अल्सर, जिसे अक्सर आमाशय का अल्सर, पेप्टिक अल्सर या गैस्ट्रिक अल्सर कहते हैं, आपके आमाशय या छोटी आँत के ऊपरी हिस्से में फोड़े या घाव जैसे होते हैं। अल्सर उस समय बनते हैं जब भोजन को पचाने वाला अम्ल आमाशय या आँत की दीवार को क्षति पहुँचाता है।
यह शरीर के भीतर कहीं भी हो सकता है; जैसे – मुंह, आमाशय, आंतों आदि में| परन्तु अल्सर शब्द का प्रयोग प्राय: आंतों में घाव या फोड़े के लिए किया जाता है| यह एक घातक रोग है, लेकिन उचित आहार से अल्सर एक-दो सप्ताह में ठीक हो सकता है|
आयुर्वेदिक नुस्खे :-
1. मुलहठी : मुलहठी की जड़ को पीसकर 4 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ दिन में 3 बार पीने आमाशय का जख्म ठीक होता है। मुलहठी की जड़ का 40 ग्राम काढ़ा बनाकर शहद मिलाकर सुबह-शाम पीने से आमाशय का जख्म एवं दर्द में आराम मिलता है।
2. पटोल : पटोल के बीजों का काढ़ा बनाकर 50 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार पीने से आमाशय का घाव व दर्द ठीक होता है।
3. पाठा : पाठे की जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से आमाशय का दर्द शांत होता है और उल्टी व कमजोरी दूर होती है।
4. चम्पा : चम्पा के फूलों का काढ़ा बनाकर पीने से आमाशय की पीड़ा में आराम मिलता है।
5. मूली : मूली के रस में नमक मिलाकर पीने से आमाशय का घाव ठीक होता है।
6. सागवान : सागवान की लकड़ी को पीसकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण 5 से 12 ग्राम खाने से पित्त के कारण होने वाले पेट (आमाशय) की जलन शांतहोती है।
7. पुदीना : 100 मिलीलीटर पुदीने का रस गर्म करके 9 ग्राम शहद और 6 ग्राम नमक मिलाकर पीने से उल्टी होकर पेट का दर्द ठीक होता है।
8. बबूल : बबूल की गोंद पानी में घोलकर पीने से आमाशय और आंतों की पीड़ा दूर होती है।
9. आम : आम की भुनी हुई गुठली की मींगी का चूर्ण बनाकर खाने से आंतों की कमजोरी दूर हो जाती है।
11. यदि पेट में जांच कराने के बाद घाव का पता चले तो संतरे का रस सुबह-शाम आधा-आधा कप इस्तेमाल करें| इससे घाव भर जाता है|
12. पिसे हुए आंवले का दो चम्मच चूर्ण रात को एक कप पानी में भिगो दें| सुबह उसमें आधा चम्मच पिसी हुई सोंठ, चौथाई चम्मच जीरा तथा दो चम्मच पिसी हुई मिश्री मिलाकर सेवन करें|
13. अल्सर के रोगियों को दो केले कुचलकर उनमें तुलसी के पत्तों का रस एक चम्मच की मात्रा में मिलाकर खाना चाहिए|
14. यदि अल्सर के कारण पेट में दर्द की शिकायत हो तो एक चम्मच जीरा, एक चुटकी सेंधा नमक तथा दो रत्ती घी में भुनी हुई हींग – सबको चूर्ण के रूप में सुबह-शाम भोजन के बाद खाएं| ऊपर से मट्ठा पिएं|
15.छोटी हरड़ दो, मुनक्का बीज रहित दो तथा अजवायन एक चम्मच-तीनों की चटनी बनाकर दो खुराक करें| इसे सुबह-शाम लें|
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