- वेरीकोज़ नसों का दर्द एक ऐसा दर्द है जो पैरों की त्वचा के नीचे की तरफ होता है। इसे हलके में नहीं लिया जाना चाहिए। यह इस बात का संकेत है कि आप किसी गंभीर बीमारी के शिकार हैं। नस के रोग, पैरों में काफी दर्द रक्त संचार के ठीक से ना होने का भी संकेत होता है।
➡ शुरुआती चरण से सावधानी बरतें :
- आये जानें कि वेरिकोज़ नसों के होने का कारण क्या होता है। हम जानते हैं कि धमनियों में रक्त का प्रवाह होता है जिसमें ऑक्सीजन मौजूद होता है और धमनियां ऑक्सीजन रहित खून को दिल और फेफड़ों तक पहुंचाती हैं। नसों के अन्दर के वाल्व्स निरंतर खून का संचार करने का काम करते रहते हैं। पर अगर नसें कमज़ोर हैं तो ये फट जाती हैं और इनसे खून रिसने लगता है। इससे आपको सूजे हुए नस, पैरों में दर्द का अहसास होता है। महिलाओं में यह समस्या पुरुषों के मुकाबले ज़्यादा होती है, क्योंकि महिलाओं में गर्भावस्था की स्थिति आने के कारण कुछ हॉर्मोन् का उत्पादन ज्यादा होता है। ये वाल्व्स मोटापे या ज़्यादा देर तक खड़े रहने की वजह से भी प्रभावित हो सकते हैं। अगर आपको भी यह समस्या है तो हॉर्स चेस्टनट के बीज का अंश लें जो कि इस दर्द के लिए काफी प्रभावी होते हैं। पैरों में नसों को दिखने से बचाने के लिए मेकअप का सहारा लें। वेरिकोज़ नसों की समस्या को ठीक करने के प्राकृतिक उपाय ढूँढें.!!! www.allayurvedic.org
- जब हमारे वाल्व्स कमज़ोर हों तो रक्त बहने से निरंतर पैरों की दीवारों पर दबाव पड़ता है। इससे ये चौड़े हो जाते हैं और सूजन पैदा हो जाती है। इस समस्या का वैज्ञानिक नाम वेनस इनसफीशियेंसी होता है। यह समस्या महिलाओं में काफी सामान्य रूप से पायी जाती है। इस समस्या का एक और मुख्य कारण आनुवांशिक रूप से कमज़ोर वाल्व्स हैं। पैरों के छाले और संक्रमण से खुद को बचाने के लिए इसका समय समय से उपचार किया जाना आवश्यक है। इस समस्या से ग्रसित मरीजों को कोई भी मेहनत का काम नहीं करना चाहिए। हल्की चहलकदमी करें क्योंकि इससे रक्त की धमनियां मज़बूत होंगी। लम्बे समय तक गर्म पानी में सॉना ना लें, गर्म वैक्स का प्रयोग ना करें और धूप में लम्बे समय तक ना रहें। सूजे हुए नस का इलाज, पैरों के नीचे एक तकिया लेकर लेटें। इससे पैरों से लेकर दिल तक रक्त का अच्छे से संचार होता है।
➡ वेरिकोज़ नसों से दूर रहने का उपाय :
- अगर आप इस समस्या से गुज़र रहे हैं तो इलास्टिक स्टॉकिंग या पट्टियों का प्रयोग ना करें। इनसे आगे जाकर आपके पैरों की अवस्था और भी खराब हो जाएगी। अगर आपको लम्बे समय से कब्ज़ की समस्या है तो इसे दूर करने के उपाय करें, क्योंकि इससे धमनियों और पैरों पर दबाव पड़ता है। अगर आप कहीं लम्बे समय के लिए घूमने निकल रहे हैं तो अपने साथ ब्लड थिनर्स ले लें जिससे पैरों में खून का थक्का जमने की समस्या उत्पन्न ना हो। हमेशा पोषक पूरक आहार लें, जो इस बीमारी के मरीजों के लिए काफी ज़रूरी है। रक्त के संचार को सुचारू रूप से चलाने और दीवारों को मज़बूत रखने के लिए विटामिन बी, विटामिन सी और इ तथा जिंक का सेवन भी करें। आप आयुर्वेदिक नुस्खों की मदद से भी इस समस्या से निपट सकते हैं।
➡ लक्षणों से सावधान रहें :
- अगर आपको शारीरिक समस्याओं का अच्छे से उपचार करना है तो इस बीमारी की निशानियों से बचकर रहें और तुरंत इनका हल निकालें।
➡ वेरिकोज़ नसें दर्दनाक होती हैं :
- वेरिकोज़ नसें शरीर में हॉर्मोन के परिवर्तन की वजह से जन्म ले सकती हैं। बर्फ सूजी नसों पर जादुई काम करता है। यह रक्त की धमनियों को सिकोड़ने का काम करता है। अतः दिन में जितनी बार हो सके बर्फ का प्रयोग करें। आप कम्प्रेशन स्टॉकिंग की मदद से भी इस समस्या का समाधान कर सकते हैं। इन स्टॉकिंग से त्वचा कस जाती है। धमनियों को बाहर से सहारा देने पर दिल की तरफ रक्त का संचार करना काफी आसान हो जाता है। अतः इस दर्द को कम करने के लिए कुछ उपाय किये जाने ज़रूरी हैं। सबसे ज़रूरी है स्वास्थ्यकर जीवन जीना। उम्र बढ़ने की वजह से भी यह समस्या हो सकती है। धमनियों की कमज़ोरी से आपका चलना फिरना दूभर हो सकता है। अतः अपने स्वास्थ्य की बराबर जांच करते रहें और इन लक्षणों के शुरूआती चरण को नज़रअंदाज़ ना करें।
- अगर इन सब बचाव उपायों के बाद भी आप इस समस्या से बच ना पाए तो घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करें। www.allayurvedic.org
➡ वैरिकाज वेंस के घरेलु उपाय :
1. सेब का सिरका :
- यह वेरीकोज नसों का बेहतरीन इलाज है। यह शरीर को प्राकृतिक रूप से साफ़ करता है और रक्त के प्रवाह और संचार में सहायता करता है। जब आपका रक्त स्वाभाविक रूप से बहता है तो धमनियों का भारीपन और सूजन काफी हद तक कम हो जाता है।
- शुद्ध सेब के सिरके को अपनी नसों के ऊपर की त्वचा पर लगाएं और अच्छे से मालिश करें। इसका प्रयोग रोज़ सोने से पहले और उठने के बाद करें। इस विधि का प्रयोग कुछ महीनों तक करें और अपनी धमनियों का आकार कम करें।
- आप 2 चम्मच सेब के सिरके का मिश्रण एक गिलास पानी में करके इसका सेवन भी कर सकते हैं। अच्छे परिणामों के लिए दिन में 2 बार इसका सेवन करें और त्वचा में निखार प्राप्त करें।
2. कायेन पेपर :
- यह धमनियों के लिए काफी जादुई उपचार साबित हो सकता है। यह विटामिन सी और बायोफ्लैवोनॉइड्स से भरपूर होते हैं, जो रक्त के संचार में वृद्धि करते हैं और धमनियों में सूजन को ठीक करते हैं।
- 1 चम्मच मिर्च पाउडर को 1 कप गर्म पानी में मिश्रित करें।
- इसे अच्छे से हिलाएं।
- 1 महीने तक इसका सेवन दिन में 3 बार करें।
3. जैतून का तेल :
- नसों का उपचार करने के लिए आपका रक्त संचार अच्छा होना चाहिए। अगर आप रोज़ाना तेल को अपने नसों पर लगाएंगे तो इससे धीरे धीरे दर्द और सूजन कम होगा।
- बराबर मात्रा में जैतून का तेल और विटामिन इ का तेल मिश्रित करें और इसे हल्का गर्म कर लें। इससे कुछ मिनटों तक अपने नसों पर मालिश करें। यह पद्दति 2 महीने तक हर दिन 2 बार दोहराएं। www.allayurvedic.org
- आप इसमें साइप्रेस के तेल की 4 बूँदें और 2 चम्मच गर्म जैतून का तेल मिश्रित कर सकते हैं। इसे अच्छे से मिलाएं और अपने शरीर को आराम दें।
4. लहसुन :
- लहसुन सूजन रोकने की सबसे बेहतरीन दवाइयों में से एक के रूप में जाना जाता है। यह वेरिकोज नसों की समस्या को भी हल करता है। .इसके अलावा यह रक्त की धमनियों में मौजूद विषैले पदार्थ निकालता है और रक्त के संचार में वृद्धि करता है।
- लहसुन के 6 फाहे काटें और इन्हें एक साफ़ कांच के पात्र में डाल दें।
- अब 3 ताज़े टुकड़ों से संतरे का अंश लें और इसे भी इस पात्र में डालें।
- इसमें 2 चम्मच जैतून का तेल मिश्रित करें।
- अब इस मिश्रण को 12 घंटों के लिए छोड़ दें।
- अब इस पात्र को हिलाएं और इस मिश्रण की कुछ बूँदें अपनी उँगलियों पर डालें।
- अपनी प्रभावित नसों पर इस मिश्रण से गोलाकार मुद्रा में करीब 15 मिनट तक मालिश करें।
- अब इस प्रभावित भाग को रुई से ढक लें और रातभर के लिए छोड़ दें।
- जब तक आप ठीक नहीं हो जाते, तब तक इस विधि का प्रयोग रोज़ाना करें।
- अपने भोजन में ताज़े लहसुन को सारे जीवन के लिए शामिल करें।
5. अजवायन :
- यह उत्पाद विटामिन सी से भरपूर होता है और कोलेजन का उत्पादन भी सुनिश्चित करता है। यह कोशिकाओं की मरम्मत और उनके पुनर्विकास में भी आपकी मदद करता है। यह केपिलरीज़ को मज़बूत बनाता है औए वेरीकोज नसों के लक्षणों को दूर करता है। www.allayurvedic.org
- मुट्ठीभर कटी अजवाइन को 1 कप पानी में उबालें।
- इसे आंच पर 5 मिनट रहने दें।
- अब आंच से हटाकर इसे ढक दें।
- जब यह हल्का सा गर्म रह जाए तो इसे छान लें।
- इसमें 1 बूँद गुलाब और गेंदे के तेल की बूँदें मिश्रित करें।
- इसे फ्रिज में ठंडा होने के लिए रख दें।
- इसे निकालकर इसमें रुई का कपड़ा डुबोएं।
- इसे प्रभावित भाग पर लगाएं और तब तक दोहराएं जब तक आपकी समस्या का समाधान ना हो जाए।
- कच्चा अजवाइन खाने से भी आपको काफी लाभ होगा।