बाजरा भारत में सभी जगह पाया जाता है। यह मेहनती लोगों का एक प्रमुख आहार होता है। बाजरे की रोटी पर घी या तेल की आवश्यकता नहीं पड़ती है।कुछ लोगों के लिए बाजरा कब्ज कारक होता है किन्तु जहां पर बाजरा लोगों का मुख्य आहार होता है, वहां यह दोष ध्यान नहीं दिया जाता है जिन्हें बाजरा अनुकूल पड़ जाता है उनके लिए तो बाजरे का टिक्कड़ बहुत ही मीठा लगता है। भैंस के दूध में बाजरे के अतिरिक्त बाजरे की राब, खिचड़ी, सुखली और ढोकली भी बनती है। बाजरे के आटे में घी और गुड़ मिलाकर “कुलेर“ बनाई जाती है। यह एक विशिष्ट पकवान है। दूसरे अनाज के आटे से कुलेर नहीं बनती है। नागपंचमी के दिन लोग नाग लोग कुलेर का नैवेद्य चढ़ाते हैं। बाजरे का होला भी बनाया जाता है।

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रंग : बाजरा भूरे रंग का होता है।

स्वाद : यह खेतों में बोया जाता है, इसका पेड़ पतला और लम्बा होता है। पत्तियां भी पतली और लम्बी होती है, इसके सिर पर बालें निकलती हैं जिसमें बाजरे के छोटे-छोटे दाने जडे़ रहते हैं।

स्वरूप : बाजरा गर्म तथा कुछ लोगों के अनुसार शीतल और रूखा होता है।

हानिकारक : इसका अधिक मात्रा में सेवन शरीर में भारीपन लाता है। यह देर से हजम होता है तथा वादी करता है।

नोट : बाजरे के गर्म होने से विशेषकर सर्दियों तथा बरसात के दिनों में बाजरे के टिक्कड़  अनुकूल रहते हैं। बाजरा गर्म प्रकृति होता है इसलिए गर्मी की ऋतु में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। अर्श (बवासीर) तथा कब्ज से पीड़ित रोगियों को बाजरे का सेवन नहीं करना चाहिए।

दोषों को दूर करने वाला : दूध, चीनी और घी, बाजरा के गुणों को सुरक्षित रखता एवं बाजरे में सम्मिलित दोषों को दूर करता है।

तुलना : बाजरे की तुलना चावल से की जा सकती है।

गुण : यह शरीर को मोटा करता है तथा आमाशय और धातु की भी पुष्टि करता है। इसके सेवन से शरीर में खुश्की आती है। यह गरमी के दस्तों को रोकता है, पेशाब अधिक मात्रा में लाता है तथा कच्चे गर्भ को गिरा देता है। इसकी पोटली बनाकर सेंक करने से सर्दी से होने वाला दर्द दूर होता है। यह बवासीर की पीड़ा को नष्ट करता है। सिरका के साथ इसका लेप सर्दी से होने वाले सूजनों को मिटाता है। बाजरा दस्तावर, गर्म, श्लेष्मा, बलगम को नष्ट करता है।

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विभिन्न रोंगों में सहायक :

1. पेट दर्द : बाजरे के सेवन से बच्चों को दूध पिलाने वाली स्त्री के दूध में वृद्धि होती है तथा नवजात शिशु के पेट दर्द की शिकायत भी नहीं होती है।

2. घोड़े की पीठ के दाग : पुरानी बाजरे की बालें जलाकर उसकी राख को पानी के साथ मिलाकर घोड़े की पीठ पर पड़े हुए घावों पर लगाना लाभकारी होता है।

3. हृदय के लिए लाभकारी : बाजरा दिल के लिए लाभकारी होता है। यह बलप्रद, पाचन में भारी, पाचनशक्तिवर्द्धक, गर्मी, पित्त प्रकोप को नष्ट करने वाला, स्त्रियों के लिए कामोत्तेजक, मलरोधक व कब्ज करने वाला एवं वीर्य को गर्म करने वाला माना जाता है।

4. डकार का आना : बाजरे के दाने के बराबर हींग, गुड़ या केले में मिलाकर खाने से डकार आना बंद हो जाती है।

5. हैजा : बाजरे के आटे में पिसी हुई सोंठ तथा पिसा हुआ सेंधानमक मिलाकर मालिश करने से पसीना आना कम हो जाता है।