मिर्ग़ी एक ऐसा रोग है, जिसमें व्यक्ति अचानक जमीन पर गिर कर प्रायः अर्द्ध मूर्छितावस्था में रहता है। रोगी को इसका पूर्वाभास भी नहीं होता, कि उसे मिरगी (Epilepsy) का दौरा पड़ने वाला है।
इसमें रोगी हांफता है, मुंह से झाग उगलता है। उसकी आंखें फटी-फटी सी और पलकें स्थिर हो जाती हैं तथा गर्दन अकड़कर टेढ़ी हो जाती है। रोगी हाथ-पैर पटकता है, उसके दांत भिंच जाते हैं और मुट्ठियां कस जाती हैं। वह अजीब सी आवाज करने लगता है। दौरे के समय रोगी को सांस लेने में भी कष्ट होता है।
मिर्ग़ी के लक्षण :
- इन्हें तीन अवस्थाओं में बांटा जा सकता है। प्रथम अवस्था-सारा शरीर तन जाता है। यह अवस्था 30 सेकंड से अधिक नहीं होती, मरीज अपनी जीभ को दांतों से चबा सकता है। कई मरीजों को कपड़ों में पेशाब या पाखाना भी हो जाता है।
- द्वितीय अवस्था- यह अधिक उग्र होती है, दो से पांच मिनटों तक बनी रहने वाली इस अवस्था के दौरान मरीज को तेल झटके आते हैं। उसके मुंह से झाग निकलकर बाहर बहने लगता है, होंठ और चेहरा नीले पड़े जाते हैं। तृतीय अवस्था-झटके आना बंद हो जाता है। मरीज या तो होश में आ जाता है या वह फिर ऐसी अवस्था में रहता है।
मिर्ग़ी के लिए घरेलू नुस्ख़े :
- बकरी का दूध और मेंहदी : बकरी का दूध मिरगी के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होता है। पाव भर बकरी के दूध में 50 ग्राम मेंहदी के पत्तों का रस मिलाकर रोज सवेरे 2 सप्ताह तक पीने से मिरगी के दौरे बंद हो जाते हैं।
- तुलसी के पत्तियां : तुलसी कई बीमारियों में रामबाण की तरह कम करता है। तुलसी में काफी मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो मस्तिष्क में फ्री रेडिकल्स को ठीक करते हैं। मस्तिष्क की किसी भी प्रकार की बीमारी में अगर रोजाना तुलसी के 20 पत्तियां चबाकर खाया जाए तो यह काफी असरदार होता है।
- कद्दू : मिरगी के मरीजों के लिए कद्दू या पेठा सबसे कारगर घरेलू इलाज है। पेठे की सब्जी भी बनाई जाती है और आप इसकी सब्जी का भी सेवन कर सकते हैं, लेकिन इसका जूस रोज़ाना पीने से काफी फायदा होता है।
- मिट्टी का लेप : मिट्टी को पानी में गीला करके मरीज के पूरे शरीर लेप लगा दें। एक घंटे बाद नहा लें। इससे मिर्ग़ी के दौरे कम आएगे और मरीज थोड़ा बेहतर महसूस करेगा। यह इलाज काफी कारगर है।
- ब्राह्मी बूटी : ब्राह्मी के पत्ते हमारे घरों के आसपास खासकर जहां मिट्टी होते हैं, वहां उगते हैं। यह आकार में गोल और घुमावदार होता है। इसे रोज खाली पेट चबा कर खाने से न सिर्फ याददाश्त मजबूत होती है, बल्कि मिर्ग़ी के दौरे को भी यह कम करता है।