बादाम के पेड़ पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक पाये जाते हैं। इसके तने मोटे होते हैं। इसके पत्ते लम्बे, चौडे़ और मुलायम होते हैं। इसके फल के अंदर की मींगी को बादाम कहते हैं। बादाम के पेड़ एशिया में ईरान, ईराक, सउदी अरब, आदि देशों में अधिक मात्रा में पाये जाते हैं।
- हमारे देश में जम्मू कश्मीर में इसके पेड़ पाये जाते हैं। इसका पेड़ बहुत बड़ा होता है। बादाम की दो जातियां होती हैं एक कड़वी तथा दूसरी मीठी। बादाम पौष्टिक होती है। बादाम का तेल भी निकाला जाता है। कड़वी बादाम हमें उपयोग में नहीं लानी चाहिए क्योंकि यह शरीर के लिए हानिकारक होती है।
- कड़ुवा बादाम का प्रयोग सूजनों को ठीक करने में किया जाता है। यह शरीर के अंदर खराब खून को बिल्कुल साफ कर देता है जिससे चर्म रोगों (त्वचा संबन्धी रोगों) से छुटकारा मिलता है। इसका उपयोग सूखी और सर्द दोनों प्रकार की खांसियों के लिए लाभदायक होता है। यह छाती की हलचल (खरखराहट) और फेफड़ों की सूजन को खत्म करता है।
हृदय की बीमारी और कामला (पीलिया) को ठीक करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। यहपथरी को भी गलाता है। 4 ग्राम कड़वा बादाम शहद के साथ खाने पर पागल कुत्ते के काटने का जहर समाप्त हो जाता है।
सामग्री :
- बादाम की गिरी
- पिस्ता
- चिलगोजा की गिरी
- अखरोट की गिरी सफेद 10-10 ग्राम
- 20 ग्राम खसखस
- 20 ग्राम सूखा निशास्ता
- 100 ग्राम मिश्री
बनाने की विधि :
- खसखस और बादाम की गिरी को रात भर पानी में भिगोए रखें।
- सुबह बादाम की गिरी को छीलकर रखें तथा खसखस को पीसकर 400 मिलीलीटर पानी में भिगो देते हैं। बादाम की गिरी को बारीक पीस लेते हैं।
- अब खसखस का घोल, पिसी हुई मिश्री तथा बाकी बची हुई चीजों को मिलाकर हल्की आग पर गर्म करते हैं। घोल के रूप में हरीरा तैयार हो जाएगा।
सेवन विधि :
- आयु, पाचन शक्ति और शारीरिक शक्ति का ध्यान रखते हुए इसका सेवन करना चाहिए। सर्दी के मौसम में रोजाना बादाम हरीरा का सेवन करते रहने से दिमाग को बहुत ताकत मिलता है।
- चेहरे का रूखापन दूर होकर लालिमा होती है।
- सिर में चक्कर आने की शिकायत मिटती है।
- बादाम मंहगे होने की वजह से यह योग खर्चीला होता है लेकिन यह बहुत अधिक लाभकारी होता है।