• आँखों की दोनों पलकों के किनारों पर बालों (बरौनियों) की जड़ों में जो छोटी-छोटी फुंसियां निकलती हैं, उसे ही अंजनहारी, गुहेरी या नरसराय (eye style) भी कहा जाता है। कभी-कभी तो यह मवाद के रूप में बहकर निकल जाती है पर कभी-कभी बहुत ज़्यादा दर्द देती है और एक के बाद एक निकलती रहती हैं।  चिकित्सकों के मत मे विटामिन A और D की कमी से अंजनहारी निकलती है। कभी-कभी कब्ज से पीड़ित रहने कारण भी अंजनहारी निकल सकती हैं। www.allayurvedic.org

➡ गुहेरी या अंजनहारी (eye stye) होने के कारण :

  1. डॉक्टर अंजनहारी का कारण विटामिन A और D की कमी मानते हैं।
  2. अंजनहारी का कारण, आम तौर पर एक स्टाफीलोकोकस बैक्टीरिया (staphylococcus bacteria) के कारण होने वाला संक्रमण भी माना जाता है।
  3. पाचन क्रिया में खराबी भी अंजनहारी का कारण है।
  4. अंजनहारी का एक कारण, लगातार रहने वाली कब्ज भी मानी जाती है।
  5. धूल और धुंए समेत अन्य हानिकारक कणों का आँखों में जाना।
  6. बिना हाथ धोए आँखों को छूना।
  7. संक्रमण होना।
  8. आँखों की सफाई पर ध्यान न देना। निरंतर रूप से पानी से न धोना।
  9. वैसे अंजनहारी होने के सटीक कारणों की जानकारी नहीं है, लेकिन ये कुछ कारण हैं जिनकी वजह से यह दिक्क्त आती है। www.allayurvedic.org

➡ गुहेरी या अंजनहारी (eye style) के सरल घरेलू उपाय :

  1. लौंग को जल के साथ किसी सिल पर घिसकर अंजनहारी पर दिन में दो तीन लेप करने से शीघ्र ही अंजनहारी नष्ट हो जाती है।
  2. बोर के ताजे कोमल पत्तों को कूट पीसकर, किसी कपड़े में बांधकर रस निकालें। इस रस को अंजनहारी पर लगाने से शीघ्र लाभ होता है।
  3. इमली के बीजों को सिल पर घिसकर उनका छिलका अलग कर दें। अब इमली के सफेद बीज को जल के साथ सिल पर घिस कर दिन में कई बार अंजनहारी (फुसी) पर लगाएं । इसके लगाने से अंजनहारी शीघ्र नष्ट होता है।
  4. १० ग्राम त्रिफला के चूर्ण को ३०० ग्राम जल में डालकर रखें। सुबह बिस्तर से उठने पर त्रिफला के उस जल को कपड़े से छानकर नेत्रों को साफ करने से गुहेरी की विकृति नष्ट होती है। त्रिफला के जल से नेत्रों की सब गंदगी निकल जाती है। प्रतिदिन त्रिफला का ३ ग्राम चूर्ण जल के साथ सुबह शाम सेवन करने से गुहरी की विकृति से राहत मिलती है।
  5. काली मिर्च को जल के साथ पीसकर या जल के साथ घिसकर अंजनहारी पर लेप करने से प्रारंभ में थोड़ी सी जलन होती है, लेकिन जल्दी ही गुहेरी का निवारण हो जाता है।
  6. ग्रीष्म ऋतु में पसीने के कारण अंजनहारी की विकृति बहुत होती है। प्रतिदिन सुबह और रात्रि को नेत्रों में गुलाब जल की कुछ बूंदे डालने से बहुत लाभ होता है। www.allayurvedic.org
  7. त्रिफला चूर्ण ३ ग्राम मात्रा में उबले हुए दूध के साथ सेवन करने से अंजनहारी से सुरक्षा होती है।
  8. लौंग को चंदन और केशर के साथ जल के छींटे डालकर, घिसकर अंजनहारी का लेप करने से बहुत जल्दी लाभ होता है।
  9. सहजन के ताजे व कोमल पत्तों को कूट पीसकर कपड़े में बांधकर रस निकालें। इस रस को दिन में कई बार अंजनहारी पर लगाने से शीघ्र लाभ होता है।
  10. नीम के ताजे व कोमल पत्तों का रस मकोय का रस बराबर मात्रा में कपड़े से छानकर नेत्रों में लगाने से अंजनहारी के कारण शोथ व नेत्रों की लालिमा शीघ्र नष्ट होती है।
  11. अंजनहारी में शोथ के कारण तीव्र जलन व पीड़ा हो तो चंदन के जल के साथ घिसकर दिन में कई बार लेप करने से तुरंत लाभ होता है।
  12. छुहारे के बीज को पानी के साथ घिस लें। इसे दिन में २-३ बार अंजनहारी पर लगाने से लाभ होता है।
  13. तुलसी के रस में लौंग घिस लें। अंजनहारी पर यह लेप लगाने से आराम मिलता है।
  14. हरड़ को पानी में घिसकर अंजनहारी पर लेप करने से लाभ होता है।
  15. आम के पत्तों को डाली से तोड़ने पर जो रस निकलता है, उस रस को गुहेरी पर लगाने से गुहेरी जल्दी समाप्त हो जाती है।