एरंडी को अरंडी (castor) के नाम से भी जाना जाता है एरंडी उत्तम वात नाशक है उसका तेल बेहद चिकनाई युक्त होता है इसीलिए इससे केस्ट्रोल नामक इंजिन लुब्रिकेंट भी बनता है ये वातनाशक, जकड़न दूर करने वाला और शरीर को गतिशील बनाने वाला होने के कारण इसे संस्कृत में गन्धर्व भी कहा जाता है देव् लोक में नृत्य करने वाले गन्धर्व जैसे सुडौल, सुकोमल, सुंदर और फुर्तीले तथा चमकीली त्वचा और घने केश कलाप लिए होते है यही गुण एरंड में पाए जाते है।
आज हम आपको एरंडी के पत्तो का प्रयोग घुटनों के दर्द में कैसे करे यह बताते है अगर आपके दोनों घुटनों में तकलीफ हो तो फिर आपको इस प्रयोग में 4 पत्ते लगेंगे एरंडी( अंडी )के पत्ते खुली हथेलियों जैसे आकार के होते है और इसकी खासियत यह है कि यह कही भी आसानी से उपलब्ध है।
एरण्ड या अरंडी के पत्तों के 11 फ़ायदे :
1. घुटनो का दर्द :
- एरंडी के पत्तो पर सीधी तरफ एरंड का तेल लगाए और इसे उल्टी तरफ से तवे पर गर्म करें अब गर्म किये हुए पत्तो को घुटने के आगे और पीछे लगाए तथा लम्बी पट्टी नुमा सूती कपड़े से बराबर बाँध ले और पूरी रात बंधे रखकर सुबह ही निकाले। यह प्रयोग रात्रि काल या कृष्ण पक्ष मे उत्तम असर दिखाता है क्योंकि रात्रिकाल वायु काल होता है और एरंड एक उत्तम वायु नाशक औषधि है यह प्रयोग एड़ी के दर्द याने वात कंटक रोग में भी बहुत काभ देता है तथा छाती में होने वाली गांठ, पीठ दर्द, छाती में कफ जमा होना, गर्दन दर्द और कमर तथा कूल्हों के दर्द में भी इसकी सिकाई बहुत लाभप्रद है।
2. मोटापा दूर करे :
- एरंड के पत्ते, लाल चंदन, सहजन के पत्ते, निर्गुण्डी को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें, बाद में 2 कलियां लहसुन की डालकर पकाकर काढ़ा बनाकर रखा रहने दें इसमें से जो भाप निकले उसकी उस भाप से गला सेंकने और काढ़े से कुल्ला करना चाहिए।
- एरंड के पत्तों का खार (क्षार) को हींग डालकर पीये और ऊपर से भात (चावल) खायें। इससे लाभ हो जाता है।
- अरण्ड के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से मोटापा दूर हो जाता है।
3. पेट की चर्बी :
- पेट पर चढ़ी हुई चर्बी को उतारने के लिए हरे एरंड की 20 से 50 ग्राम जड़ को धोकर कूटकर 200 मिलीलीटर पानी में पकाकर 50 मिलीलीटर शेष रहने पर पानी को प्रतिदिन पीने से पेट की चर्बी उतरती है।
4. बच्चों के पेट के कृमि या कीड़े :
- एरंड के पत्तों का रस नित्य 2-3 बार बच्चे की गुदा में लगाने से बच्चों के चुनने (पेट के कीड़े) मर जाते हैं।
5. बिच्छू के विष पर :
- एरंड के पत्तों का रस, शरीर के जिस भाग की ओर दंश न हुआ हो, उस ओर के कान में डालें और बहुत देर तक कान को ज्यों का त्यों रहने दें। इस प्रकार दो-तीन बार डालने से बिच्छू का विष उतर जाता है।
6. पीलिया :
- एरंड के पत्तों का रस 10 से 20 मिलीलीटर तक गाय के कच्चे दूध में मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से 3 से 7 दिन में पीलिया नष्ट हो जाता है। रोगी को दही-चावल ही खिलायें और यदि कब्ज हो तो दूध अधिक पिलाएं।
- 10 ग्राम एरंड के पत्ते लेकर, उन्हें 100 मिलीलीटर दूध में पीसकर छान लें और उसमें 5 ग्राम शक्कर मिलाकर दिन में 3 बार पीने से कामला रोग शांत हो जाता है।
7. वादी की पीड़ा :
- एरंड और मेंहदी के पत्तों को पीसकर लेप करने से वादी की पीड़ा मिट जाती है।
8. अर्श या बवासीर :
- एरंड के पत्तों के 100 मिलीलीटर काढ़े में घृतकुमारी या एलोवेरा का रस 50 मिलीलीटर मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
9. कमर का दर्द :
- एरंड के पत्तों पर तेल लगाकर कमर में बांधकर हल्का-सा सेंकने से शीत ऋतु में उत्पन्न कमर का दर्द शांत हो जाता है।
10. मोच :
- एरंड के पत्ते पर सरसों और हल्दी गर्म करके मोच वाले स्थान पर लगायें और पत्ते को उस पर रखकर पट्टी बांध दें।
11. कुष्ठ या कोढ़ या सफ़ेद दाग़ :
- एरंड के पत्तों को मट्ठे अर्थात लस्सी में पीसकर मालिश करने से हर प्रकार का `कोढ़´ दूर हो जाता है।