➡ बवासीर का सिर्फ 7 दिन में जड़ से सफाया : 

  • यह नुस्खा एक महात्मा से प्राप्त हुआ और मरीजो पर प्रयोग करने पर 100 में से 90 मरीज लाभान्वित हुए यानि कि 90 प्रतिशत सफल है तो आइये जाने आप उस नुस्खे के बारे में।

➡ औषिधि बनाने की विधि :

  • अरीठे या रीठा (Soap nut) के फल में से बीज निकाल कर शेष भाग को लोहे की कढाई में डालकर आंच पर तब तक चढ़ाए रखे जब तक वह कोयला न बन जाए जब वह जल कर कोयले की तरह हो जाए तब आंच पर से उतार कर सामान मात्रा में पपडिया कत्था मिलाकर कपडछन (सूती कपडे से छान कर) चूर्ण कर ले बस अब ये औषिधि तैयार है।

➡ औषिधि सेवन करने का तरीका :

  • इस तैयार औषिधि में से एक रत्ती (125मिलीग्राम ) लेकर मक्खन या मलाई के साथ सुबह-शाम लेते रहे, इस प्रकार सात दिन तक दवाई लेनी होती है।
  • इस औषिधि के मात्र सात दिन तक लेते रहने से ही कब्ज, बवासीर की खुजली, बवासीर से खून बहना आदि दूर होकर मरीज को राहत महसूस करने लगता है।
  • यदि मरीज इस रोग के लिए सदा के लिए छुटकारा पाना चाहे तो उन्हें हर छ: महीने के बाद फिर से 7 दिन का यह कोर्स बिलकुल इसी प्रकार दोहरा लेना चाहिए। www.allayurvedic.org

➡ अरीठे या रीठा (Soap Nut) के अन्य भाषा में नाम :

  • संस्कृत – अरिष्ट ,रक्तबीज,मागल्य
  • हिन्दी- रीठा,अरीठा ,
  • गुजराती- अरीठा
  • मराठी- रीठा
  • मारवाड़ी-अरीठो
  • पंजाबी- रेठा
  • कर्नाटक-कुकुटेकायि

➡ औषिधि सेवन के दौरान परहेज़ :

  • ध्यान रखे की औषिधि लेते समय सात दिन नमक का सेवन बिलकुल नहीं करना है । देशी इलाज में पथ्यापथ्य का विशेष ध्यान रखा जाता है कई रोगों में तो दवाई से ज्यादा तो पथ्य आहार जादा कारगर होता है।

➡ औषिधि सेवन के दौरान क्या-क्या खाएं :

  • मुंग या चने की दाल, कुल्थी की दाल, पुराने चावलों का भात, सांठी चावल, बथुआ, परवल, तोरई, करेला, कच्चा पपीता, गुड, दूध, घी, मक्खन, काला नमक, सरसों का तेल, पका बेल, सोंठ आदि पथ्य है। रोगी को दवा सेवन काल में इसका ही सेवन करना चाहिए। www.allayurvedic.org

➡ औषिधि सेवन के दौरान क्या-क्या न खाएं :

  • उड़द, धी, सेम, भारी तथा भुने पदार्थ, घिया, धूप या ताप, अपानुवायु को रोकना, साइकिल की सवारी, सहवास, कड़े आसन पर बैठना आदि ये सभी बवासीर के लिए हानिकारक है।

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➡ अरीठा/रीठा (Soap Nut) :

  • अरीठा या रीठा के फल में सैपोनिन, शर्करा और पेक्टिन नामक कफनाशक पदार्थ पाया जाता है। इसके बीज में 30 प्रतिशत चर्बी होती है। जिसका उपयोग साबुन बनाने में किया जाता है। यह त्रिदोषनाशक और ग्रहों को दूर भगाता है। रीठा का उपयोग उल्टी लाने , दस्तावर, हानिकारक कीटाणु और कफनाशक, गर्भाशय विशेषकर अफीम का जहर दूर करने में किया जाता है। इसका विशेष प्रयोग कफवात रोगों में किया जाता है। 
  • अरीठा या रीठा के छिलकों को पानी में पीसकर चेहरे पर मलने से दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं। चेहरे में निखार आता है। रीठा के दानों को जलाकर राख बना लें। इसके बाद इसमें भूनी फिटकरी मिलाकर सुबह-शाम मंजन करने से दांत मजबूत साफ और निरोग रहते हैं। आधे सिर के दर्द वाले रोगी के दूसरी ओर नाक के छेद में रीठा के छिलके को पानी में पीसकर 2 बूंद टपका दें यह काफी तेज होता है इसे सहन करें। इससे माइग्रेन ठीक होने पर दोबारा नहीं होता है। रीठे का छिलका 20 ग्राम और हराकसीस 10 ग्राम को पीसकर चने के बराबर की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। 1 गोली खाली पेट पानी से सेवन करने से 10-12 दिन में बवासीर के मस्से सूख जाते हैं और बवासीर ठीक हो जाती है। 75 ग्राम रीठे की गुठली की गिरी को पीसकर और छानकर इसमें 75 ग्राम खांड मिला दें। यह 5-5 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से बलवीर्य अधिक होता है। लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग रीठे की पिसी मींगी को मलाई में लपेटकर गर्म पानी से निगलने से बलगम ढीला होकर निकल जाता है और दमा रोगी को एक सप्ताह तक सेवन करने से आराम मिलता है। रीठे के छिलके को पीसकर आधा ग्राम पानी सुबह देने से मिर्गी ठीक हो जाती है।

➡ अरीठा या रीठा (Soap Nut) के 55 अद्भुत फायदे :

  1. बवासीर (अर्श) : रीठा के पीसे हुए छिलके को दूध में मिलाकर बेर के बराबर गोलियां बना लें। रोजाना सुबह-शाम 1-1 गोली नमक तथा छाछ के साथ लेने से बवासीर के रोग में आराम आता है।
  2. रीठा के छिलके को जलाकर उसके 10 ग्राम भस्म (राख) में 10 ग्राम सफेद कत्था मिलाकर पीस लें। इस आधे से 1 ग्राम चूर्ण को रोजाना सुबह पानी के साथ लेने से बवासीर के रोग में आराम आता है।
  3. संग्रहणी : 4 ग्राम रीठा को 250 मिलीलीटर पानी में डालकर गर्म करें। जब तक झाग न उठ जायें। तब तक गर्म करते रहें। उसके बाद इसे हल्का गर्म-गर्म पीने से संग्रहणी अतिसार (बार-बार दस्त आना) के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
  4. माहवारी सम्बंधी परेशानियां : रीठे का छिलका निकालकर उसे धूप में सुखा लें। फिर उसमें रीठा का 2 ग्राम चूर्ण शहद के साथ सेवन करते हैं। यह माहवारी सम्बंधी रोगों की सबसे बड़ी कारगर दवा है।
  5. कान में मैल जमना : रीठे के पानी को किसी छोटी सी पिचकारी या सिरिंज (वह चीज जिससे किसी चीज को कान में डाला जाये) में भरकर कान में डाल दें। इससे कान के अंदर मैल या जो कुछ भी होगा वह मुलायम हो जायेगा फिर किसी रूई की मदद से इसे निकाल लें।
  6. जुकाम : रीठे के छिलके और कायफल को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को सूंघने से जुकाम दूर हो जाता है।
  7. नजला, नया जुकाम : 10-10 ग्राम रीठा का छिलका, कश्मीरी पत्ता और धनिया को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को नाक से सूंघने से जुकाम में लाभ होता है।
  8. उपदंश (सिफलिश) : रीठे का छिलका पिसा हुआ पानी में मिलाकर चने के बराबर गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। 1 गोली दही में लपेटकर सुबह के समय खायें। थोड़ी दही ऊपर से खाने से उपदंश रोग में लाभ मिलता है। परहेज में नमक और गर्म चीजें न खायें।
  9. मुर्च्छा (बेहोशी) : पानी में रीठे को पीसकर 2-3 बूंदे पानी नाक में डालने से बेहोश रोगी जल्द ही होश में आ जाता है। www.allayurvedic.org
  10. गठिया रोग : गठिया के दर्द को दूर करने के लिए रीठा का लेप करने से लाभ मिलता है।
  11. फोड़ा : सिर के फोड़े पर रीठा का लेप करने से उसकी सूजन और दर्द ठीक हो जाता है।
  12. दाद : 50 ग्राम रीठा की छाल, सड़ा हुआ गोला, नारियल, सड़ी गली सुपारी और 100 मिलीलीटर तिल का तेल और 400 मिलीलीटर पानी के साथ घोलकर और पानी में ही मिलाकर हल्की आग पर पकाने के लिए रख दें। जब पानी जल जाये और केवल तेल बाकी रह जाये तो इसे उतारकर छान लें। इस तेल को लगाने से छाजन, दाद, खुजली, चकते, फोड़े-फुन्सी आदि सारे त्वचा के रोग दूर हो जाते हैं।
  13. गुल्यवायु हिस्टीरिया : 4 या 5 रीठा को पीसकर 1 कप पानी में खूब मसल लें, फिर उससे निकले झाग को एक साफ कपड़े में भिगोकर रोगी को सुंघाने से हिस्टीरिया रोग की बेहोशी दूर हो जाती है।
  14. कामला (पीलिया रोग) : 15 ग्राम रीठे का छिलका और 10 ग्राम गावजवां को रात में 250 मिलीलीटर पानी में भिगों दें। सुबह उठकर ऊपर का पानी पी जाएं। 7 दिनों तक यह पानी पीने से भयंकर पीलिया रोग (पीलिया) पीलिया मिट जाता है।
  15. रीठा के छिलके को पीसकर रात को पानी में भिगोयें। सुबह ये पानी नाक में रोजाना 3 बार 2-2 बूंद टपकाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  16. कुष्ठ (कोढ़) : रीठा को पीसकर कुष्ठ रोगी (कोढ़ के रोगी) के जख्मों पर लेप करने से जख्म जल्दी भर जाते हैं।
  17. खाज-खुजली : कण्डू और खाज-खुजली होने पर रीठा का लेप करने से लाभ होता है।
  18. सिर का दर्द : पानी में रीठे की छाल को काफी देर तक घिसें और झाग आने पर उसी पानी को गर्म करके सुहाता हुआ 2 या 3 बूंद नाक के नथुनों में डालने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
  19. पानी में रीठे का छिलका घिसकर 2 बूंद नाक के नथुनों में डालने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
  20. बच्चों के विभिन्न रोग : रीठे के छिलके को पीसकर इसका चूर्ण बना लें। यह चूर्ण लगभग आधा ग्राम की मात्रा में शहद में मिलाकर बच्चे को पिलायें। इससे दस्त के साथ कफ (बलगम) बाहर निकल जाएगा और डब्बा रोग (पसली का चलना) समाप्त हो जायेगा। मूंग के बराबर मात्रा में अभ्रक दूध में घोलकर पिला दें। इससे कफ (बलगम) शीतांग होना, दूध न पीना, मसूढ़े जकड़ जाना आदि रोग दूर हो जाएंगें। इससे पसलियों का दर्द भी दूर हो जायेगा। पसलियों में सरसों का तेल, हींग और लहसुन पकाकर मालिश कर लें। पर छाती मे मालिश न करें।
  21. गंजापन : अगर सिर में गंज (किसी स्थान से बाल उड़ गये हो) तो रीठे के पत्तों से सिर को धोयें और करंज का तेल, नींबू का रस और कड़वे कैथ के बीजों का तेल मिलाकर लगाने से लाभ होता है।
  22. गले का दर्द : रीठे के छिलके को पीसकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शहद में मिलाकर सुबह-शाम रोगी को चटाने से गले का दर्द दूर हो जाता है।
  23. गले के रोग : 10 ग्राम रीठे के छिलके को पीसकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सुबह और लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शाम को पान के साथ या शहद में मिलाकर रोजाना लेने से गले के रोगों में आराम मिलता है।
  24. आधे सिर का दर्द : रीठे के फल को 1-2 कालीमिर्च के साथ घिसकर नाक में 4-5 बूंद टपकाने से आधे सिर का दर्द जल्द ही खत्म हो जाता है।
  25. रात को रीठे की छाल को पानी में डालकर रख दें और सुबह उसको मसलकर कपड़े द्वारा छानकर इसके पानी की 1-1 बूंद नाक में डालने पर आधे सिर का दर्द दूर हो जाता है।  www.allayurvedic.org
  26. रीठा का चूर्ण नाक से सूंघने से आधासीसी (आधे सिर का दर्द) का दर्द खत्म हो जाता है।
  27. आंखों के रोग : आंखों के रोगों में रीठे के फल को पानी में उबालकर इस पानी को पलकों के नीचे रखने से लाभ होता है।
  28. दांतों के रोग : रीठे के बीजों को तवे पर भून-पीसकर इसमें बराबर मात्रा में पिसी हुई फिटकरी मिलाकर दांतों पर मालिश करने से दांतों के हर तरह के रोग दूर हो जाते हैं।
  29. अनन्त वायु : मासिकस्राव के बाद वायु का प्रकोप होने से स्त्रियों का मस्तिष्क शून्य (सुन्न) हो जाता है। आंखों के आगे अंधकार छा जाता है। दांत आपस में मिल जाते हैं। इस समय रीठे को पानी में घिसकर झाग (फेन) बनाकर आंखों में अंजन (काजल की तरह) लगाने से तुरन्त वायु (गैस) का असर दूर होकर स्त्री स्वस्थ हो जाती है।
  30. रूसी : रीठा से बालों को धोने से बाल चमकदार, काले, घने तथा मुलायम होते हैं और बालों की फारस (रूसी) दूर होती है। रीठा के पानी से सिर को धोने से रूसी दूर हो जाती है।
  31. मिर्गी (अपस्मार) : रीठा के चूर्ण को रोगी को सुंघाने से मिर्गी नष्ट हो जाती है। रीठा के बीज, गुठली और छिलके समेत रीठे को पीसकर मिर्गी के रोगियों को रोजाना सुंघाने से मिर्गी रोग ठीक हो जाता है।
  32. सिर का दर्द : 1 ग्राम रीठा का चूर्ण और 2-3 ग्राम त्रिकुटा चूर्ण को 50 मिलीलीटर पानी में डालकर रखें। सुबह के समय पानी को छानकर अलग शीशी में भर लें। इस पानी की 4-5 बूंदे सुबह के समय खाली पेट रोजाना नाक में डालने से भीतर जमा हुआ कफ (बलगम) बाहर निकल जाता है। नासा रन्ध्र फूल जाते हैं तथा सिर दर्द में भी तुरन्त लाभ मिलता है।
  33. खूनी बवासीर : रीठे के फल में से बीज निकालकर फल के शेष भाग को तवे पर भूनकर कोयला बना लें, फिर इसमें इतना ही पपड़िया कत्था मिलाकर अच्छी तरह से पीसकर कपडे़ से छान लें। इसमें से 125 मिलीग्राम औषधि सुबह-शाम मक्खन या मलाई के साथ 7 दिनों तक सेवन करें। परहेज में नमक और खटाई नहीं खानी चाहिए।
  34. अतिसार : रीठा की साढ़े 4 ग्राम गिरी को पानी में मसलें, जब इसमें झाग (फेन) पैदा हो जाये तो इस पानी को विसूचिका (हैजा) और अतिसार (दस्त) के रोगी के पिलाने से लाभ होता है।
  35. मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन व कष्ट) : 25 ग्राम रीठे को रातभर 1 लीटर पानी में भिगोकर उसका छना हुआ पानी थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पिलाने से मूत्रकृच्छ (पेशाब करने मे परेशानी) में लाभ मिलता हैं।
  36. नष्टार्तव (मासिकस्राव बंद होना, रजोरोध) : रजोरोध में इसके फल की छाल या गिरी को बारीक पीसकर शहद में मिलाकर बत्ती बनाकर योनि में रखने से रुका हुआ मासिक-धर्म शुरू हो जाता है। www.allayurvedic.org
  37. दर्द : रीठा की गिरी के लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग चूर्ण को शर्बत या पानी के साथ लेने से शूल (दर्द) खत्म हो जाता है। 
  38. मर्दाना ताकत में वृद्धि : रीठे की गिरी को पीसकर इसमें बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर 1 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम 1 कप दूध के साथ सेवन करने से पौरुष शक्ति को बढ़ता है।
  39. विष : रीठे के फल को पानी में पकाकर, थोड़ी मात्रा में लेने से उल्टी के द्वारा जहर बाहर निकल जाता है।
  40. अफीम का विष : पानी में रीठे को इतना उबालें कि भाप आने लगे, फिर इस पानी को आधे कप की मात्रा में रोगी को पिलाने से अफीम का जहर उतर जाता है।
  41. बिच्छू का विष : रीठा के फल की मज्जा (फल के बीच का भाग) को तम्बाकू की तरह हुक्के में रखकर पीने से बिच्छू का जहर खत्म हो जाता है।
  42. रीठे के फल की गिरी को पीसकर उसमें बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर 1-2 ग्राम की गोलियां बना लें। इन गोलियों को 5-5 मिनट के बाद पानी के साथ 15 मिनट में ही 3 गोली लेने से बिच्छू का जहर खत्म हो जाता है।
  43. रीठे के फल को पीसकर आंख में अंजन (काजल) की तरह लगाने से तथा दंषित (काटे हुए स्थान) पर लगाने से भी बिच्छू के जहर में लाभ होता है।
  44. विषैले कीट : रीठे की गिरी को सिरके में पीसकर विषैले कीटों (कीड़ों) के काटने के स्थान पर लगाने से राहत मिलती है।
  45. बालों का मुलायम होना : 100 ग्राम कपूर कचरी, 100 ग्राम नागरमोथा और 40-40 ग्राम कपूर तथा रीठे के फल की गिरी, 250 ग्राम शिकाकाई, 200 ग्राम आंवला। सभी को एक साथ लेकर चूर्ण बना लें, फिर इस चूर्ण को लगभग 50 मिलीलीटर की मात्रा में पानी मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को बालों पर लगायें। इसके पश्चात बालों को गर्म पानी से खूब साफ कर लें। इससे सिर के अंदर की जूं-लींके मर जाती हैं और बाल मुलायम हो जाते हैं। रीठा, आंवला, शिकाकाई को मिलाने के बाद बाल धोने से बाल सिल्की, चमकदार, रूसी-रहित और घने हो जाते हैं।
  46. श्वास या दमा का रोग : श्वास कास (दमा) में कफ निकालने के लिए रीठे का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से 1.20 ग्राम देते हैं। इससे उल्टी होकर कफ निकल जाता है।
  47. रीठे के महीन चूर्ण का नस्य देने से भी श्वास रोग (दमा) में आराम मिलता है।
  48. बालों को काला करना : 250-250 ग्राम रीठा और सूखा आंवला पिसा हुआ और 25-25 ग्राम शिकाकाई की फली, मेंहदी की सूखी पत्तियां तथा नागरमोथा को मिलाकर एक साथ पीस लें। शैम्पू तैयार है। इसका एक बड़ा चम्मच पानी में उबालकर इससे सिर को धोयें। इससे सफेद बालों में कालापन आ जाएगा।
  49. पायरिया : 250 ग्राम रीठा के छिलके को भूनकर और बारीक पीसकर मंजन बना लें। रोजाना चौथाई चम्मच रीठे की राख में 5 बूंद सरसों का तेल मिलाकर मंजन करें। इससे लगातार 2 महीने तक मंजन करने से पायरिया रोग ठीक हो जाता है। www.allayurvedic.org
  50. रतौंधी (रात में न दिखाई देना) : रीठे को पानी के साथ पीसकर रोजाना 2 से 3 बार आंखों में लगाने से रतौंधी (रात मे न दिखाई देना) रोग में लाभ होता है।
  51. 2 रीठे के छिलके को रात को पानी में भिगोकर और सुबह पानी में ही मसल और छानकर इस पानी में सलाई डुबोकर दोनों आंखों में लगाने से रतौंधी (रात में न दिखाई देना) रोग ठीक हो जाता है।
  52. रीठे के छिलके को पीसकर पानी में मिलाकर सुबह सूरज उगने से पहले नाक में डालने से रतौंधी (रात में न दिखाई देना) का रोग दूर हो जाता है।
  53. उल्टी कराने वाली औषधियां : 3.50 मिलीलीटर से 7 मिलीलीटर तक रीठे का चूर्ण रोगी को पिलाने से उल्टी होना शुरू हो जाती है।
  54. दस्त : 1 रीठे को आधा लीटर पानी में पकाकर ठंडा करके फिर उस पानी को आधे कप की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम पीने से दस्त आना बंद हो जाता है।
  55. अरीठा या रीठा का चूर्ण नाक से सूंघने से आधासीसी (आधे सिर का दर्द) का दर्द खत्म हो जाता है।

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