मित्रो आज मैं आपको श्री राजीव दीक्षित जी द्वारा बताई गई मुँह की लार का महत्व बता रहा हूँ नीचे बताए गये  सभी उपाय रात्रि में सोने से पहले दातों को साफ करके सोएँ और फिर सुबह उठकर बीना कुल्ला किये बिना थूके प्रयोग करे। ये मुह की लार हमारे शरीर की सर्वोत्तम अमृत तुल्य औषिधि है। जो केसा भी चश्मा हो उसको उतारने का गुण रखती है केसा भी दाद हो उसको ठीक करने का गन रखती है, लार बाज़ार में नही मिलती यह सभी के मुँह में भगवान ने उपहार स्वरुप दी है। आइये जाने लार क्या क्या कर सकती है।

➡ लार के 5 महत्त्वपूर्ण फायदे :
1. यदि किसी भाई बहन के आखों 😵 के नीचे काले घेरे हो गये हैं । वो सुबह मे मुह की लार से मालिश करें धीरे धीरे, तो ये काले घेरे ठीक हो जायेंगे लेकिन प्रयोग 1-2 महीने करना पड़ेगा।
2. जिनको भी चाहे कितने भी नंबर के मोटे 👓😎  चश्मे लगे हो वे भाई बहन सुबह उठकर पानी का कुल्ला किये बिना जो लार रात भर में इकट्ठी हुई वो आखों में काजल या गुलाब जल की तरह लगानी है यह आप रात को सोते समय और  सुबह 5 बजे उठकर बेड पर लगाये ताकि मुँह 1-2 घंटे बाद धोये तो लार का अपना काम कर सके। यकीन मानिये यह प्रयोग अद्भुत चमत्कारिक है श्री राजीव भाई जी दीक्षित कहते है की कैसा भी चश्मा हो उतरने के सौ प्रतिशत आसार रहते है लेकिन आपको प्रयोग तब तक जारी रखना पड़ेगा जब तक आपके चश्मे का नंबर धीरे धीरे कम होकर शून्य हो जाये परिणाम सौ प्रतिशत  मिलेगा लेकिन कुछ वक़्त लगेगा और लार का कोई साइड इफ़ेक्ट नही है लार से तो आँखों की रौशनी (6/6) भी बढ़ती है।
3.  डायबिटीज 🍇 के रोगियों को जहाँ चोट लगी है वहां सुबह की लार लगाये घाव भरने लगेगा।
4. जिन लोगों के जलने 🔥 से शरीर के किसी भी भाग में कोई दाग हो और नही जा रहा हो वे इसी लार की मालिश करें दाग त्वचा के रंग का होने लगेगा।
5. जिन लोगों के दाद हो गये हैं वे भी इस लार को प्रतिदिन सुबह उठते ही बिना कुल्ला किये रात भर की इकट्ठी मूंह की लार लगाये दाद देखते ही देखते छूमंतर हो जायेगा।

➡ ऐसी कई बीमारी का इलाज है ये मुह की लार आइये जानते है मुँह की लार में होता क्या है?
मुँह की लार में टायलिन नामक एंजाइम होता है जो हमारी पाचन क्रिया को बढाता है और जो मित्र गुटखा खाते हैं या थूकते रहते हैं धीरे धीरे ये लार बनना बंद हो जाती है और मुँह के कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। इस लार का PH मान 8.3 होता है। और आप ये सभी सुबह जो टूथपेस्ट करते हो वो करना बंद करे क्योकि इससे लार को हम थूक देते हैं।इसके स्थान पर नीम या बबूल की दातुन करे। ये दातुन करने से लार सर्वाधिक लार बनती है और जिससे दातुन किया उस भाग को काट कर निकाल दे और पानी मे भिगोकर रखें अगले दिन फिर उसी दातुन के अगले हिस्से को प्रयोग में ले सकते है।

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स्त्रोत : अमर बलिदानी श्री राजीव दीक्षित जी के व्याख्यानों से