पानी की तरह पतले दस्त आते हैं रोगी को खट्टी डकारें आती है, छाती व गले में जलन होती है, खाना खाने का मन नहीं करता और प्यास अधिक लगती है।
- कफज संग्रहणी से पीड़ित रोगी को उल्टी आती है, बार-बार उबकाई आती है तथा खांसी के दौरे पड़ते रहते हैं।
- सन्निपातज संग्रहणी में सभी लक्षण दिखाई देते हैं। मल झागदार और शरीर कमजोर हो जाता है।
- जीभ , तालु, होंठ और गाल लाल हो जाता है। इस रोग में आहार के अनुपात में मल अधिक आता है।
- भोजन करने के तुरंत बाद ही तेज दस्त लग जाता है, खून की कमी हो जाती है, पेट में गड़गड़ाहट होती है, मुंह में छाले हो जाते हैं और कमर दर्द भी होता है।
संग्रहणी रोग | IBS में क्या खाएं
- अरहर , मूंग , तथा मसूर की दाल का पानी।
- गाय का दूध, मक्खन , दही , घी , लस्सी, बकरी का दूध, तिल का तेल,
- केला , सिंघाड़ा , अनार , शहद , लस्सी, रोगी के लिए बेहद लाभकारी होता है।
संग्रहणी रोग | IBS में क्या परहेज करें
- गेहूं , लोबिया, उड़द , जौ , मटर ,धूम्रपान , पसीना निकालना, रात्रि का जागरण, परिश्रम करना, मल-मूत्र का वेग रोकना , अधिक संभोग करना आदि।
यह भी पढ़े : सिर्फ 30 दिनों में वजन बढ़ाने की आयुर्वेदिक औषधि
संग्रहणी रोग | IBS के घरेलू उपाय
- हींग, अजवायन और सोंठ : हींग, अजवायन और सोंठ बराबर मात्रा में लेकर पीस ले। इसमें से एक-एक चम्मच चूर्ण सुबह-शाम गरम पानी के साथ भोजन के बाद लें।
- छाछ और हींग : छाछ में चुटकी भर हींग व जीरा मिलाकर सेवन करें। संग्रहणी की गैस में लाभ मिलेगा।
- कालीमिर्च और काला नमक : कालीमिर्च और काला नमक – दोनों 3-3 ग्राम मट्ठे के साथ ले।
- पिप्पली, नीबू और सेंधा नमक : 4 ग्राम पिप्पली का सेवन नीबू के रस तथा सेंधा नमक के साथ करें। भूख जगाने का उत्तम उपाय है।
- हरड़ और काला नमक : हरड़ का चूर्ण और थोड़ा-सा काला नमक पानी में अच्छी तरह घोलें। फिर इसे सुबह-शाम पिएं। इस योग से कब्जकारी संग्रहणी में लाभ मिलता है।
- मौलसिरी : 2 ग्राम मौलसिरी के पत्तों का चूर्ण दिन में दो बार सेवन करे। यह अतिसार की संग्रहणी में लाभकारी रहता है।
- अदरक, तुलसी, कालीमिर्च और लौंग : अदरक, तुलसी, कालीमिर्च तथा लौंग का काढ़ा पीने से वातज संग्रहणी के उपद्रव जैसे पेट की गैस, तनाव में लाभ मिलता है।
- सोंठ और मिश्री : आधा चम्मच सोंठ के चूर्ण में जरा-सी मिश्री मिलाकर सेवन करे। यह संग्रहणी में भूख को जगाने का कार्य करता है।
- बेलगिरी, सेंधा नमक और मट्ठा : बेलगिरी और सेंधा नमक मिलाकर चूर्ण बना लें। इस सुबह-शाम मट्ठे के साथ प्रयोग करें।
- जीरा, हींग और अजवायन : जीरा, हींग और अजवायन का चूर्ण सब्जियों में डालकर खाने से संग्रहणी रोग के अपचन में आराम मिल जाता है।
- सोंठ, गुरुच, नागरमोथा और अतीस : सोंठ, गुरुच, नागरमोथा और अतीस-सबको समान मात्रा में लेकर मोटा-मोटा पीस लें। इसमें से दो चम्मच का जौकुट काढ़ा बनाकर 15 दिनों तक सेवन करने से संग्रहणी के रोगियों को काफी आराम मिलता है।
- सोंठ, पीपल, नमक, अजमोद और गंघक : शोधित गंधक 2 ग्राम, सोंठ 10 ग्राम, पीपल 5 ग्राम, पांचों नमक 5 ग्राम तथा भुना हुआ अजमोद 5 ग्राम। इन सबको बारीक पीसकर एक शीशी में भर लें। इसमें से दो चुटकी दवा पानी के साथ सेवन करें।
- हरड़, पीपल, सोंठ, मट्ठा और काला नमक : हरड़ की छाल, पीपल, सोंठ और काला नमक-सबको 10-10 ग्राम की मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण मट्ठे के साथ सेवन करें। 15 दिनों तक चूर्ण खाने से वातज संग्रहणी में लाभ मिलने लग जाता है।
- अनारदाना, सोंठ, कालीमिर्च और मिश्री : 10 ग्राम अनारदाना, 2 ग्राम सोंठ, 2 ग्राम कालीमिर्च और 10 ग्राम मिश्री को कूटकर चूर्ण बना लें।