- भटकटैया या कंटकरी एक छोटा कांटेदार पौधा जिसके पत्तों पर भी कांटे होते हैं। इसके फूल नीले रंग के होते हैं और कच्चे फल हरित रंग के लेकिन पकने के बाद पीले रंग के हो जाते हैं। बीज छोटे और चिकने होते हैं। भटकटैया की जड़ औषध के रूप में काम आती है।
- यह तीखी, पाचनशक्तिवर्द्धक और सूजननाशक होती है और पेट के रोगों को दूर करने में मदद करती है। यह प्राय पश्चिमोत्तर भारत में शुष्क स्थानों पर पाई जाती है। यह पेट के अलावा कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं में उपयोगी होती है।
सामग्री:
- भटकटैया की जड़ का काढ़ा -20 से 40 ml
- भटकटैया के पतों का रस- 2 से 5 मिलीलीटर
- भटकटैया का पंचांग
दवा बनाने की विधि :
- भटकटैया अस्थमा रोगियों के लिए फायदेमंद होता है।
- 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में भटकटैया की जड़ का काढ़ा सुबह शाम रोगी को देने से अस्थमा ठीक हो जाता है।
- इसके पत्तों का रस 2 से 5 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह शाम रोगी को देने से अस्थमा ठीक हो जाता है।
- या भटकटैया के पंचांग को छाया में सुखाकर और फिर पीसकर छान लें। अब इस चूर्ण को 4 से 6 ग्राम की मात्रा में लेकर इसे 6 ग्राम शहद में मिलाकर चांटे।
- इस प्रकार दोनों समय सेवन करते रहने से अस्थमा में बहुत लाभ होता है।