लाख (Lac) तरह की 
गोंद है, जो ज्यादा दूध वाले पेड़ों में से निकलती है। लाख में एक कीड़ा होता है जो लाल रंग का व बहुत ही छोटा होता है। लाख बनाने में इन्हीं कीड़ों का दारोमदार होता है। जिस दूध वाले पेड़ पर ये कीड़े चढ़ा दिए जाते हैं उसी पेड़ से लाख पैदा होता है। पीपलकी लाख सबसे अच्छी मानी गई है।

  •  लाख शरीर को साफ करती है, सूजनोंको मिटाती है तथा दोषों को दूर करती है। लाख जिगरको मजबूत बनता है और दिल की बीमारीदूर करता है। यह फालिज, खांसी, लकवा, सांस रोगऔर पेट में पानी की अधिकता दूर करता है। लाख कांवर को मिटाती है, गुर्दे की कमजोरीको दूर करती है। वायु को नष्ट करती है। वीर्य और शारीरिक शक्ति को बढ़ाती है। 

लाख शरीर को साफ, शीतल, बलवान और स्निग्ध बनाती है। लाख गर्म नहीं होता तथा यह कफ, पित्त, हिचकी, खांसी,बुखार,फोडे़, छाती के अन्दर के घाव, सांप के जहर,पेट के कीड़ेऔर कुष्ठजैसी बीमारियों को दूर करता है।

विभिन्न रोगों में उपयोग :

 1. खांसी : लाख के चूर्ण को शक्कर की चासनी में मिलाकर पीने से खांसी दूर हो जाती है तथा कफ (बलगम) में खून आना बन्द हो जाता है।

2. उर:क्षत (सीने में घाव) : शुद्ध लाक्षा (लाख) के 1 ग्राम चूर्ण को लगभग 4 से 6 ग्राम शहद के साथ या 100 से 200 मिलीलीटर दूध के साथ अथवा 14 मिलीलीटर शराब के साथ दिन में दो बार सेवन करना चाहिए।

3. घाव : लाख को घी में भून लें, फिर इसे घाव पर रखकर पट्टी बांधें या तेल में मिलाकर लगायें। इससे घाव ठीक हो जाता है।

4. रक्तप्रदर :

  • लाख का चूर्ण गाय के घी में मिलाकर खाना रक्तप्रदर में लाभकारी होता है।
  • लाख को घी में भूनकर या दूध में उबालकर चूर्ण बनाकर रख लें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध में मिलाकर सेवन करने से रक्तप्रदर में लाभ मिलता है।
  • शुद्ध लाख 1-2 ग्राम को लगभग 100-250 मिलीग्राम चावल धोये पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से रक्त प्रदर में लाभ होता है।

5. रक्तपित्त : लाख और पीपल को बारीक पीसकर पाउडर बना लें। इस पाउडर को 1 ग्राम शहद के साथ 2-3 बार चाटें। इससे रक्तपित्त के कारण होने वाली खून की उल्टी बन्द हो जाती है।

6. नहरूआ (स्यानु) : लाख और देशी साबुन पीसकर गर्म करके नहरूआ के रोगी के घाव पर लगाने से लाभ मिलता है।

7. मस्तिष्कावरण शोथ : लाख से निकाले हुए तेल की मालिश पूरे शरीर पर करने से यह बहुत लाभ मिलता है।