जिगर की खराबी अधिकतर उन लोगों में होती है, जो शराब अधिक पीते हैं। कभी-कभी जिगर में उत्पन्न घाव का उपचार ठीक से न होने पर जिगर में कई प्रकार के विकार पैदा हो जाते हैं जिससे जिगर ठीक से काम नहीं करता है। इस रोग में पहले जिगर बढ़ता है और फिर छोटा हो जाता है। जिगर का परीक्षण करने से पता चला है कि इस रोग में जिगर बढ़ जाता है और जिगर के बगल में दर्द होता है। यह रोग ज्यादा बढ़ जाने पर पेट में सूजन आ जाती है, अधिक बढ़ने पर पैरों में भी सूजन आ जाती है। कभी-कभी इससे पीलिया भी हो जाता है। इस रोग में बदहजमी हो जाती है और रोगी दिन-प्रतिदिन कमजोर होता जाता है।
लक्षण :
इस रोग में जीभ मैली हो जाती है और मुख का स्वाद खराब हो जाता है। इस रोग में आलस, सिर दर्द, काला दस्त, दस्त में आंव आना, कब्ज बनना, जी मिचलाना, दाईं कोख में पसली के नीचे बोझ और भरीपन का महसूस होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं।
विभिन्न औषधियों से उपचार :
- पीपल : पीपल का 5 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम लेने से जिगर की बिमारी से राहत मिलती है।
- अर्कक्षार : आधा ग्राम अर्कक्षार शहद या गर्म पानी से खाना-खाने के बाद सेवन करने से जिगर की परेशानी दूर होती हैं।
- अभयालवन : 1-1 ग्राम अभयलावन और अर्कलवन को गर्म पानी से खाना-खाने के बाद लेने से जिगर की खराबी दूर होती है।
- अदरक : अदरक के 1 ग्राम बारीक चूर्ण को पानी के साथ सुबह-शाम लेने से जिगर की बिमारी में आराम मिलता है।
- ककड़ी : 5-5 ग्राम ककड़ी, खीरे के बीज, कासनी के बीज पानी के साथ पीसकर इसमें खांड मिलाकर सुबह-शाम पीने से जिगर की खराबी में राहत मिलती है।
- इमली : 20 ग्राम इमली के बीज को 250 मिलीलीटर पानी के साथ रात को भिगो दें और सुबह इसे पानी में मसलकर चीनी मिलाकर पीने से जिगर को आराम मिलता है।
- छाछ : 1-1 गिलास छाछ दिन में 2-3 बार पीने से जिगर का रोग ठीक होता है।
- कसौंदीबूंटी :10 ग्राम कसौदी बूंटी के पत्ते, 7 कालीमिर्च पानी के साथ पीसकर छानकर सुबह-शाम पीने से जिगर की कमजोरी ठीक हो जाती है।
- अजवायन : 12 ग्राम देशी अजवायन को 125 ग्राम पानी के साथ मिट्टी के बर्तन में रात को भिगो दें। सुबह इसी पानी को निथार कर पीने से 7 दिनों तक जिगर में खून की कमी दूर हो जाती है।
- सोंठ : 20-20 ग्राम सोंठ, बालछड़ और दालचीनी को अच्छी तरह छानकर इसमें 60 ग्राम खांड मिलाकर 5-5 ग्राम की मात्रा दिन में सुबह-शाम लेने से जिगर की खून की कमी दूर होती है।