- नमक-बिना सब व्यंजन सूने हैं। नमक के अभाव में रसोईघर अधूरा है। नमक ही मनुष्य में सौन्दर्य लाने का कारण है, इसीलिए सुन्दरता को ‘लावण्य’ भी कहा जाता है। सारे खनिज लवणों की संख्या 20 है। इनमें से हम केवल सोडियम क्लोराइड को ही अपने भोजन में इस्तेमाल करते हैं। संसार की बहुतसी आदिम जातियाँ नमक प्रयोग नहीं करतीं। शाक-भाजी, दालों आदि में भी थोड़ा-बहुत नमक रहता है। यह प्राकृतिक नमक स्वास्थ्य के लिए हितकारी है।
- नमकयुक्त भोजन प्रत्येक व्यक्ति को रुचिकर लगता है, क्योंकि इससे भोजन स्वादिष्ट बन जाता है।
- जिस प्रकार थोड़ा-सा नमक शीघ्र ही जल या खाद्य-पदार्थ में मिल जाता है, उसी प्रकार नमकयुक्त आहार-पदार्थ भी अपने सारे पोषक तत्वों के साथ शीघ्र सारे शरीर में पहुंचकर अपना चमत्कारी प्रभाव दिखाने लगते हैं। इसीलिए इसे ‘सूक्ष्म स्रोतगामी’ कहा गया है।
- जिस प्रकार मन सुख-दु:ख का ज्ञान कराता है, उसी प्रकार जीभ सभी रसों का ज्ञान प्राप्त कराती है। इसीलिए रसना नमक-रस बिना फीकी रहती है।
- नमक पाचन-शक्ति को प्रदीप्त करता है जिससे अच्छी भूख लगती है। नमक के कारण आहार का पाचन ठीक तरह से होता है। इससे आहार-रस भी उचित मात्रा में बनता है।
- यह आहार-रस खून, मांस, चर्बी, अस्थि, मज्जा एवं वीर्य आदि के निर्माण में सहायक होता है।
नमक से विभिन्न रोगों का घरेलु उपचार :
- पेट के सब रोगों का इलाज – पेट के किसी भी रोग में यह उपाय करें—एक नींबू के दो टुकड़े कर लें। काली मिर्च तथा नमक लगाकर चूसिए।
- झाँइयाँ – चेहरे पर झाँइयाँ हो तो सिरके में नमक व शहद मिलाकर (पेस्ट बनाकर) लेप करना अतीव गुणकारी है ।
- कमज़ोर नज़र का इलाज – जिनकी दृष्टि-शक्ति [बीनाई] कमजोर हो गई हो, संतरे के रस में काली मिर्च तथा जरा-सा नमक डालकर पिलाने से दृष्टि-शक्ति बढ़ती है।
- गुर्दे की पुरानी बीमारी [ क्रॉनिक नेफ़राइटिस ] का इलाज
- पहले दिन संतरे को 250 ग्राम रस ज़रा-सा सेंधा नमक डालकर पिलावें।
- दूसरे दिन–संतरे का रस 400 ग्राम ज़रा-सा सेंधा नमक डालकर पिलावें।
- तीसरे दिन संतरे का रस 500 ग्राम ज़रा-सा सेंधा नमक डालकर | पिलावें।
- अग्निमांद्य, अरुचि, पुरानी कब्ज़, अफ़ारा का इलाज – भोजन से पूर्व या भोजन के साथ आधी मूली नमक तथा काली मिर्च के साथ प्रतिदिन खाएँ। एक महीने में पूरा आराम होगा।
- बवासीर का इलाज- सफेद मूली को लम्बाई के रुख में चीरकर चार टुकड़े करके रात को नमक लगाकर ओस में रख दीजिए। प्रात: निराहार उसे खा लीजिए। इसके साथ ही मल त्यागने के बाद गुदा भी मूली के पानी से धोइए।
- बुखार का इलाज – नमक ¼ ग्राम ,तुलसी के 6-7 पत्ते अतिविषा [अतीस] 1 ग्राम सबको सिल पर पीसकर खा जाइए।
- दन्त-शूल [ दाँत के दर्द ] का इलाज – नमक बारीक पिसा हुआ 1 ग्राम ,गन्ने का सिरका 3 ग्राम | पानी के भरे एक बड़े ग्लास में दोनों चीज़ों को चम्मच के साथ घोलकर कुल्ले कीजिए।
- मंजन [ वज्रदन्ती ] – हरीड़ [हरीतकी] सूखी 10 ग्राम, बहेड़े [सूखे] 10 ग्राम, आँवले [सूखे] 10 ग्राम, काली मिर्च 10 ग्राम, पिप्पली 10 ग्राम, लवंग 5 दाने , तूतिया [आग पर फूल किया हुआ] 2 ग्राम, काला नमक 2 ग्राम, सफेद नमक 2 ग्राम, सेंधा नमक 2 ग्राम, माजूफल 10 ग्राम इन सबका चूर्ण बनाकर प्रतिदिन प्रात:-सायं मंजन करने से दाँत वज्र के समान हो जाएँगे।
- पायोरिया [ मसूड़ों में पीव पड़ना ] – नीम, जामुन, आम और अखरोट की छाल का महीन चूर्ण 50-50 ग्राम, सेंधा [लाहौरी] नमक और फिटकरी [आग पर फुलाई हुई] 25 ग्राम, नीलाथोथा [आग पर भुना हुआ] 15 ग्राम और बादाम के छिलकों का कोयला 300 ग्राम इन सबको खूब महीन पीसकर कपड़छन करके मंजन बना लीजिए। प्रात:-सायं मंजन करें |