‘
➡ सप्त तेल का अनुभूत प्रयोग : दादा मदन लाल जी का गुरु प्रदत्त अनुभूत प्रयोग
- तीस-चालीस वर्षो से अधिक समय तक किया गया इनका निम्न प्रयोग निराश रोगियों की सेवा में प्रस्तुत है उनका कहना है की अगर श्वेत कुष्ठ अधिक दिनों का पुराना हो तो यह प्रयोग आजमाये। अनुभूत योग इस प्रकार से है… www.allayurvedic.org
➡ अवश्यक सामग्री :
- बावची तेल 10 मिली
- चाल मोगरा तेल 10 मिली
- लौंग तेल 10 मिली
- दालचीनी तेल 10 मिली
- तारपीन तेल 10 मिली
- श्वेत मिर्च का तेल 20 मिली
- नीम तेल 40 मिली
➡ सप्त तेल तैयार करने की विधि और लगाने का तरीका :
- इन सात तेल को मिला कर अच्छी तरह सुबह शाम मालिश करे या लगाये कितना भी पुराना श्वेत कुष्ठ हो इस तेल के योग से पूरी तरह से ठीक हो जाता है हा एक बात जरुर है इसमें चार से सात माह का समय लगता है अत : निराश नहीं होना चाहिए और ये प्रयोग निरंतर करते रहना चाहिए और अगर किसी तरह का कोई उपद्रोव नजर आये तो इसमें 50 मिली नारियल तेल मिला सकते है इससे इसकी शक्ति कम हो जायेगी पर घबराना नहीं चाहिये कुछ समय और लग सकता है। इस महत्त्वपूर्ण जानकारी को शेयर जरूर करे ताकि इस रोग से ग्रसित रोगी इसका लाभ ले सके। www.allayurvedic.org
- स्रोत : स्वदेशी चिकित्सा के चमत्कार लेख दादा मदन लाल जी का गुरु प्रदत्त अनुभूत प्रयोग। ध्यान रहे यह प्रयोग कुशल वैद्य या आयुर्वेदाचार्य द्वारा तैयार कराये तथा उनकी देख रेख में उचित परामर्श के साथ करे।
SAPT TAIL LENA KA HAI KAHA MILTA HAI
PURI JANKARI DE.