• भिंडी बहुत ही पौष्टिक सब्जी होती है। यह एक प्रकार की ऐसी सब्जी होती है जिसमें फाइबर अधिक मात्रा में होता है। यह आंतों को साफ करने के लिए अच्छी होती है। हमारे देश में भिंडी का उपयोग साग-सब्जियों के रूप में किया जाता है। 
  • भिंडी से सूप, साग, सब्जी, कढ़ी तथा रायता आदि बनाई जाती है। इसमें से रेशदार चिकना पदार्थ निकलता है। यह चिकना रस रंग में डालने के काम में आता है। यह कागज उद्योग के लिए भी उपयोगी होती है। यह कई प्रकार के रोगों को ठीक करने में अधिक उपयोगी होती है। 
  • जैसे : मंदाग्नि, प्रमेहसूजाकप्रदरपीनस तथा वातरोग आदि।

भिंडी के विभिन्न उपयोग

1 . पेचिश : इसकी सब्जी आंतों की खराश को दूर करती है इसलिए पेचिश रोगियों को इसका सेवन कराने पर उन्हें इससे अधिक लाभ मिलता है।

2. पेशाब में जलन : पेशाब की जलन को दूर करने के लिए भिंडी की सब्जी खाने से लाभ मिलता है तथा इसके सेवन से पेशाब साफ और खुलकर आता है।

3. धातु की पुष्टि : 20 से 25 कोमल भिंडी प्रतिदिन रोगी सेवन करें तो इससे धातु की पुष्ट होगी और शरीर में शक्ति आ जाएगी।

4. आमवात : भिंडी के मूल शर्करा के साथ खाने से आमवात रोग को ठीक करने में लाभ मिलता है।

5. प्रमेह : प्रमेह की जलन को दूर करने के लिए भिंडी के ताजा बीज पीसकर इसमें कुछ चीनी मिलाकर पीने से लाभ मिलेगा।

6. आंत उतरना (हर्निया) : बुधवार को भिंडी की जड़ कमर में बांधने से हार्निया रोग ठीक हो जाता है।

7. प्रदर रोग :

  • लगभग 50-50 ग्राम भिंडी की जड़, सूखा पिण्डारू, सूखे आंवले और विदारीकंद को लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें 25 ग्राम पिसी हुई मुलेठी मिलायें। इसमें से रोजाना 1 चम्मच चूर्ण गाय के दूध के साथ सेवन करने से प्रदर रोग में आराम मिलता है।
  • भिंडी की जड़ को सुखाकर चूर्ण बनाकर सुबह-शाम सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ होता है।

8. मधुमेह का रोग : भिंडी की डंडी काट लें। इसे छाया में सुखाकर पीस कर मैदा की छलनी से छान लें। इसमें बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर आधा चम्मच सुबह भूखे पेट ठंडे पानी से रोजाना फांके। इससे मधुमेह का रोग मिट जाता है।

किन बातो का रखे ख्याल: 

  •  यह शीतल प्रकृति के लोगों के लिए हानिकारक होती है। खांसी, मंदाग्नि और वायु से ग्रस्त रोगी को भिंडी का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसे रोगियों के लिए यह हानिकारक हो सकती है।