हृदय का दर्द जिसमें परिह्रद (कारोनरी) धमनी के सिकुड़ने से ह्रदय को पर्याप्त मात्रा में रक्त आपूर्ति न होने के कारण उरोस्थि (स्टर्नम हड्डी) के नीचे अचानक तेज दर्द उठता है तथा सीना जकड़ने लगता है। श्रम करने पर दर्द बढ़ जाता है और यह अक्सर बाएँ कंधे की ओर फैलकर नीचे बांह में जाता है अथवा ऊपर जबड़े में पहुंच जाता है। इससेसांस लेने में परेशानीहोती है और ह्रदशूल उत्पन्न हो जाता है।
विभिन्न औषधियों से उपचार-
- लहसुन: हृदय में दर्द और सांस फूलने पर लहसुन की 2-3 कलियों को चबाकर रस चूसने से बहुत लाभ होता है। पेट से गैस निकल जाने पर हृदय का दबाव भी कम होता है।
- अजवायन: 3 ग्राम की मात्रा में अजवायन का चूर्ण पानी के साथ सेवन करने पर हृदय शूल (दिल का दर्द) शांत होता है।
- चित्रक: चित्रक, त्रिकुटा और पिप्पली की जड़ 10-10 ग्राम मात्रा में लेकर 500 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर दिन में 2 बार पीने से दर्द में लाभ होता है।
- गिलोय: 10-10 ग्राम गिलोय और कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर, 3 ग्राम हल्के गर्म पानी से सेवन करने से हृदय शूल यानी दिल के दर्द में लाभ होता है।
- केला: केले के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर शहद को मिलाकर खाने से दिल के दर्द की समस्या नहीं रहती है।
- अकरकरा: अकरकरा और अर्जुन की छाल को बराबर की मात्रा में कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर, 3 ग्राम की मात्रा में चूर्ण को गाय के दूध से पीने पर दिल में दर्द नहीं होता है।
- नींबू: 250 मिलीलीटर पानी में 10 ग्राम शहद और नींबू का रस मिलाकर सेवन करने से दिल के दर्द में लाभ होता है।
- पीपलामूल: खस के 10 ग्राम चूर्ण में पीपलामूल का 10 ग्राम चूर्ण मिलाकर रख लें। इस चूर्ण को प्रतिदिन 2 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ सेवन करने से दिल के दर्द में लाभ होता है।