जब गले की मांसपेशियों और आहार नली के तन्तुओं में दोष पैदा हो जाते हैं तो आहार नली फैलने और सिकुड़ने (संकुचन और प्राकुचन) की क्रिया ठीक से नहीं करती और ऐसा महसूस होता है कि गले में कुछ खाने के दौरान अटक-सा गया है। साथ-ही साथ सांस घुटने लगती है। इसे ही आहार नली का सिकुड़ना कहते हैं।

विभिन्न औषधियों से उपचार :

1. प्रसारिणी :

  • प्रसारिणी के पत्ते का रस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में कालीमिर्च के साथ रोजाना सुबह-शाम देने से लाभ होता है।
  • प्रसारिणी के शुद्ध तेल को गले पर रोजाना दिन में 2 से 3 बार मालिश करने से अन्ननली के सिकुड़ने की परेशानी में आराम मिलता है।

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