➡ छाछ (Buttermilk) :
- छाछ का नियमित सेवन करने वाला कभी रोगी नहीं होता और न ही छाछ के सेवन से नष्ट हुए रोग दोबारा उत्पन्न होते हैं। जिस प्रकार देवताओं में अमृत ही जीवन है, उसी प्रकार मनुष्यों के लिए इस पृथ्वी पर छाछ अमृत स्वरूप है।
- छाछ पीने वाला व्यक्ति सुदृढ़ शरीर वाला, पुष्ट, बलवान और संतुष्ट रहकर कामदेव से भी अधिक रूपवान होकर सौ वर्षों तक जीता है। इतनी लाभकारी छाछ से दूर रहना ठीक नहीं है। इसका उचित व नियमित सेवन प्रत्येक व्यक्ति को आरंभ कर देना चाहिए। मट्ठे में कैल्शियम होता है जो अस्थियों को मजबूत और जोड़ों को स्निग्ध बनाता है। इस बात से तो आप भी इनकार नहीं कर सकते कि गर्मी के दिनों में एक ओर जहां भूख कम लगती है वहीं हर समय कुछ पीने का मन करता रहता है। वो भी ठंडे पेय पदार्थों को पीने का।
- यूं तो बाजार में कोल्ड ड्रिक, प्रीजरवेटिव फ्रूट ड्रिंक्स की भरमार है लेकिन घर में बनी चीजों की बात ही कुछ और है. सॉफ्ट ड्रिंक और बाजार में बिकने वाले दूसरे डिंक्स में शुगर की मात्रा बहुत अधिक होती है। जिससे कई तरह की बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आप चाहें तो कोल्ड ड्रिंक की जगह छाछ का नियमित सेवन कर सकते हैं।
- छाछ घर पर बना हुआ हो तो ये और भी स्वादिष्ट और सेहतमंद हो जाता है। वैसे अब बाजार में भी छाछ आसानी से मिल जाता है. रोजाना छाछ पीने से एक ओर जहां चेहरे पर चमक आती है वहीं जोड़ों के दर्द में भी राहत मिलती है। रोजाना छाछ पीने से पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है। www.allayurvedic.org
- यदि कैलाश पर्वत पर तक्र (छाछ) उपलब्ध होता तो भगवान शंकर के गले का विष नष्ट हो जाता और उनका कण्ठ नीला न होता, यदि बैकुण्ठ में उपलब्ध होता तो क्या विष्णुजी काले होते? जो देवलोक में उपलब्ध होता तो इन्द्र को भगन्दर न होता, चन्द्रमा का क्षय न होता और अग्नि में इतनी दाहकता न होती। कहने का तात्पर्य यह है कि छाछ के अन्दर विष, श्यामवर्ण, भगन्दर, क्षय-रोग, मोटापा, कोढ़, दाहकता आदि विकारों को नष्ट कर देने की शक्ति होती है। इस प्रकार यह स्वर्ग के अमृत से भी ज्यादा गुणकारी है।
- छाछ या मट्ठा शरीर से विजातीय तत्वों को बाहर निकालकर नव-जीवन प्रदान करता है। शरीर में रोग-प्रतिरोधक शक्ति उत्पन्न करता है। छाछ में घी नहीं होना चाहिए। गाय के दूध से बनी छाछ श्रेष्ठ होती है। छाछ पीने से जो रोग नष्ट होते हैं वे जीवनभर पुन: नहीं होते। छाछ खट्टी नहीं होनी चाहिए। पेट के रोगों में छाछ कई बार पियें। गर्मी में छाछ पीने से शरीर में ताजगी एवं तरावट आती है। नित्य नाश्ते एवं भोजन के बाद छाछ पीने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है एवं बनी रहती है। बाल असमय में सफेद नहीं होते। भोजन के अन्त में छाछ, रात्रि के मध्य दूध और रात्रि के अन्त में पानी पीने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
➡ छाछ (Buttermilk) के 55 अद्भुत फायदे :
- मोटापा : छाछ पीने से मोटापा कम हो जाता है। छाछ में काला नमक और अजवाइन मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।
- अपच : अपच या भोजन का न पचना के रोग में छाछ एक सर्वोत्तम औषधि है। तली, भुनी, गरिष्ठ चीजों को पचाने में छाछ बहुत ही लाभकारी होती है। छाछ आंतों में स्वास्थ्यवर्द्धक कीटाणुओं की वृद्धि करता है। यह आंतों में सड़ान्ध को रोकती है। छाछ में सेंधानमक, भुना हुआ जीरा तथा कालीमिर्च पीसकर मिलाकर सेवन करने से अजीर्ण (भूख न लगना) दूर हो जाता है।
- अम्लपित्त या एसिडिटी : एक गिलास छाछ में आठ पिसी हुई कालीमिर्च और स्वादानुसार पिसी हुई मिश्री मिलाकर हर दो घण्टे से पाँच बार में पाँच गिलास छाछ पीने से अम्लपित्त ठीक हो जाता है। पेट दर्द भूखे होने पर हो तो छाछ पीने से यह दर्द ठीक हो जाता है।
- कब्ज : छाछ में पिसी हुई अजवाइन को मिलाकर पीने से कब्ज दूर हो जाती है।
- 125 ग्राम दही की छाछ में 2 ग्राम अजवाइन और आधा ग्राम कालानमक मिलाकर खाना खाने के बाद लेने से पेट की गैस कम हो जाती है। इसको आवश्यकतानुसार 1 से 2 सप्ताह तक दिन में भोजन के बाद में ले सकते हैं।
- छाछ पीने से कब्ज, दस्त, पेचिश, खुजली, चौथे दिन आने वाला मलेरिया बुखार, तिल्ली (प्लीहा), जलोदर (पेट में पानी भरना), रक्तचाप की कमी या अधिकता दमा, गठिया, अर्धांगवात, गर्भाशय के रोग, मलेरियाजनित जिगर के रोग और मूत्राशय की पथरी में लाभ होता है।
- पेट कृमि या कीड़े : एक दिन जलेबी खायें। इससे पेट के कीड़े सब एकत्रित हो जायेंगे। दूसरे दिन से एक गिलास छाछ में नमक मिलाकर नित्य पियें। (2) एक गिलास छाछ में सेंककर पिसा हुआ जीरा एक चम्मच, पिसी हुई कालीमिर्च आधी चम्मच और स्वादानुसार नमक मिलाकर नित्य चार बार पियें। पेट के कृमि निकल जायेंगे।
- पेट की गैस : दिन के भोजन में एक बार भोजन के बाद एक गिलास छाछ में जरा-सा नमक, आधा चम्मच पिसी हुई अजवायन मिलाकर नित्य 21 दिन तक पीने से गैस बनना बन्द हो जाती है। पेट हल्का रहता है।
- मधुमेह : प्रात: भूखे पेट एक गिलास छाछ पियें। इसके बाद तत्काल ही टमाटर का एक गिलास रस पियें। तीन सप्ताह इस तरह सेवन करने से शक्कर (Sugar) सामान्य हो जायेगी।
- पथरी : गाय के दूध की छाछ में 10 ग्राम जवाखार मिलाकर पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।
- लू का लगना : छाछ में नमक डालकर पीने से लू लगने से बचा जा सकता है।
- जलोदर : छाछ में सोंठ, कालीमिर्च और पीपल का 240 मिलीग्राम पिसा हुआ चूर्ण और 1 ग्राम सेंधानमक डालकर पीने से जलोदर (पेट मे पानी भरना) ठीक हो जाता है।
- चित्रकूट के चूर्ण को छाछ के साथ पीने से जलोदर (पेट में पानी भरना) का रोग दूर हो जाता है।
- पेट के कीड़े : नमक और कालीमिर्च को पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इस चूर्ण को छाछ में मिलाकर रोजाना 4 दिन तक पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- छाछ में अजवायन का चूर्ण मिलाकर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
- छाछ में सेंधानमक मिलाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- बुढ़ापा नही झलकता : नित्य एक गिलास छाछ सदा पीते रहें। इससे बुढ़ापे का प्रभाव शरीर में नहीं दिखाई देगा। www.allayurvedic.org
- सेंधानमक, किरमानी अजवायन, वायविण्डग आदि को मिलाकर बारीक चूर्ण बनाकर 240 मिलीलीटर से लेकर 960 मिलीलीटर की ग्राम की मात्रा में छाछ के साथ सुबह और शाम सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
- गाय की छाछ में नमक मिलाकर सुबह के समय सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
- पेट में दर्द : खाली पेट होने के कारण होने वाले पेट के दर्द में छाछ पीने से लाभ होता है।
- 250 मिलीलीटर छाछ, 5 ग्राम भुना हुआ जीरा और 5 ग्राम कालानमक को मिलाकर पीने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
- छाछ में शक्कर (चीनी) और कालीमिर्च को मिलाकर पीने से पित्त के कारण होने वाला पेट का दर्द शांत हो जाता है।
- निम्नरक्तचाप : रोजाना सुबह-शाम 200-200 मिलीलीटर छाछ पीने से निम्नरक्तचाप सामान्य हो जाता है।
- पीलिया : पीलिया रोग में लगभग 1 ग्राम चिमक की जड़ का चूर्ण, आधा ग्राम फिरमानी अजवाइन (चौर) के चूर्ण को छाछ में मिलाकर पीने से लाभ होता है।
- 10 कालीमिर्च को पीसकर 1 गिलास छाछ में मिलाकर रोजाना 1 बार जब तक पीलिया का रोग रहे, पिलाते रहने से आराम आता है।
- सफेद दाग होने पर : सफेद दागों के रोग में रोजाना 2 बार छाछ पीने से बहुत ही लाभ मिलता है।
- सिर का दर्द : छाछ में कूठ रेण्डी की जड़ और सौंठ को पीसकर करके हल्का गर्म करके माथे पर लेप की तरह से लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
- 240 मिलीग्राम से 360 मिलीग्राम जायफल को छाछ में मिलाकर पीने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है।
- अरुंषिका (वराही) : छाछ के काढ़े से सिर को बार-बार धोकर किसी भी चीज का लेप लगायें जो इस बीमारी में लाभदायक हो।
- जिगर की खराबी : 1-1 गिलास छाछ को दिन में 2-3 बार पीने से और कुछ न खाने से जिगर की खराबी दूर हो जाती है।
- मूत्रकृच्छ : छाछ में गुड़ मिलाकर पीने से मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) का रोग मिट जाता है।
- दाद : गाय की छाछ में ग्वारपाठे के बीजों को मिलाकर दाद पर लगाने से दाद ठीक हो जाता है।
- अजीर्ण : घी, तेल और मूंगफली अधिक खाने से अजीर्ण का कष्ट होने पर छाछ पीने से लाभ मिलता है।
- भांग का नशा : खट्टी छाछ पीने से भांग का नशा उतर जाता है। www.allayurvedic.org
- शक्तिवर्द्धक : छाछ पीने से पाचन संस्थान की शुद्धि होकर रस का भलीप्रकार संचार होने लगता है तथा आंतों से संबन्धित कोई रोग नहीं होता है। रोजाना छाछ पीने से शरीर की पुष्टि, बल, प्रसन्नता, चेहरे की चमक बढ़ती है। पिसी हुई अजवायन, कालानमक और छाछ तीनों को मिलाकर भोजन के अन्त में रोजाना कुछ दिन तक पीने से लाभ होता है। छाछ में कालीमिर्च और नमक मिलाकर भी पी सकते हैं।
- सौंदर्यवर्द्धक : छाछ से चेहरा धोने से चेहरे की कालिमा, मुंहासे के दाग और चिकनाहट दूर होती है और चेहरा सौंदर्यवान (चमकदार) बनता है।
- संग्रहणी : संग्रहणी सदृश्य (दस्त) रोगों में रोगियों को गाय के दूध की छाछ में सोंठ और पीपर का चूर्ण डालकर पिलाने से लाभ होता है। इस प्रयोग काल में आहार में केवल छाछ और चावल का ही प्रयोग करें।
- रक्तविकार : गाय की ताजा, फीकी छाछ पीने से रक्तवाहनियों (खून की नलियों) का खून साफ हो जाता है और रस बल तथा पुष्टि बढ़ती है तथा शरीर की चमक बढ़ जाती है। इससे मन प्रसन्न होता है तथा यह वात, कफ संबन्धी रोगों को नष्ट करती है।
- पेट का भारीपन : सोंठ, कालीमिर्च, पीपल और कालानमक को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को छाछ में मिलाकर पीने से पेट का भारीपन और अजीर्ण रोग (भूख न लगना) समाप्त हो जाता है।
- रक्तातिसार (खूनी दस्त) : छाछ में चित्रक की जड़ का चूर्ण मिलाकर पीने से पेचिश (खूनी दस्त) में लाभ मिलता है।
- अतिसार : ताजी छाछ में बेल के गूदे को मिलाकर पीने से अतिसार (दस्त) और पेचिश (खूनी दस्त) बंद हो जाते हैं।
- मलस्तम्भन : छाछ में अजवायन और नमक मिलाकर पीने से मलावरोध मिट जाता है।
- दांत निकलना : गर्मी में बच्चे को दांत निकालते समय दिन में 2 से 3 बार छाछ पिलायें। इससे दांत निकलते समय बच्चों को दर्द नहीं होता है।
- बच्चों के दांत निकलते समय छाछ में कालानमक मिलाकर दिन में 2 से 4 बार पिलाएं। इससे दांत निकलते समय दर्द नहीं होता तथा पेट का दर्द भी नष्ट होता है।
- छोटे बच्चों को रोजाना छाछ पिलाने से दांत निकलने में उनको अधिक दर्द नहीं होता है और बच्चों को दांतों का रोग भी नहीं होता है।
- मुंह के छाले : दही के पानी या मट्ठे से कुल्ले करने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
- मूत्ररोग : 360 मिलीग्राम से 480 मिलीग्राम पुराने गुड़ को छाछ के साथ खाने से मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) और सुजाक रोग में लाभ होता है। ककड़ी के बीज को छाछ के साथ या सुहागा 240 से 360 मिलीग्राम चूर्ण करके छाछ के साथ सेवन करने से मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) में लाभ करता है। जवाखार के साथ छाछ पीने से मूत्रकृच्छ और पथरी में लाभ होता है। भटकटैया का रस छाछ के साथ पीने से पेशाब के साथ आने वाला धातु बंद हो जाता है। इन्द्रजौ का छिलका दही में घिसकर रोगी को पिलाने से पथरी दूर होती है।
- दस्त : जीरे और चीनी को पीसकर बने चूर्ण को छाछ के साथ पीने से अतिसार (दस्त) का आना बंद हो जाता है।
- 125 ग्राम छाछ में 12 ग्राम शहद को मिलाकर 1 दिन में सुबह, दोपहर और शाम को पीने से दस्त का लगातार आना रुक जाता है।
- लगभग 250 ग्राम छाछ में 1 चम्मच शहद मिलाकर रोजाना दिन में 3 बार पीने से दस्त बंद हो जाते हैं।
- अग्निमांद्यता होने पर : लगभग 100 मिलीलीटर छाछ में 360 मिलीग्राम से 480 मिलीग्राम कालीमिर्च मिलाकर पीने से अग्निमांद्यता (भूख का कम लगना) में लाभ होता है। www.allayurvedic.org
- छाछ में सेंधानमक, कालीमिर्च और चित्रक की जड़ को पीसकर पीने से अग्निमांद्यता (भूख का कम लगना) का रोग दूर होकर भूख लगने लगती है।
- रक्तस्रावी बवासीर : छाछ में सेंधा नमक और सेंककर पिसा हुआ जीरा मिलाकर नित्य चार बार एक-एक गिलास पियें।
- अजीर्ण (घी, तेल और मूंगफली का) : घी, तेल और मूंगफली अधिक खाने से अजीर्ण होने पर, छाछ पीने से लाभ होता है।
- अाँतों में सूजन, गैस, अपच : गरिष्ठ भोजन से अपच होने पर खाना बन्द कर दें। छाछ में भुना हुआ जीरा, कालीमिर्च, पोदीना, सेंधा नमक पीसकर स्वाद के अनुसार मिलाकर दिन में तीन बार पियें। अपच दूर हो जायेगी। छाछ की जगह दही भी काम में ले सकते हैं।
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