जब किसी दबाव या जहरीले पदार्थ खा लेने की वजह से पेट की दीवारों को बचाने वाली मूकोसा परत नष्ट हो जाती है तो अल्सर बनना शुरू होता है। केला मूकोसा कोषों में बढ़ोत्तरी करता है जिससे पेट को रसायनों से बचाने के लिए दीवारे बनती हैं और गैस्ट्रिक अल्सर नहीं होता है।
अल्सर होने के कारण :
- इस रोग में पक्वाशय रोगग्रस्त हो जाता है जिससे पक्वाशय में रस की वृद्धि होती है।
- गैस्ट्रिक अल्सर दूषित व भारी खाना खाने, अलग-अलग स्थानों पर पानी पीने, मानसिक तकलीफ अल्सर का कारण हो सकते है।
- गैस्ट्रिक अल्सर में जी मिचलना, उल्टी, ऊपरी भाग का दर्द, जलन, अम्ल की अधिकता, खट्टी डकारे, भूख के कारण पेट में दर्द होना आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं।
अल्सर ठीक करने के उपाय:
1. गाजर :
- गाजर का रस शहद के साथ प्रतिदिन 3 बार पीने से पक्काशय में होने वाले घाव व दर्द ठीक होता है।
- गाजर का रस पीने से अल्सर की उल्टी बंद होती है।
- गाजर के रस में किशमिश का रस मिलाकर पीने से गैस्ट्रिक अल्सर में आराम मिलता है।
2. नींबू
- 1 गिलास गर्म पानी में 1 कागजी नींबू को निचोड़कर पीने से गैस्ट्रिक अल्सर में लाभ मिलता है।
- 1 गिलास में नींबू का रस निकालकर 2 से 3 चम्मच शहद मिलकार प्रतिदिन 3 से 4 बार पीना से आमाशय का जख्म ठीक होता है।
भोजन और परहेज़ :
- दूध, मौसमी, चोकर समेत आटे की रोटी, चने की रोटी, सत्तू, नींबू, लौकी, परवल, पालक, बथुआ, पत्तागोभी, नाशपाती, आलूबुखारा, गाजर का मुरब्बा और मटर आदि का सेवन करना गैस्ट्रिक अल्सर के रोगियों के लिए हितकारी होता है।
- तेल, घी, डालडायुक्त, चटपटे, मसालेदा, भारी भोजन, भिंडी, करेला, आलू, फूलगोभी, अदरक का आचार, कालीमिर्च, कडुवा व खट्टे खाद्य पदार्थ, शहद, नशीले पदार्थ, सड़ी-गली चीजे, चाय-कॉफी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके सेवन से यह पेट रसों के साथ मिलकर हाइड्रोक्लोरिक एसिड अधिक पैदा करता है जिससे पेट में अल्सर बन जाता है।