पित्ताशय की पथरी ( गॉल ब्लैडर स्टोंस ) का आयुर्वेदिक उपचार

 – कपालभाती प्राणायाम करे .

 – गाजर और ककड़ी का १०-१०० मि.ली . रस मिलाकर दिन में दो बार पिए . 

 – 50 मि. ली. निम्बू का रस खाली पेट ले .

 – सूरजमुखी या ओलिव आयल ३० मि. ली . खाली पेट ले . इसके ऊपर तुरंत १२० मि.
ली . अंगूर या निम्बू का रस ले . 

 – खूब नाशपाती खाए . 

– खूब विटामिन सी ले . 

 – एक बार में अधिक भोजन ना करे . 



पथ्य
– जौ, मूंग की छिलके वाली दाल, चावल, परवल, तुरई, लौकी, करेला, मौसमी,
अनार, आंवला, मुनक्का ग्वारपाठा, जैतून का तेल आदि। भोजन सादा बिना घी-तेल
वाला तथा आसानी से पचने वाला करें और योगाभ्यास करें। 

 – अपथ्य मांसाहार शराब, आदि नशीले पदार्थों का सेवन, उड़द, गेहूं, पनीर, दूध
की मिठाईयां नमकीन, तीखे-मसालेदार तले हुए, खट्टे, खमीर उठाकर बनाएं गये
खाद्य पदार्थ जैसे इडली-डोसा ढोकला आदि। अधिक चर्बी, मसाले एवं प्रोटीन के
सेवन से यकृत व प्लीहा के खराब होने की संभावना बढ़ जाती है और फलस्वरूप
रक्त की शुद्धि नहीं हो पाती।

 – पाचन में भारी, खासकर तली हुई और अम्ल बढ़ाने वाली चीजों सतावर का रस और
दूध, बराबर मात्रा में मिलाकर प्रातःकाल पीने से बहुत दिन की पथरी भी नष्ट
होकर निकल जाती है। इसका उपयोग 30 दिन तक करें। 

अदरक, जवाखार, हरड़ और दारू हल्दी चूर्ण को बराबर मात्रा में पीस लें फिर
इसे दही या लस्सी के साथ पिएं। इससे भयंकर पथरी भी नष्ट हो जाती है।

– पेठें के रस में हींग और 5 ग्राम अजवाइन मिलाकर पीने से पथरी रोग नष्ट
होता है। 

– आमले के नरम पत्ते के 10 ग्राम स्वरस में 10 ग्राम तिल का तेल मिलाकर
पीने से भयंकर पथरी रोग नष्ट हो जाता है। 

 – हल्दी की जड़ में मिलाकर तुषोदक के साथ पीने से बहुत पुरानी शर्करा पथरी
नष्ट
हो जाती है। 

 – दो तोला अंगूर के पत्ते को 250 ग्राम पानी में उबाले। जब पानी आधा रह
जाए, तो उसमें दो तोले मिश्री मिलाकर पिए। पथरी और मूत्र के सभी रोग नष्ट
हो जाएंगे। 

 – 20 ग्राम प्याज के रस में मिश्री 15 दिन तक सुबह पीने से पथरी निकल जाती
है। 

20 ग्राम मूली के रस में 1 ग्राम जवाखार मिला कर सुबह-शाम पीने से पथरी
नष्ट हो जाती है। चैलाई का साग खाने से पथरी नष्ट होती है।

 – पथरी के रोगियों को नियमित रूप से कुछ अधिक पानी पीना चाहिए। विशेषकर
गर्मियों के मौसम में कम से कम 4 लीटर पानी प्रतिदिन पीने से पथरी में लाभ
होता है।भारी भोजन के सेवन से परहेज रखें और भूख के बिना भोजन न करें तो पथरी से होने का डर नहीं रहता।