★ मेहंदी 🌿 को बालों और हाथों के अलावा औषिधि के रूप में उपयोग करने लगोगे जब इसके 50 चमत्कारिक फ़ायदों को जान जाओगे ★

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मेंहदी का इस्तेमाल गर्मी में ठंडक देने के लिए किया जाता है। कुछ लोग विशेषकर बूढे़ अपने सफेद बालों में मेंहदी लगाकर बालों को सुनहरे बनाने की कोशिश करते हैं, इससे दिमाग में ठंडक मिलती है। मेंहदी मानव स्वास्थ्य को बनाये रखती है। यदि आप सिर दर्द से परेशान हैं तो मेंहदी की पत्तियों को पीसकर उनका सिर पर लेप करने से जल्दी आराम मिलता है। मेंहदी के पेड़ सदाबहार झाड़ियों के रूप में पाये जाते हैं। महिलाएं इसका प्रयोग श्रृंगार शोभा को बढ़ाने के लिए करती हैं। यही कारण है कि यह बहुत विश्वसनीय है। मेंहदी की पत्तियों को सुखाकर बनाया पाउडर बाजार में कम कीमत पर आसानी से आकर्षक पैक में मिलती है।

विभिन्न भाषाओं में नाम:

हिन्दी         मेंहदी
संस्कृत    रक्त, रंगा, राग, गर्मी, रंजिका, नखरंजनी, मदयन्तिका,
मराठी    मेन्दी
गुजराती   मेन्दी
तेलगू     गोराता
अंग्रेजी        हिना
तमिल        कुरंजी, विदाई
अरबी     हीना, अलहीना

रंग:मेंहदी के पेड़ की पत्तियां हरे रंग की होती हैं, इसे पीसकर त्वचा पर लगाने से लाल रंग का निखार कई दिनों तक रहता है।

स्वाद: इसका स्वाद कषैला होता है।

स्वरूप: मेंहदी के पेड़ की पत्तियों की लम्बाई लगभग 1 इंच से डेढ़ इंच के लगभग होती है। मेंहदी के पत्ते अंडे के जैसे होते हैं। इसके फूल अत्यन्त सुंगन्धित होते हैं तथा फल मटर के समान, गोलाकार होते हैं जिनके भीतर छोटे-छोटे त्रिभुज की आकृति के चिकने अनेक बीज होते हैं। इसमें अक्टूबर-नवम्बर में फूल और उसके बाद फल लगते हैं। मेंहदी की पत्तियों में टैनिन तथा वासोन नामक मुख्य रजक द्रव्य (तरल) पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त मैलिक एसिड, ग्लूकोज मैनिटोल, वसराल और म्यूसिलेज आदि तत्च मेंहदी में पाये जाते हैं। इससे एक गाढ़े भूरे रंग का सुगन्धित तेल भी प्राप्त किया जाता है।

स्वभाव:इसकी तासीर ठंडी होती है। यह बालों में चमक के साथ-साथ दिमाग को शांत रखती है।

गुण: मेंहदी का प्रयोग केवल बालों को सुदंर बनाने के लिए ही नहीं किया जाता है, बल्कि इसका प्रयोग विभिन्न रोगों के इलाज में किया जाता है। खून के विकारउल्टीकब्ज, कफ-पित्त, कुष्ठ (कोढ़)बुखार,जलनरक्तपित्तपेशाब करने में कठिनाई होना(मूत्रकृच्छ) तथा खुजली आदि रोगों में मेंहदी काफी लाभकारी है। उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति के पैरों के तलुवों और हथेलियों पर मेंहदी का लेप समय-समय पर करने से आराम मिलता है। मेंहदी लगाने से शरीर की बढ़ी हुई गर्मी बाहर निकल जाती है। रात के समय मेंहदी को साफ पानी में भिगो दें और सवेरे के समय छानकर पीयें। इसके पीने से खून की सफाई होने के साथ-साथ शरीर के अन्दर की गर्मी भी शांत हो जाती है। www.allayurvedic.org

विभिन्न रोगों में सहायक:

1. मुंह के छाले:

  • मेंहदी के 20 ग्राम पत्तों को रात को सोते समय पानी में भिगोकर रखें। सुबह उस पानी से कुल्ला करें। इससे मुंह के छाले नष्ट होते हैं।
  • मेंहदी के पत्तों को मुंह में रखकर चबाने से मुंह के छाले मिट जाते हैं।

2. फोड़े-फुन्सी:

  • मेंहदी के पत्तों को उबालकर उसके पानी से पीड़ित अंग को धोने से फोड़े-फुन्सी में लाभ मिलता है।
  • फोड़े पर मेंहदी के पत्तों को बांधने से फोड़े जल्दी ठीक हो जाते हैं।

3. मसूढ़ों से खून आना: मसूढ़ों से खून निकलने तथा मसूढ़े सूज जाने पर मेंहदी के पत्तों को पानी के साथ उबाल लें। इस गर्म पानी से रोजाना 3 से 4 बार कुल्ला करने से मसूढ़ों से खून का निकलना बंद होता है तथा सूजन भी दूर हो जाती है।

4. पैरों के तलुवों में जलन: गर्मी के दिनों में पैरों के तलुवों में निरन्तर होने वाली जलन पर इसका लेप लगाने से लाभ मिलता है।

5. पथरी:

  • 500 मिलीलीटर पानी में 6 ग्राम मेंहदी के पत्तों को उबाल लें, जब पानी 150 मिलीलीटर शेष रह जाए तब छानकर गर्म करके यह पानी रोगी को निरन्तर 5 दिनों तक पिलायें। इससे पथरी मल के रास्ते बाहर निकल जाती है तथा गुर्दों के अन्य रोगों में भी लाभ मिलता है।
  • मेंहदी की छाल 10 ग्राम रात को मिट्टी के बर्तन में उबालकर रख लें। सुबह उसको छानकर पिलाने से गुर्दे की पथरी गलकर निकल जाती है।
  • 30 ग्राम मेंहदी के पत्ते और लकड़ी को रात में 1 गिलास पानी में भिगो दें तथा सुबह पानी को निथार लें। इस पानी को 2 ग्राम यवक्षार के साथ नियमित रूप से पिलायें। कुछ दिनों तक निरन्तर प्रयोग से पथरी मूत्र के रास्ते गलकर निकल जाती है।
  • 10 ग्राम मेंहदी के हरे पत्तों को 500 मिलीलीटर पानी के साथ उबाल लें। जब पानी उबलकर 150 मिलीलीटर शेष बचे तो उसे छानकर पी जाएं। इसे लगातार 15 दिनों तक सुबह-शाम पीने से दोनों प्रकार की पथरी नष्ट हो जाती है।

6. पैरों की उंगुलियां गलना:

  • यदि पैरों की उंगुलियां गलती हो तो सरसों का तेल लगाकर मेंहदी छिड़कने से आराम मिलता है।
  • पानी में काम करने से यदि उंगुलियां गल गई हो तो 1 चम्मच मेंहदी और आधा चम्मच हल्दी को मिलाकर रोजाना 2 बार लगाने से लाभ होता है। हाथ फटने पर, घाव होने पर लेप करने से लाभ मिलता है। शरीर का कोई भाग यदि गलने लगे तो मेंहदी का प्रयोग काफी लाभकारी होता है।

7. बाल काले करना:

  • 50 ग्राम मेंहदी, आधा चम्मच कांफी, 25 ग्राम आंवले एक साथ बारीक पीसकर दूध में भिगोकर बालों में लगा लें। फिर 1 घंटे के बाद पानी से सिर धोयें, सप्ताह में 2 बार ऐसा करने से सफेद बाल काले-सुनहरे हो जाते हैं।
  • मेंहदी के पत्तों का चूर्ण और नील के पत्तों का चूर्ण बराबर लेकर लेप बना लें। इस लेप को सफेद बालों पर लगाने से बाल पूरी तरह से काले हो जाते हैं।

8. मिर्गी:

  • 2 कप दूध में चौथाई कप मेंहदी के पत्तों का रस मिलाकर रोजाना सुबह खाना खाने से 2 घंटे बाद कुछ सप्ताह तक लगातार देने मिर्गी के रोगी को लाभ होता है।
  • लगभग 60 ग्राम मेंहदी के पत्तों के रस को 250 मिलीलीटर दूध के साथ मिलाकर पीने से मिर्गी का रोग ठीक हो जाता है।

9. पैरों की एड़ियों के फटने पर: बरसात व सर्दी के दिनों में पैरों की एड़ियों के फट जाने पर नियमित रूप से मेंहदी लगाने से पैर ठीक हो जाते हैं। 10 ग्राम मेंहदी के पत्ते को 1 गिलास पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पीने से लाभ होता है।

10. थकान: दौड़ने वाले युवकों, क्रिकेट आदि खेल खेलने खिलाड़ी आदि को अपने पैरों के तलुवों पर मेंहदी लगाने से थकान भी कम होती है और ठंडक भी मिलती है।

11. उच्च रक्तचाप: हथेलियों और पैरों के तलुवों पर मेंहदी लगाने से उच्चरक्तचाप के रोग में लाभ होता है।

12. पीलिया:

  • मेंहदी के सूखे पत्तों को 1 गिलास पानी में मिलाकर रात को भिगो दें, सुबह इसे छानकर रोजाना एक बार पीने से पीलिया का रोग ठीक हो जाता है।
  • 50 ग्राम मेंहदी को पीसकर आधा गिलास पानी में रात को भिगो दें। सुबह इसके पानी को पीने से 8 से 10 दिनों में ही पीलिया का रोग ठीक हो जाता है।
  • मेंहदी के 5 ग्राम पत्तों को लेकर रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो दें। सुबह उठकर इन पत्तियों को मसलकर तथा छानकर पीने से पीलिया के रोगी को आराम मिलता हैं। इसके 1 सप्ताह के सेवन से पुराना पीलिया रोग भी ठीक हो जाता है।

13. गर्भधारण: मासिक-धर्म के हर चौथे दिन के बाद रोजाना स्त्री स्वयं ही 5 बार पैरों पर मेंहदी लगाएं। इससे गर्भवती होने की आशाएं बढ़ जाती हैं।

14. बालों का झड़ना: मेंहदी और चुकन्दर के पत्तों की चटनी बनाकर सिर में लगाने से बालों का गिरना बंद हो जाता है तथा नये बाल भी आ जाते हैं।

15. त्वचा के काले दाग: मेंहदी और साबुन को बराबर मात्रा में मिलाकर उसका लेप बनायें, उसे काले दाग पर लगा लें। इससे कुछ ही दिनों में दाग नष्ट हो जाएगा।

16. जोड़ों का दर्द (आमवात): मेंहदी के हरे पत्तों के 100 मिलीलीटर रस को तिल के 100 मिलीलीटर तेल में मिलाकर उबालें, जब तेल शेष बचे तो इसे ठंडा करके छान लें और जोड़ों का दर्द (आमवात), साइटिका दर्द और कमर दर्द होने पर गर्म करके 2 बार मालिश करें। मालिश करने के आधे घंटे बाद सिंकाई करने से लाभ मिलता है।            

17. कटे हुए घाव: कटे हुए घाव पर मेंहदी लगाने से आश्चर्यजनक लाभ होता है। इससे कुछ ही दिनों में पूरा घाव भर जाता है।

18. खुरदरापन: हाथों में होने वाले खुरदरेपन को ठीक करने के लिए अपने हाथों में मेंहदी और नींबू के रस को मिलाकर लगाने से हाथ मुलायम हो जाते हैं। इसी प्रकार यदि आपके पैरों में खुरदरापन आ जाए तो पिसी हुई मेंहदी का लेप कर लें, सूख जाने पर मेंहदी को हटा दें और सरसों का तेल लगायें। इससे हाथों का खुरदरापन ठीक हो जाता है।

19. एलर्जी: रात को 1 गिलास साफ पानी में 100 मेंहदी के सूखे पत्ते भिगो दें, सुबह इस पानी को छानकर पीने से शरीर में शीतलता (ठंडक) के साथ-साथ खून भी साफ हो जाता है। एलर्जी वाले रोगियों के लिए यह बड़ी गुणकारी चिकित्सा है।

20. सूजन: मेंहदी के पत्तों का लेप पीड़ित अंग पर लगाने से सूजन कम हो जाती है।

21. सिर दर्द:

  • सिर के दर्द में मेंहदी की पत्तियों को पीसकर सिर पर लगाने से सिर के दर्द में आराम मिलेगा।
  • मेंहदी के पत्तों या फूलों को पानी या तेल में पीसकर माथे पर लगाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
  • गर्मी तथा पित्त की वजह से सिर में दर्द होता हो तो मेंहदी के 25 ग्राम पत्तों को 50 मिलीलीटर तेल में उबालकर इस तेल को सिर में लगाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
  • 10 ग्राम मेंहदी के फूलों का 100 मिलीलीटर पानी में बनाया हुआ फांट रोगी को पिलाने से सिर दर्द में लाभ होता है।
  • मेंहदी के 8-10 फूलों और सिरके को पीसकर पानी में मिलाकर मस्तक और पैर के तलुवे पर लेप लगाने से सिर के दर्द में राहत मिलती है।
  • लगभग 5 ग्राम मेंहदी के फूलों को पानी में पीसकर मिला लें फिर कपड़े से छानने के बाद इसमें 7 ग्राम शहद मिलाकर कुछ दिनों तक रोजाना पीने से सिर दर्द में शीघ्र राहत मिलती है।
  • मेंहदी का तेल लगाने से सिर दर्द के रोगी को राहत मिलती है।

22. सिर की जलन: 4 ग्राम मेंहदी और 3 ग्राम कतीरे को रात में पानी में भिगो दें इसे सुबह उठकर मिश्री के साथ लेने से सिर की जलन में लाभ होता है। www.allayurvedic.org

23. सिर का चकराना: मेंहदी के 3 ग्राम बीजों को शहद के साथ चाटने से लाभ होता है, इसी प्रकार फूलों का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाने से सिर चकराने के रोग में फायदा होता है। दवा खाने के तुरन्त बाद ही गेहूं की रोटी, खंड और घी को साथ मिलाकर खाने से सिर का चकराने के रोग में लाभ मिलता है।

24. अनिद्रा (नींद का कम आना): वह व्यक्ति जिन्हें नींद कम आती हो उन्हें अपने सोते समय तकिये में मेंहदी के सूखे फूलों को भरकर सिरहाने पर रखना चाहिए। इससे अच्छी नींद आती है।

25. सौन्दर्य प्रसाधन: आम की छाल, दाड़िम के पुष्पों की कली, मेंहदी और हरड़ के चूर्ण आदि को बराबर मात्रा में लेकर एक साथ पीस-छानकर त्वचा पर लगाने से सौन्दर्य में निखर आता है और त्वचा के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।

26. नकसीर: मुल्तानी मिट्टी, जौ का आटा, मेंहदी तथा धनिया को बराबर लेकर पीसकर लेप बना लें। इस लेप को नाक पर लगाकर ऊपर से मलमल का कपड़ा पानी में भिगोकर रखें। इससे नकसीर के रोगी को लाभ मिलता है। पैरों के तलवों पर मेंहदी लगाने से कुछ ही दिनों में लाभ मिलता है।

27. आंखों की लाली के लिए:

  • 10 ग्राम जीरा और 10 ग्राम मेंहदी को बराबर मात्रा में पीसकर रात में गुलाब जल में भिगो दें। इसे सुबह-सुबह छानकर साफ शीशी में रख लें और इसमें 1 ग्राम भुनी हुई फिटकरी बारीक पीसकर मिला लें इसे थोड़ी मात्रा में डालने से आंखों का लालपन दूर हो जाता है।
  • मेंहदी के हरे पत्तों को पीसकर लेप बना लें, रात में इसकी टिकिया को आंख पर बांधकर सोने से आंखों की पीड़ा और आंखों की लाली ठीक हो जाती है।

28. तिल्ली (प्लीहा): 30 ग्राम मेंहदी की छाल बारीक पिसी हुई, 10 ग्राम नौसादर पिसा हुआ को मिला लें, सुबह 3 ग्राम मेंहदी के पत्तों को गर्म पानी के साथ देने से दो सप्ताह में तिल्ली की सूजन कम हो जाती है।

29. खूनी दस्त: मेंहदी के बीजों को बारीक पीसकर, घी में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर रख लें। इन गोलियों को सुबह-शाम पानी के साथ खाने से खूनी दस्त में आराम मिलता है।

30. वीर्य का बहना: 5 से 10 ग्राम मेंहदी के पत्ते के रस में थोड़ा पानी और मिश्री मिलाकर पीने से वीर्य का बहना बंद हो जाता है।

31. सुजाक रोग: 50 ग्राम मेंहदी के पत्तों को आधा किलो पानी में भिगोकर सुबह पीसकर छान लें और बर्फ के साथ 20 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 3 से 4 बार पीयें। इससे सुजाक रोग में आराम मिलता है।

32. घुटनों का दर्द: मेंहदी और एरण्ड के पत्तों को बराबर लेकर पीस लें। फिर इसे थोड़ा गर्म करके घुटने पर लेप करें। इससे घुटनों के दर्द में राहत मिलती है।

33. शक्ति: वह व्यक्ति जो बहुत ही कमजोर है, उसे मेंहदी के फूल सुंघाने से और पीसकर माथे पर लेप करने से शक्ति मिलती है।

34. कुष्ठ (कोढ़):

  • मेंहदी के पत्ते और फूलों के रस को दिन में 2 बार आधा-आधा चम्मच देने से कुष्ठ (कोढ़) का रोग ठीक हो जाता है।
  • मेंहदी के पेड़ की 100 ग्राम छाल को 200 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब एक चौथाई शेष बचे तो इस काढ़े को नियमित रूप से सुबह-शाम पीने से कुष्ठ (कोढ़) रोग में लाभ होता है।
  • मेंहदी के 75 ग्राम पत्तों को रातभर पानी में भिगोकर सवेरे मसलकर और छानकर पीने से सभी प्रकार के कुष्ठ (कोढ़) रोग में लाभ होता है।
  • मेंहदी की छाल का काढ़ा पीने से कोढ़ का रोग समाप्त हो जाता है।

35. बेहोशी के दौरे: 5 से 10 ग्राम मेंहदी के पत्तों का रस दिन में 3 से 4 बार 250 मिलीलीटर दूध के साथ रोगी को देने से गर्मी और सर्दी में बेहोशी के होने वाले दौरे में राहत मिलती है।

36. बुखार की जलन: मेंहदी के 10 ग्राम फूलों को 200 मिलीलीटर पानी में उबालकर लुगदी बना लें। इस लुगदी के सेवन से बुखार की जलन, सिर दर्द, हृदय दर्द, अनिद्रा आदि रोगों में राहत मिलती है।

37. आग से जलने पर:

  • शरीर के आग से जले हुए स्थान पर मेंहदी की छाल को पीसकर गाढ़ा लेप करने से शांति मिलती है।
  • मेंहदी के पत्तों को पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से बहुत जल्दी आराम मिलता है।
  • भंगरैया का पत्ता, भरबा और मेंहदी के पत्ते को एक साथ जले हुए स्थान पर पीसकर लेप करने से जलन दूर होती है और जख्म भी ठीक हो जाता है। इससे जले हुए स्थान पर सफेद निशान भी नहीं रहते हैं।
  • आग से जलने पर घी और मेंहदी के पत्तों का लेप बनाकर जले हुए भाग पर लगाने से जलन में लाभ मिलता है।

38. बालतोड़: पिसी हुई मेंहदी को भिगो लें, जिस तरह भिगोकर हाथों में लगाई जाती है। उसी तरह बालतोड़ की जगह गाढ़ा-गाढ़ा लेप सुबह और शाम को लगाने से बालतोड़ जल्द ही ठीक हो जाता है।

39. खांसी: 20 ग्राम मेंहदी का रस, 10 ग्राम हल्दी और 5 ग्राम गुड़ को एक साथ मिलाकर चाटने से कफ पतला होकर निकल जाता है और खांसी बंद हो जाती है।

40. बालों को काला करना: 6 चम्मच मेंहदी, 4 चम्मच सूखा आंवला, 1 चम्मच कॉफी, चौथाई चम्मच कत्था को मिलाकर 1 लोहे के बर्तन में कॉफी के उबले हुए पानी में भिगो दें। दूसरे दिन इनका बालों पर लेप करें। 20 मिनट तक लेप को लगा रहने दें। इसके बाद सिर को धो लें और सिर में आंवले का तेल लगाएं। आंवला बालों के लिए एक प्राकृतिक (कुदरती) देन है। इसे बालों में किसी भी तरीके से लगा सकते हैं और इसका रस पीयें। इससे बाल काले होते हैं।

41. गुर्दे के रोग: 6 ग्राम मेंहदी के पत्तों को 500 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालें। जब 150 मिलीलीटर पानी रह जाये तब इसे छानकर पियें। इसके 2-3 दिन के प्रयोग से गुर्दे का दर्द मिट जाता है।

42. बवासीर (अर्श): मेंहदी के पत्तों को पानी के साथ पीसकर गुदाद्वार पर लगाकर लंगोट बांधे। इससे बवासीर के मस्से सूख कर गिर जाते हैं।

43. उपदंश (सिफलिस): 40 मिलीलीटर मेंहदी के पत्तों का रस और उसमें 30 ग्राम मिश्री मिलाकर 10-20 दिन तक पीते रहें। इससे उपदंश की जलन दूर हो जाती है।

44. गठिया रोग:

  • गठिया के दर्द को दूर करने के लिए मेंहदी और एरण्ड के पत्तों को पीसकर लेप करने से दर्द दूर हो जाता है।
  • मेंहदी के ताजे पत्तों को बारीक पीसकर रात को सोते समय दर्द वाले स्थानों पर गाढ़ा लेप लगाएं। इससे गठिया के रोग में जल्द आराम मिलता है। www.allayurvedic.org

45. हाथ-पैरों के फटने पर: हाथ-पैरों के फटने पर मेंहदी लगाने से लाभ होता है।

46. अपरस: मेंहदी के पत्तों को धोकर उसमें मटिया सिन्दूर मिलाकर पानी के साथ बहुत अच्छी तरह से पीस लें। इसे लगाने से पुराना अपरस ठीक हो जाता है।

47. हाथ-पैरों की ऐंठन: मेंहदी के पत्तों को पीसकर लगाने से हाथ-पैरों की ऐंठन दूर हो जाती है।

48. तुंडिका शोथ (टांसिल): यदि टांसिल ज्यादा बढ़ गये हो तो मेंहदी के पत्तों को जलाकर काढ़ा बना लें इस काढ़े से गरारे करने से टांसिल में आराम आता है।

49. घमौरियां:

  • घमौरियां होने पर मेंहदी का लेप करने से घमौरियां बिल्कुल खत्म हो जाती हैं।
  • नहाते समय पानी में मेंहदी के पत्तों को पीसकर मिला लें इस पानी से नहाने से शरीर की घमौरियां दूर हो जाती हैं।