★ प्राण मुद्रा आपके प्राणों की हमेशा रक्षा करेगी अर्थात फेफड़ो और आँखों के लिए वरदान है ★
• मुद्राओं का जीवन में बहुत महत्व है। मुद्रा दो तरह की होती है पहली जिसे आसन के रूप में किया जाता है और दूसरी हस्त मुद्राएँ होती है। मुद्राओं से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ प्राप्त किया जा सकता है। यहाँ प्रस्तुत है प्राण मुद्रा की विधि और लाभ।
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➡ प्राण मुद्रा :
छोटी अँगुली (चींटी या कनिष्ठा) और अनामिका (सूर्य अँगुली) दोनों को अँगूठे से स्पर्श करो। इस स्थिति में बाकी छूट गई अँगुलियों को सीधा रखने से अंग्रेजी का ‘वी’ बनता है।
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➡ प्राण मुद्रा के लाभ :
प्राण मुद्रा हमारी प्राण शक्ति को शक्ति और स्फूर्ति प्रदान करती है। इसके कारण व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है। यह मुद्रा नेत्र और फेंफड़े के रोग में लाभदायक सिद्ध होती है। प्राण मुद्रा हमेशा प्राणों की रक्षा करेगी अर्थात प्राण वायु की आवश्यकता श्वसन तंत्र हो होती है और श्वसन तंत्र का मुख्य अंग फेफड़े होते है, यह मुद्रा फेफड़ो की रोगों से रक्षा करती है। इससे विटामिनों की कमी दूर होती है। इस मुद्रा को प्रतिदिन नियमित रूप से करने से कई तरह के लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।
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