बावची/बाकुची सभी प्रकार के त्वचा और कुष्ट रोगो में रामबाण हैं। और बावची का ये गुण देख कर इसका प्रयोग सफ़ेद दाग की ज़्यादातर इंग्लिश दवाओ में भी होता हैं। इस रोग में बावची बहुत कारगर दवा हैं।
➡ आइये जाने इसकी प्रयोग विधि-
- 50 ग्राम बावची के बीज लीजिये इनको पानी में 3 दिन तक भिगोये। पानी हर रोज़ बदलते रहें। तीन दिन बाद बीजों को मसलकर छिलका उतार ले और छाया में सूखा लें। फिर इन सूखे बीजो को पीस कर पावडर बना लें। बस दवा तैयार हैं। अब इस पाउडर को डेढ ग्राम प्रतिदिन 250 ग्राम बकरी या भारतीय गाय के दूध के साथ पियें। इसी चूर्ण को पानी में घिसकर पेस्ट बना लें। यह पेस्ट सफ़ेद दाग पर दिन में दो बार लगावें। ये इलाज दो से 4 महीने तक करे। बहुत लाभ होगा।
- बावची के बीज और इमली के बीज बराबर मात्रा में लेकर 4 दिन तक पानी में भिगोवें। 4 दिन बाद में बीजों को मसलकर छिलका उतारकर सूखा लें। पीसकर महीन पावडर बना ले। इस पावडर की थोडी सी मात्रा लेकर पानी के साथ पेस्ट बनावें। यह पेस्ट सफ़ेद दाग पर एक सप्ताह तक लगाते रहें। बहुत कारगर नुस्खा है।
➡ सावधानी :
- यदि इस पेस्ट के इस्तेमाल करने से सफ़ेद दाग की जगह लाल हो जाय और उसमें से तरल द्रव निकलने लगे तो ईलाज रोक देना उचित रहेगा। और कुछ दिन सही होने के बाद दोबारा करे।
- प्रयोग काल में खान पान पर पूरा धयान दे। कुछ भी अधिक तला हुआ, मिर्च मसाले वाला, अधिक नमक, अधिक मीठा ना खाए, धूम्रपान और शराब का सेवन बिलकुल बंद कर दे। खून साफ़ करने का आयुर्वेदिक टॉनिक किसी अच्छी कंपनी का जैसे झंडू या बैद्यनाथ का पिए जिसमे चिरायता, कुटकी और नीम मिला हो।
- 2 से 4 महीने में आशातीत लाभ होगा। बावची जिसको बहुत जगह बाकुची भी बोला जाता हैं आपको पंसरी से मिल जाएगी।