• भोजन को स्वादिष्ट व पाचन युक्त बनाने के लिए अदरक का उपयोग आमतौर पर हर घर में किया जाता है। वैसे तो यह सभी प्रदेशों में पैदा होती है, लेकिन अधिकांश उत्पादन केरल राज्य में किया जाता है। भूमि के अंदर उगने वाला कन्द आर्द्र अवस्था में अदरक, व सूखी अवस्था में सोंठ कहलाता है। गीली मिट्टी में दबाकर रखने से यह काफी समय तक ताजा बना रहता है। इसका कन्द हल्का पीलापन लिए, बहुखंडी और सुगंधित होता है।

गुण :

  • अदरक में अनेक औषधीय गुण होने के कारण आयुर्वेद में इसे महा औषधि माना गया है। यह गर्म, तीक्ष्ण, भारी, पाक में मधुर, भूख बढ़ाने वाला, पाचक, चरपरा, रुचिकारक, त्रिदोष मुक्त यानी वात, पित्त और कफ नाशक होता है।

विभिन्न 51 रोगों में अदरक से उपचार :

1 हिचकी :- *सभी प्रकार की हिचकियों में अदरक की साफ की हुई छोटी डली चूसनी चाहिए।
*अदरक के बारीक टुकड़े को चूसने से हिचकी जल्द बंद हो जाती है। घी या पानी में सेंधानमक पीसकर मिलाकर सूंघने से हिचकी बंद हो जाती है।
*एक चम्मच अदरक का रस लेकर गाय के 250 मिलीलीटर ताजे दूध में मिलाकर पीने से हिचकी में फायदा होता है।
*एक कप दूध को उबालकर उसमें आधा चम्मच सोंठ का चूर्ण डाल दें और ठंडा करके पिलाएं।
*ताजे अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े करके चूसने से पुरानी एवं नई तथा लगातार उठने वाली हिचकियां बंद हो जाती हैं। समस्त प्रकार की असाध्य हिचकियां दूर करने का यह एक प्राकृतिक उपाय है।”
2 पेट दर्द :- *अदरक और लहसुन को बराबर की मात्रा में पीसकर एक चम्मच की मात्रा में पानी से सेवन कराएं।
*पिसी हुई सोंठ एक ग्राम और जरा-सी हींग और सेंधानमक की फंकी गर्म पानी से लेने से पेट दर्द ठीक हो जाता है। एक चम्मच पिसी हुई सोंठ और सेंधानमक एक गिलास पानी में गर्म करके पीने से पेट दर्द, कब्ज, अपच ठीक हो जाते हैं।
*अदरक और पुदीना का रस आधा-आधा तोला लेकर उसमें एक ग्राम सेंधानमक डालकर पीने से पेट दर्द में तुरन्त लाभ होता है।
*अदरक का रस और तुलसी के पत्ते का रस 2-2 चम्मच थोड़े से गर्म पानी के साथ पिलाने से पेट का दर्द शांत हो जाता है।
*एक कप गर्म पानी में थोड़ा अजवायन डालकर 2 चम्मच अदरक का रस डालकर पीने से लाभ होता है।
*अदरक के रस में नींबू का रस मिलाकर उस पर कालीमिर्च का पिसा हुआ चूर्ण डालकर चाटने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।
*अदरक का रस 5 मिलीलीटर, नींबू का रस 5 मिलीलीटर, कालीमिर्च का चूर्ण 1 ग्राम को मिलाकर पीने से पेट का दर्द समाप्त होता है।”
3 मुंह की दुर्गध :- एक चम्मच अदरक का रस एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर कुल्ला करने से मुख की दुर्गन्ध दूर हो जाती है।
4 दांत का दर्द:- *महीन पिसा हुआ सेंधानमक अदरक के रस में मिलाकर दर्द वाले दांत पर लगाएं।
*दांतों में अचानक दर्द होने पर अदरक के छोट-छोटे टुकड़े को छीलकर दर्द वाले दांत के नीचे दबाकर रखें।
*सर्दी की वजह से दांत के दर्द में अदरक के टुकड़ों को दांतों के बीच दबाने से लाभ होता है। “
5 भूख की कमी:- अदरक के छोटे-छोटे टुकड़ों को नींबू के रस में भिगोकर इसमें सेंधानमक मिला लें, इसे भोजन करने से पहले नियमित रूप से खिलाएं।
6 सर्दी-जुकाम:- पानी में गुड़, अदरक, नींबू का रस, अजवाइन, हल्दी को बराबर की मात्रा में डालकर उबालें और फिर इसे छानकर पिलाएं।
7 गला खराब होना:- अदरक, लौंग, हींग और नमक को मिलाकर पीस लें और इसकी छोटी-छोटी गोलियां तैयार करें। दिन में 3-4 बार एक-एक गोली चूसें।
8 पक्षाघात (लकवा):- *घी में उड़द की दाल भूनकर, इसकी आधी मात्रा में गुड़ और सोंठ मिलाकर पीस लें। इसे दो चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार खिलाएं।
*उड़द की दाल पीसकर घी में सेकें फिर उसमें गुड़ और सौंठ पीसकर मिलाकर लड्डू बनाकर रख लें। एक लड्डू प्रतिदिन खाएं या सोंठ और उड़द उबालकर इनका पानी पीयें। इससे भी लकवा ठीक हो जाता है।”
9 पेट और सीने की जलन :- एक गिलास गन्ने के रस में दो चम्मच अदरक का रस और एक चम्मच पुदीने का रस मिलाकर पिलाएं।
10 वात और कमर के दर्द:- अदरक का रस नारियल के तेल में मिलाकर मालिश करें और सोंठ को देशी घी में मिलाकर खिलाएं।
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11 पसली का दर्द :- 30 ग्राम सोंठ को आधा किलो पानी में उबालकर और छानकर 4 बार पीने से पसली का दर्द खत्म हो जाता है।
12 चोट लगना, कुचल जाना:- चोट लगने, भारी चीज उठाने या कुचल जाने से
पीड़ित स्थान पर अदरक को पीसकर गर्म करके आधा इंच मोटा लेप करके पट्टी बॉंध दें। दो घण्टे के बाद पट्टी हटाकर ऊपर सरसो का तेल लगाकर सेंक करें। यह प्रयोग प्रतिदिन एक बार करने से दर्द शीघ्र ही दूर हो जाता है।
13 संग्रहणी (खूनी दस्त) :- सोंठ, नागरमोथा, अतीस, गिलोय, इन्हें समभाग लेकर पानी के साथ काढ़ा बनाए। इस काढे़ को सुबह-शाम पीने से राहत मिलती है।
14 ग्रहणी (दस्त) :- गिलोय, अतीस, सोंठ नागरमोथा का काढ़ा बनाकर 20 से 25 मिलीलीटर दिन में दो बार दें।
15 भूखवर्द्धक :- *दो ग्राम सोंठ का चूर्ण घी के साथ अथवा केवल सोंठ का चूर्ण गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-सुबह खाने से भूख बढ़ती है।
*प्रतिदिन भोजन से पहले नमक और अदरक की चटनी खाने से जीभ और गले की शुद्धि होती है तथा भूख बढ़ती है।
*अदरक का अचार खाने से भूख बढ़ती है।
*सोंठ और पित्तपापड़ा का पाक (काढ़ा) बुखार में राहत देने वाला और भूख बढ़ाने वाला है। इसे पांच से दस ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करें।
*सोंठ, चिरायता, नागरमोथा, गिलोय का काढ़ा बनाकर सेवन करने से भूख बढ़ती है और बुखार में भी लाभदायक है।”
16 अजीर्ण :- *यदि प्रात:काल अजीर्ण (रात्रि का भोजन न पचने) की शंका हो तो हरड़, सोंठ तथा सेंधानमक का चूर्ण जल के साथ लें। दोपहर या शाम को थोड़ा भोजन करें।
*अजवायन, सेंधानमक, हरड़, सोंठ इनके चूर्णों को एक समान मात्रा में एकत्रित करें। एक-एक चम्मच प्रतिदिन सेवन करें।
*अदरक के 10-20 मिलीलीटर रस में समभाग नींबू का रस मिलाकर पिलाने से मंदाग्नि दूर होती है।”
17 उदर (पेट के) रोग :- सोंठ, हरीतकी, बहेड़ा, आंवला इनको समभाग लेकर कल्क बना लें। गाय का घी तथा तिल का तेल ढाई किलोग्राम, दही का पानी ढाई किलोग्राम, इन सबको मिलाकर विधिपूर्वक घी का पाक करें, तैयार हो जाने पर छानकर रख लें। इस घी का सेवन 10 से 20 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम करने से सभी प्रकार के पेट के रोगों का नाश होता है।
18 बहुमूत्र :- अरदक के दो चम्मच रस में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
19 बवासीर के कारण होने वाला दर्द :- दुर्लभा और पाठा, बेल का गूदा और पाठा, अजवाइन व पाठा अथवा सौंठ और पाठा इनमें से किसी एक योग का सेवन करने से बवासीर के कारण होने वाले दर्द में राहत मिलती है।
20 मूत्रकृच्छ (पेशाब करते समय परेशानी) :- *सोंठ, कटेली की जड़, बला मूल, गोखरू इन सबको दो-दो ग्राम मात्रा तथा 10 ग्राम गुड़ को 250 मिलीलीटर दूध में उबालकर सुबह-शाम पीने से मल-मूत्र के समय होने वाला दर्द ठीक होता है।
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*सोंठ पीसकर छानकर दूध में मिश्री मिलाकर पिलाएं।”
21 अंडकोषवृद्धि :- इसके 10-20 मिलीलीटर रस में दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से वातज अंडकोष की वृद्धि मिटती है।
22 कामला (पीलिया) :- अदरक, त्रिफला और गुड़ के मिश्रण का सेवन करने से लाभ होता है।
23 अतिसार (दस्त):- *सोंठ, खस, बेल की गिरी, मोथा, धनिया, मोचरस तथा नेत्रबाला का काढ़ा दस्तनाशक तथा पित्त-कफ ज्वर नाशक है।
*धनिया 10 ग्राम, सोंठ 10 ग्राम इनका विधिवत काढ़ा बनाकर रोगी को सुबह-शाम सेवन कराने से दस्त में काफी राहत मिलती है।”
24 वातरक्त :- अंशुमती के काढ़ा में 640 मिलीलीटर दूध को पकाकर उसमें 80 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने के लिए दें। उसी प्रकार पिप्पली और सौंठ का काढ़ा तैयार करके 20 मिलीलीटर प्रात:-शाम वातरक्त के रोगी को पीने के लिए दें।
25 वातशूल :- सोंठ तथा एरंड के जड़ के काढे़ में हींग और सौवर्चल नमक मिलाकर पीने से वात शूल नष्ट होता है।
26 सूजन :- *सोंठ, पिप्पली, जमालगोटा की जड़, चित्रकमूल, बायविडिंग इन सभी को समान भाग लें और दूनी मात्रा में हरीतकी चूर्ण लेकर इस चूर्ण का सेवन तीन से छ: ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ सुबह करें।
*सोंठ, पिप्पली, पान, गजपिप्पली, छोटी कटेरी, चित्रकमूल, पिप्पलामूल, हल्दी, जीरा, मोथा इन सभी द्रव्यों को समभाग लेकर इनके कपडे़ से छानकर चूर्ण को मिलाकर रख लें, इस चूर्ण को दो ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से त्रिदोष के कारण उत्पन्न सूजन तथा पुरानी सूजन नष्ट होती है।
*अदरक के 10 से 20 मिलीलीटर रस में गुड़ मिलाकर सुबह-सुबह पी लें। इससे सभी प्रकार की सूजन जल्दी ही खत्म हो जाती है।”
27 शूल (दर्द) :- सोंठ के काढ़े के साथ कालानमक, हींग तथा सोंठ के मिश्रित चूर्ण का सेवन करने से कफवातज हृदयशूल, पीठ का दर्द, कमर का दर्द, जलोदर, तथा विसूचिका आदि रोग नष्ट होते हैं। यदि मल बंद होता है तो इसके चूर्ण को जौ के साथ पीना चाहिए।
28 संधिपीड़ा (जोड़ों का दर्द) :- *अदरक के एक किलोग्राम रस में 500 मिलीलीटर तिल का तेल डालकर आग पर पकाना चाहिए, जब रस जलकर तेल मात्र रह जाये, तब उतारकर छान लेना चाहिए। इस तेल की शरीर पर मालिश करने से जोड़ों की पीड़ा मिटती है।
*अदरक के रस को गुनगुना गर्म करके इससे मालिश करें।”
29 बुखार में बार-बार प्यास लगना :- सोंठ, पित्तपापड़ा, नागरमोथा, खस लाल चंदन, सुगन्ध बेला इन सबको समभाग लेकर बनाये गये काढ़े को थोड़ा-थोड़ा पीने से बुखार तथा प्यास शांत होती है। यह उस रोगी को देना चाहिए जिसे बुखार में बार-बार प्यास लगती है।
30 कुष्ठ (कोढ़) :- सोंठ, मदार की पत्ती, अडूसा की पत्ती, निशोथ, बड़ी इलायची, कुन्दरू इन सबका समान-समान मात्रा में बने चूर्ण को पलाश के क्षार और गोमूत्र में घोलकर बने लेप को लगाकर धूप में तब तक बैठे जब तक वह सूख न जाए, इससे मण्डल कुष्ठ फूट जाता है और उसके घाव शीघ्र ही भर जाते हैं।
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31 बुखार में जलन :- सोंठ, गन्धबाला, पित्तपापड़ा खस, मोथा, लाल चंदन इनका काढ़ा ठंडा करके सेवन करने से प्यास के साथ उल्टी, पित्तज्वर तथा जलन आदि ठीक हो जाती है।
32 हैजा :- अदरक का 10 ग्राम, आक की जड़ 10 ग्राम, इन दोनों को खरल (कूटकर) इसकी कालीमिर्च के बराबर गोली बना लें। इन गोलियों को गुनगुने पानी के साथ देने से हैजे में लाभ पहुंचता है इसी प्रकार अदरक का रस व तुलसी का रस समान भाग लेकर उसमें थोड़ी सी शहद अथवा थोड़ी सा मोर के पंख की भस्म मिलाने से भी हैजे में लाभ पहुंचता है।
33 इन्फ्लुएंजा :- 6 मिलीलीटर अदरक रस में, 6 ग्राम शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार सेवन करें।
34 सन्निपात ज्वर :- *त्रिकुटा, सेंधानमक और अदरक का रस मिलाकर कुछ दिनों तक सुबह-शाम चटायें।
*सन्निपात की दशा में जब शरीर ठंडा पड़ जाए तो इसके रस में थोड़ा लहसुन का रस मिलाकर मालिश करने से गरमाई आ जाती है।”
35 गठिया :- 10 ग्राम सोंठ 100 मिलीलीटर पानी में उबालकर ठंडा होने पर शहद या शक्कर मिलाकर सेवन करने से गठिया रोग दूर हो जाता है।
36 वात दर्द, कमर दर्द तथा जांघ और गृध्रसी दर्द :- एक चम्मच अदरक के रस में आधा चम्मच घी मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
37 मासिक-धर्म का दर्द से होना (कष्टर्त्तव) :- इस कष्ट में सोंठ और पुराने गुड़ का काढ़ा बनाकर पीना लाभकारी है। ठंडे पानी और खट्टी चीजों से परहेज रखें।
38 प्रदर :- 10 ग्राम सोंठ 250 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालें और शीशी में छानकर रख लें। इसे 3 सप्ताह तक पीएं।
39 हाथ-पैर सुन्न हो जाना :- सोंठ और लहसुन की एक-एक गांठ में पानी डालकर पीस लें तथा प्रभावित अंग पर इसका लेप करें। सुबह खाली पेट जरा-सी सोंठ और लहसुन की दो कली प्रतिदिन 10 दिनों तक चबाएं।
40 मसूढ़े फूलना (मसूढ़ों की सूजन) :- *मसूढ़े फूल जाएं तो तीन ग्राम सोंठ को दिन में एक बार पानी के साथ फांकें। इससे दांत का दर्द ठीक हो जाता है। यदि दांत में दर्द सर्दी से हो तो अदरक पर नमक डालकर पीड़ित दांतों के नीचे रखें।
*मसूढ़ों के फूल जाने पर 3 ग्राम सूखा अदरक दिन में 1 बार गर्म पानी के साथ खायें। इससे रोग में लाभ होता है।
*अदरक के रस में नमक मिलाकर रोजाना सुबह-शाम मलने से सूजन ठीक होती है।”
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41 गला बैठना, श्वांस-खांसी और जुकाम :- अदरक का रस और शहद 30-30 ग्राम हल्का गर्म करके दिन में तीन बार दस दिनों तक सेवन करें। दमा-खांसी के लिए यह परमोपयोगी है। यदि गला बैठ जाए, जुकाम हो जाए तब भी यह योग लाभकारी है। दही, खटाई आदि का परहेज रखें।
42 खांसी-जुकाम :- अदरक को घी में तलकर भी ले सकते हैं। 12 ग्राम अदरक के टुकड़े करके 250 मिलीलीटर पानी में दूध और शक्कर मिलाकर चाय की भांति उबालकर पीने से खांसी और जुकाम ठीक हो जाता है। घी को गुड़ में डालकर गर्म करें। जब यह दोनों मिलकर एक रस हो जाये तो इसमें 12 ग्राम पिसी हुई सोंठ डाल दें। (यह एक मात्रा है) इसको सुबह खाने खाने के बाद प्रतिदिन सेवन करने से खांसी-जुकाम ठीक हो जाता है।
43 खांसी-जुकाम, सिरदर्द और वात ज्वर :- सोंठ तीन ग्राम, सात तुलसी के पत्ते, सात दाने कालीमिर्च 250 मिलीलीटर पानी में पकाकर, चीनी मिलाकर गमागर्म पीने से इन्फ्लुएंजा, खांसी, जुकाम और सिरदर्द दूर हो जाता है अथवा एक चम्मच सौंठ, चौथाई चम्मच सेंधानमक पीसकर चौथाई चम्मच तीन बार गर्म पानी से लें।
44 गर्दन, मांसपेशियों एवं आधे सिर का दर्द :- यदि उपरोक्त कष्ट अपच, पेट की गड़बड़ी से उत्पन्न हुए हो तो सोंठ को पीसकर उसमें थोड़ा-सा पानी डालकर लुग्दी बनाकर तथा हल्का-सा गर्म करके पीड़ित स्थान पर लेप करें। इस प्रयोग से आरम्भ में हल्की-सी जलन प्रतीत होती है, बाद में शाघ्र ही ठीक हो जाएगा। यदि जुकाम से सिरदर्द हो तो सोंठ को गर्म पानी में पीसकर लेप करें। पिसी हुई सौंठ को सूंघने से छीके आकर भी सिरदर्द दूर हो जाता है।
45 गले का बैठ जाना :- अदरक में छेद करके उसमें एक चने के बराबर हींग भरकर कपड़े में लपेटकर सेंक लें। उसके बाद इसको पीसकर मटर के दाने के आकार की गोली बना लें। दिन में एक-एक करके 8 गोलियां तक चूसें अथवा अदरक का रस शहद के रस में मिलाकर चूसने से भी गले की बैठी हुई आवाज खुल जाती है। आधा चम्मच अदरक का रस प्रत्येक आधा-आधा घंटे के अन्तराल में सेवन करने से खट्टी चीजें खाने के कारण बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है। अदरक के रस को कुछ समय तक गले में रोकना चाहिए, इससे गला साफ हो जाता है।
46 कफज बुखार :- *आधा चम्मच पिसी हुई सोंठ एक कप पानी में उबालें, जब आधा पानी शेष बचे तो मिश्री मिलाकर सेवन कराएं।
*अदरक और पुदीना का काढ़ा देने से पसीना निकलकर बुखार उतर जाता है। शीत ज्वर में भी यह प्रयोग हितकारी है। अदरक और पुदीना वायु तथा कफ प्रकृति वाले के लिए परम हितकारी है।”
47 अपच :- ताजे अदरक का रस, नींबू का रस और सेंधानमक मिलाकर भोजन से पहले और बाद में सेवन करने से अपच दूर हो जाती है। इससे भोजन पचता है, खाने में रुचि बढ़ती है और पेट में गैस से होने वाला तनाव कम होता है। कब्ज भी दूर होती है। अदरक, सेंधानमक और कालीमिर्च की चटनी भोजन से आधा घंटे पहले तीन दिन तक निरन्तर खाने से अपच नहीं रहेगा।
48 पाचन संस्थान सम्बन्धी प्रयोग :- *6 ग्राम अदरक बारीक काटकर थोड़ा-सा नमक लगाकर दिन में एक बार 10 दिनों तक भोजन से पूर्व खाएं। इस योग के प्रयोग से हाजमा ठीक होगा, भूख लगेगी, पेट की गैस कब्ज दूर होगी। मुंह का स्वाद ठीक होगा, भूख बढे़गी और गले और जीभ में चिपका बलगम साफ होगा।
*सोंठ, हींग और कालानमक इन तीनों का चूर्ण गैस बाहर निकालता है। सोंठ, अजवाइन पीसकर नींबू के रस में गीला कर लें तथा इसे छाया में सुखाकर नमक मिला लें। इस चूर्ण को सुबह-शाम पानी से एक ग्राम की मात्रा में खाएं। इससे पाचन-विकार, वायु पीड़ा और खट्टी डकारों आदि की परेशानियां दूर हो जाती हैं।
*यदि पेट फूलता हो, बदहजमी हो तो अदरक के टुकड़े देशी घी में सेंक करके स्वादानुसार नमक डालकर दो बार प्रतिदिन खाएं। इस प्रयोग से पेट के समस्त सामान्य रोग ठीक हो जाते हैं।
*अदरक के एक लीटर रस में 100 ग्राम चीनी मिलाकर पकाएं। जब मिश्रण कुछ गाढ़ा हो जाए तो उसमें लौंग का चूर्ण पांच ग्राम और छोटी इलायची का चूर्ण पांच ग्राम मिलाकर शीशे के बर्तन में भरकर रखें। एक चम्मच उबले दूध या जल के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पाचन संबधी सभी परेशानी ठीक होती है।”
49 कर्णनाद :- एक चम्मच सोंठ और एक चम्मच घी तथा 25 ग्राम गुड़ मिलाकर गर्म करके खाने से लाभ होता है।
50 आंव (कच्चा अनपचा अन्न) :- आंव अर्थात् कच्चा अनपचा अन्न। जब यह लम्बे समय तक पेट में रहता है तो अनेक रोग उत्पन्न होते हैं। सम्पूर्ण पाचनसंस्थान ही बिगड़ जाता है। पेट के अनेक रोग पैदा हो जाते हैं। कमर दर्द, सन्धिवात, अपच, नींद न आना, सिरदर्द आदि आंव के कारण होते हैं। ये सब रोग प्रतिदिन दो चम्मच अदरक का रस सुबह खाली पेट सेवन करते रहने से ठीक हो जाते हैं।
51 बार-बार पेशाब आने की समस्या :- अदरक का रस और खड़ी शक्कर मिलाकर पीने से बहुमूत्र रोग की बीमारी नष्ट हो जाती है।