मधु के शेष कार्बोहाईड्रेट में माल्टोज़, सकरोज़ एवं अन्य जटिल कार्बोहाईड्रेट होते हैं।मधु में नाममात्र को विभिन्न विटामिन एवं खनिजहोते हैं। अन्य सभी पोषक स्वीटनरों की भांति ही, मधु में अधिकांश शर्करा ही होती है और ये विटामिन या खनिजों का विशेष स्रोत नहीं है।[ मधु में अति लघु मात्रा में विभिन्न अन्य यौगिक भी होते हैं जो एंटीऑक्सीडेंट्स का कार्य करते हैं।

  • साथ ही क्राइसिनपाइनोबैंकसिनविटामिन सीकैटालेज़, एवं पाइनोसेंब्रिनभी होते हैं।फिर भी मधु के विशिष्ट संयोजन उसे बनाने वाली मधुमक्खियों पर व उन्हें उपलब्ध पुष्पों पर निर्भर करते हैं।शहद एक प्राकृतिक स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक आहार है जिसे त्‍वचा को सुंदर बनाने और मोटापा कम करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

मधु के फायदे और घेरलू इलाज :

1  मोटापा: 1 गिलास पानी में 1 चम्मच शहद मिलाकर रोजाना सुबह पीने से मोटापा कम हो जाता है।2. भूख न लगना: चुटकी भर कालीमिर्च को शहद के साथ दिन में 3 से 4 बार चाटने से भूख न लगना का रोग दूर होकर भूख खुलकर लगती है।

3. खांसी (कास): शहद को चुटकी भर लौंग के साथ दिन में 3 से 4 बार चाटने से खांसी में आराम मिलता है।

4. जलने का घाव: घी और शहद को मिलाकर जले हुए घाव पर लगाने से ठंडक मिलती है।

5. मसूढ़ों से खून आना: सोंठ, कालीमिर्च, सेंधानमक, शहद और घी मिलाकर सुबह-शाम मसूढ़ों पर मालिश करने से मसूढ़ों से खून आना बन्द हो जाता है।

6. सुन्दर दिखना: शहद को रोजाना चेहरे पर लगाने से चेहरे की चमक बढ़ जाती है।

7. आंव रक्त (पेचिश): यष्टिमधु को सूर्य के प्रकाश में सुखाकर खूब बारीक कूट-पीसकर छान लें। इसे भोजन के बाद 2 चम्मच पानी के साथ लेने से पेचिश के रोगी को लाभ मिलता है।

8. पथरी: मधुयष्टि, शिग्रुत्वाक, इलायची, पिप्पलीमूल, वासापत्र, पाषाण भेदमूल, प्रियंगु के बीज, छोटे गोखरू के फल तथा एरण्ड मूल सब को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। इसे लगभग 1 ग्राम के चौथे भाग काढ़े में 5 ग्राम शुद्ध शिलाजीत, 25 ग्राम शर्करा और 14 ग्राम शहद मिलाकर रोजाना सुबह-शाम पीयें। इससे सभी प्रकार की पथरीठीक होती है।