निमोनिया एक संक्रमण है जो कि फेफड़ों को प्रभावित करता है। फिर भी, बच्चे और बड़ी उम्र के लोग इसे ज्यादा प्रभावित होते हैं क्यों कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता युवाओं की तुलना में कम होती है। जब भी उनमें यह संक्रमण होता है उन्हें कमजोरी महसूस होती है और उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करना जरूरी हो जाता है।
निमोनिया होने के कारण:
बरसात में भीगने, सर्दी लगने, धूल कण व कुहासे भरे वातावरण आदि में रहने के कारण तीव्र श्वसनी शोथ होता है। यह रोग अधिकतर सर्दियों के मौसम में होता है।
निमोनिया होने के लक्षण :
- तीव्र श्वसनी शोथ के साथ पहले खांसी होती है और फिर सफेद गाढ़ा बलगम निकलता है। पहले खांसी के साथ थोड़ा बलगम आता है। कुछ दिनों बाद बलगम का रंग पीला हो जाता है।
- बलगम में कभी-कभी खून के छींटे भी दिखाई देते हैं। स्टरनम के पीछे खरोंचता हुआ दर्द होता है जो खांसने से और भी बढ़ जाता है। इस रोग में हल्का बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द और भूख का नहीं लगना आदि रोग उत्पन्न होते हैं
- तीव्र श्वसनी शोथ बार-बार होने पर पुराना श्वसनी शोथ होने की सम्भावना रहती है। ब्रोंकोन्यूमोनिया और न्यूमोनिया इसके अन्य गम्भीर लक्षण होते हैं जो बूढ़ों व बच्चों में अधिक होते हैं।
विभिन्न औषधियों से उपचार :
1. भाप : पानी को उबालकर भाप लेने से बलगम पतला होकर बाहर निकल जाता है। इससे तीव्र श्वसनी शोथ ठीक होता है।
2. ब्लैक टी और मेथी का मिश्रण:
दो टी स्पून मेथी पाउडर में एक कप ब्लैक टी मिलाएँ। यदि आवश्यक हो तो चीनी भी मिलाएँ और दिन में एक बार पियें। इससे निमोनिया दूर होगा।
3. तुलसी की पत्तियों का रस
तुलसी की कुछ पत्तियाँ लें, इन्हें मसलकर इनका रस निकाल लें। इसमें थोड़ी काली मिर्च मिलाएँ और 6 घंटे में एक बार पियें। यह भी निमोनिया में कारगर है।
4. पुदीने की पत्तियाँ
पुदीने की कुछ पत्तियाँ लें, इन्हें मसलकर रस निकाल लें। इसमें एक टेबल स्पून शहद मिला लें और दो-तीन घंटों के अंतराल से लें।
5. त्रिफला और अश्वगंधा
खाने में त्रिफला और अश्वगंधा के साथ थोड़ी अदरक और इलायची मिलाने से भी निमोनिया का इलाज होता है।
6. लहसुन का पेस्ट
लहसुन से शरीर का तापमान कम होता है और यह निमोनिया में प्रभावी है। लहसुन की कुछ पोथियां लें और मसलकर इनका पेस्ट बना लें। इसे छाती पर मसलें।
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