• फालसे का विशाल पेड़ होता है। यह बगीचों में पाया जाता है। उत्तर भारत में इसकी उत्पत्ति अधिक होती है। इसका फल पीपल के फल के बराबर होता है। 
  • इसको फालसा कहते हैं। यह मीठा होता है। गर्मी के दिनों में इसका शर्बत भी बनाकर पीते हैं।
  • फालसा :यह खट्टा, फीका, गर्मी लाने वाला और लघु होता है तथा वायु का नाश करता है।
  • कच्चे फालसे : यह छोटा, गर्मी लाने वाला, गर्म, खट्टा, फीका और वात-नाशक होता है।

    पके फालसे : ये मीठे स्वादिष्ट, रुचिकर, शीतल, मलावरोध, धातुवर्धक, खट्टे होते हैं तथा वात, पित्तरक्तदोषप्यासजलन, टी.बी., सूजन और पित्त ज्वर को नष्ट करते हैं।

सामग्री:

  •  दस ग्राम पके हुए फालसे 
  • 5 दाने कालीमिर्च
  •  चुटकी भर सेंधानमक 
  • एक कप पानी 
  • थोड़ा-सा नींबू का रस 

बनाने की विधि:

  • हृदय की कमजोरी में दस ग्राम पके हुए फालसे, 5 दाने कालीमिर्च, चुटकी भर सेंधानमक लेकर घोट लें। 
  • उसमें एक कप पानी तथा थोड़ा-सा नींबू का रस मिलाकर कुछ दिनों तक नियमित रूप से पीने से हृदय की दुर्बलता, अत्यधिक धड़कन इत्यादि विकार शान्त हो जाते हैं 
  • और शरीर में शक्ति, बल की वृद्धि होती है। इसके साथ ही गरमी की तकलीफ भी दूर होती है।

नोट:

शरीर में गर्मी, भभका और जलन होने पर पका फालसा शक्कर के साथ खाना चाहिए।