आयरन और जिंक की कमी से होने वाले अनीमिया रोग को लाल चावल दूर करेगा प्रोटीन से भरपूर लाल चावल की फसल हिमाचल में कांगड़ा सहित आसपास के क्षेत्रों में तैयार हो गई है। लाल चावल में आयरन, जिंक और एंटीऑक्साइड भारी मात्रा में पाया जाता है. यह गर्भवती स्त्रियों के लिए बहुत ज्यादा उपयोगी है। पहाड़ी एरिया में उगाए जाने वाले इस धान का 25 क्विंटल बीज का इस्तेमाल इस बार पालमपुर के आसपास के एरिया में किया गया। यह धान झुलसा रोग के लिए प्रतिरोधी होने के साथ-साथ खेतों में 35 से 42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देता है।कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें तो लाल चावल 50 से 100 रुपये प्रति किलो बिक जाता है व इसकी मांग भी अधिक है। राज्य गवर्नमेंट ने 250 से 300 क्विंटल चावल की मांग इस बार विभाग से रखी है। चावल को कई रोगों के इलाज में प्रयोग में लाया जाता है और कुछ का विवरण नीचे दिया गया है।
ये है शोध की वजह :
लाल चावल में आम चावल के मुकाबले आयरन, जिंक और मैगनीज की मात्रा अधिक होती है. यही अच्छाई इसके शोध का आधार थी। कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस पर शोध कर अप्रैल में असम में हुई ऑल इंडिया राइस कांफ्रेंस में शिमला की छोहारटू किस्म को पेटेंट कराया था। लाल चावल में पाए जानेवाले पोषक तत्वों के कारण इसका इस्तेमाल मोटापे, मधुमेह, कैंसर और पेट से संबंधित बीमारियों के इलाज में किया जाता है।
बेहतर होगा स्वाद : लाल चावल का स्वाद फीका होता है। इसके स्वाद को ओर बेहतर बनाने के लिए अब कृषि विवि शोध भी करने जा रहा है। इसके लिए बासमती के साथ इसे मिक्स कर नयी किस्म तैयार की जाएगी, ताकि स्वाद बेहतर हो सके।
लाल चावल के 16 फ़ायदे :
- अतिसार व ज्वर : चावलो की खीलों (लाजा) को पीसकर सत्तू बनायें और आवश्यकतानुसार दूध या शहद, चीनी, जल आदि मिलाकर स्वादिष्ट कर लें। इस ’लाल तर्पण’ कहते है। इसे देशकाल और रोगी की दशानुसार सेवन करने से ज्वर मदात्यय, दाहकता या सीने की जलन, अतिसार आदि में लाभ होता है।
- आधासीसी : प्रातः सूर्योदय से पूर्व चावल की खील, 25 ग्राम के लगभग शहद के साथ खाकर सो जाये, ऐसा 2-3 दिन करने से अर्धावमस्तक-शूल (आधा सीसी रोग) दूर हो जायेगा।
- फोड़े की दाहकता : यदि शरीर के किसी भी अंग पर ऐसा फोड़ा निकला हो जिसमें अग्नि के समान जलन और दाहकता का अनुभव हो रहा हो, तो कच्चे चावलो को पानी में भिगोकर सिल पर पीसकर लेप करना चाहिये। इससे ठण्डक पड़ेगी और रोगी को चैन मिलेगा।
- भूख न लगना, अग्निमांध : अग्नि पर चावल पकाकर निचे उतारकर 20-25 मिनट के लिये उसमें दूध मिलाकर ढक्कर रख दें। तत्पश्चात् कमजोर और मंदग्नि से पिडि़त युवको को यह पथ्य देना चाहिये।
- आमाशय या आंत्र का शोथ : जलन (दाहकता) युक्त शोथ अथवा सूजन होने पर चावल की कांजी या चावल का मांड पिलाना लाभदायक रहता है। कांजी बनाने के लिये 1:40 के अनुपात में चावल के आटे में जल मिलाकर तैयार करना चाहिये। स्वाद के लिये दसमें नमक व नींबू का रस भी मिलाया जा सकता है।
- अतिसार : चावलों का आटा लेई की भाति पकाकर उसमें गाय का दूध मिलाकर रोगी को सेवन करायें।
- आन्तरिक व्रण : यदि आमाशय का व्रण जठराश्रित आन्तरिक हो तो नमक तथा नीबू का रस नही मिलाना चाहिये। सूजाक, चेचक, मसूरिका, रक्तदोष जन्य ज्वर, जलन व दहकता युक्त मूत्रविकार में नींबू के रस व नमक रहित चावल की कांजी या मांड का सेवन करना हितकर रहता है। यदि पेय बनाने के लिये लाल शालि चावल हो तो अत्युत्तम अन्यथा कोई चावल लिये जा सकते है।
- चेहरे के धब्बे या झाईया पड़ना : सफेद चावलों को शुद्व ताजा पानी में भिगोकर उस पानी से मुख धोते रहने से झाई व चकते साफ हो जाते है और रंग निखर आता है।
- पौरुष शक्ति : चावल दाल की खिचड़ी, नमक, मिर्च, हींग, अदरक मसाले व घी डालकर सेवन करते रहने से शरीर में पौरुष शक्ति में वृद्धि होती है, पतलापन दूर होता है। यह सुस्वादु खिचड़ी बल बुद्धि वर्द्धक मूत्रक और शौच क्रिया साफ करने वाली होती है।
- नेत्रों की लाली : सहन करने योग्य गरम भात (उबले चावल) की पोटली बनाकर सेंक करने से वादी एवं कफ के कारण नेत्रों में होने वाली दर्द युक्त लाली समाप्त हो जाती है।
- मल विकार : चिरवा (चिर मुश या चिड़वा) दुध में भीगोकर चीनी मिलाकर सेवन करने से पतला दस्त (मल भेदन) हो जाता है। किन्तु दही के साथ खाने से मल बंध हो जाता है। अतिसार ठीक हो जाता है। पानी में भली प्रकार धोकर दूध के साथ सेवन करने से चिरवा स्वास्थ्य के लिये हितकर हैै। इसस रंग में निखार आता है और शरीर पुष्ट होता है।
- हृदय की धड़कन : धान की फलियों के पौधो के उपरी भाग को पानी के साथ पीसकर लेपन करने से हृदय कम्पन और अनियमित धड़कन समाप्त हो जाते है।
- भांग का नशा, मूत्र रेचन, तृषा निवारण : चावल के धोवन में शक्कर और खाने का सोडा मिलाकर रोगी को पिलाने से नशा उतर जाता है। पेशाब खुलकर होता है। प्यास शांत करने के लिये इस धोवन में शहद मिला लेना चाहिए।
- मधुमेह व्रण : चावल के आटे में जल रहित (गाढ़ा) दही मिलाकर पुल्टिस बनाकर लेप कर दें। यह पुल्टिस रोग की दशानुसार दिन में 3-4 बार तक बदलकर बांध देने से शीध्र लाभ होता है।
- वमन होना : खील (लाजा या लावा) 15 ग्राम में थोड़ी मिश्री और 2-4 नग छोटी इलायची व लौंग के 2 नग डालकर जल मे पकाकर 6-7 उफान ले लें। 1-2 चम्मच थोड़ी देर बाद लेने से वमन होना रूक जाता है। खट्टी पीली या हरी वमन होने पर उसमें नींबू का रस भी मिला लेना चाहिये।
- सौंदर्यता : चावलों का उबटन बनाकर कुछ दिनों तक नियमित मलते रहने से शरीर कुन्दन के समान दीप्त हो जाता है।