हमारे शास्त्रो में यह बताया गया है कि सुबह नींद से जागते ही सबसे पहले बिस्तर पर अपने दोनों हाथों की हथेलियों का दर्शन करना चाहिए। इस विधान में यह भी बताया गया है कि हथेलियों के दर्शन के दौरान इस श्लोक का भी उच्चारण करना चाहिए।

श्लोक 

कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।

करमूले तु गोविन्द: प्रभाते कर दर्शनम्।।

श्लोक का अर्थ 

  • इसका अर्थ है कि हथेलियों के अग्र भाग में धन की देवी लक्ष्मी का वास है। वहीं मध्यभाग में विद्या की देवी सरस्वती औऱ मूल भाग में भगवान गोविंद का निवास है। इसलिये प्रात: काल मै अपनी हथेलियों का दर्शन करता हूं। इस श्लोक में धन की अधिष्ठात्री लक्ष्मी, विद्या की अधिष्ठात्री सरस्वती और शक्ति के स्त्रोत, सदगुणों के दाता, सबके पालनहार भगवान की स्तुति की गई है, ताकि धन, विद्या, यश, कीर्ति और प्रभु कृपा की प्राप्ति हो।
  • इसके अलावा हथेलियों का दर्शन करने का दूसरा उद्देश्य यह भी है कि सुबह नींद से जागते ही हमारी आंखे उनींदी होती है। इसलिये दूर की वस्तु पर सीधे नजर पड़से से हमारी आंखों पर इसका खराब असर पड़ सकता है। लेकिन हथेलियों के दर्शन करने से धीरे-धीरे हमारी दृष्टि स्थिर हो जाती है । इसकी वजह से आंखों पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।