मिर्गी के दौरे पड़ने पर रोगी अपनी स्मरण शक्ति थोड़ी देर के लिए खो देता है और उसे किसी भी बात का ज्ञान नहीं रहता है। इस रोग में रोगी को बेहोशी आ जाती है, हाथ-पैर कांपने लगते हैं, मुंह से झाग निकलने लगता है, शरीर में कड़ापन आ जाता है, और दिमाग में असंतुलनता आ जाती है।
मिर्गी के लक्षण :
मिर्गी के दौरे पड़ने पर पहले हृदय कांपता है, पसीना आता है, चेतना शून्य हो जाती है, बेहोशी उत्पन्न होती है, अजीब आवाजें सुनाई देती हैं अथवा सुनने की शक्ति नष्ट हो जाती है। इस रोग में अन्न का न पचना, पेट में गुड़गु़ड़ाहट, नाक से मवाद तथा मुंह से लार गिरना, आंखों के आगे अंधेरा छाना, मोह उत्पन्न होना, स्वयं को अंधेरे में घुसता हुआ अनुभव करना, आंखों में विकार पैदा होना, हाथ-पैरों को इधर-उधर फेंकना और याद्दाश्त का नष्ट होना आदि मिर्गी के लक्षण हैं।
मिर्गी से बचने के उपाय
1.कलौंजी :
- एक कप गर्म पानी में 2 चम्मच शहद, आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से मिर्गी का रोग ठीक होता है।
2. नींबू :
- नींबू के साथ जरा सी हींग मिलाकर चूसने से मिर्गी में लाभ मिलता है।
- नींबू के रस के साथ गोरखमुण्डी को खाने से मिर्गी के दौरे आने बन्द हो जाते हैं।
- बिजौरे नींबू का रस और निर्गुण्डी का रस मिलाकर 3 दिन तक नाक में डालने से मृर्गी की बीमारी में आराम मिलता है।
3.प्याज :
- लगभग 74 मिलीलीटर प्याज के रस के साथ थोड़ा सा पानी मिलाकर सुबह पीने से मिर्गी के दौरे पड़ने बन्द हो जाते हैं।
- प्याज का रस सुंघाने से मिर्गी के कारण उत्पन्न बेहोशी दूर होती है।
4. लहसुन :
- लहसुन की 10 कली को दूध में उबालकर प्रतिदिन खाने से मिर्गी का रोग ठीक होता है।
- लहसुन को तेल में सेंककर प्रतिदिन खाने से मिर्गी के दौरे शान्त होते हैं।
- एक ग्राम लहसुन और तीन ग्राम तिल को पीसकर खाने से वायु द्वारा पैदा होने वाले मिर्गी के दौरे ठीक होते हैं।
- लहसुन को घी में भूनकर खाने से मिर्गी के दौरे ठीक होते हैं।
- लहसुन को पीसकर तिल के तेल में मिलाकर खाने या लहसुन और उडद के बडे़ बनाकर तिल के तेल में तलकर खाने से (अपस्मार) मिर्गी रोग दूर होता है।
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