भारत में पान केवल खाने के लिए ही नहीं बल्कि पूजा, यज्ञ, हवन, सांस्कृतिक कार्यों, मेहमानों का स्वागत आदि कार्यो में इस्तेमाल किया जाता है। पान बिहार, पश्चिम बंगाल, बनारस, सांची आदि जगहों में पैदा की जाती है। विभिन्न स्थानों में पैदा होने के कारण पान मद्रासी, बंगला, कपूरी, महोबा, बनारसी, मालवी, विओला, महाराजपुर, देशी आदि नामों से जाने जाते हैं। इन सभी में बनारस का पान सबसे अधिक अच्छा होता है।
दमा का अद्भुत उपाय:
- लगभग 5 से 10 मिलीलीटर पान के रस को शहद के साथ या अदरक के रस के साथ प्रतिदिन 3-4 बार रोगी को देने से दमा या श्वास का रोग ठीक हो जाता है।
- गजपीपली का चूर्ण पान में रखकर सेवन करने से श्वास रोग मिट जाता है।
- बंगाली पान को कूट-पीसकर कपड़े में निचोड़कर 500 मिलीलीटर की मात्रा में रस निकाल लें। इसी तरह अदरक और अनार का रस 500-500 मिलीलीटर की मात्रा में लें। इसके साथ ही कालीमिर्च 60 ग्राम और छोटी पीपल 80 ग्राम लेकर सभी को एक साथ कूट-पीसकर 1 किलो मिश्री मिलाकर धीमी आंच पर रखकर चासनी बना लें। प्रतिदिन इस चासनी को 10-10 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से खांसी, श्वास और बुखार आदि रोग दूर हो जाते हैं तथा भूख बढ़ने लगती है।
- जावित्री को पान में रखकर खाने से दमा के रोग में लाभ होता है।
- पान में चूना और कत्था बराबर मात्रा में लगाकर 1 इलायची और 2 कालीमिर्च को डालकर धीरे-धीरे चबाकर चूसते रहने से दमा के रोग में आराम मिलता है।
ध्यान रखे:
गर्म स्वभाव वालों व्यक्तियों को सुबह खाली पेट बंगला पान नहीं खाना चाहिए। पान का अधिक सेवन करने से आंखों, दांतों के रोग, पुरुषार्थ शक्ति की कमी और भूख न लगना जैसे रोग पैदा होते हैं। फेफड़ों में शुष्कता (सूखापन) और आंतों में विषोत्पति पान में कत्थे की अधिकता के कारण होती है। पान में चूने की अधिकता से दांतों को हानि होती है तथा पान में सुपारी की अधिकता से अरिकेन विष उत्पन्न होता है। तम्बाकू मिलाकर सेवन किया गया पान कैंसर जैसे रोगों को पैदा करता है। इसके सेवन से स्त्रियों की प्रजनन-शक्ति कमजोर होकर उनका गर्भपात भी हो सकता है। पान भूखे पेट सेवन करना हानिकारक होता है। कमजोर, जहर खाये व्यक्ति या जिसको बेहोशी हो और वह रोगी जिसके मुंह, नाक, कान या कहीं से भी खून बहता हो उसे पान खाना छोड़ देना चाहिए।