जमालगोटा (Purgative Croton) :
- जमालगोटा को कुम्भिबीज, जयपाल, चक्रदत्त बीज, संस्कृत में जयपाल, मराठी में जमालगोटा, गुजराती में नेपालो, बंगाली में जयपाल तथा अंग्रेजी (English) में इसे Purgative Croton/Croton tiglium) के नाम हैं। यह एक झाड़ी है है जो की भारतवर्ष में सूखे जंगलों में पायी जाती है। इसके बीज मुख्य रूप से बहुत तीव्र विरेचक के रूप में प्रयोग किये जाने के लिए मशहूर हैं। बीज देखने में अरंड के बीजों जैसे होते हैं।
- जमालगोटा का रंग ऊपर से लाल, भूरा, काला भीतर सफेद होता है। इसका स्वाद कडुवा तथा जलन पैदा करने वाला होता है। इसकी प्रकृति गर्म है। जमालगोटा बहुत तेज दस्त लाता है। जमालगोटा में दूध, मट्ठा और दही मिलायें। इससे जमालगोटा में व्याप्त दोष नष्ट हो जाते हैं।
- शरीर को साफ करता है। सर्दी व गर्मी से लगने वाले रोगों में लाभकारी होता है। यह त्वचा (स्किन) की हर बीमारियों को दूर करता है। जमालगोटा का तेल भी दस्त पैदा करता है मगर इससे मालिश करने से अंग शक्ति बढ़ती है। यह बच्चों के डब्बा रोग (पसली चलना) को दूर करता है तथा भूख बढ़ाता है। इसके साथ ही यह कफ और वातनाशक है।
जमालगोटा (Purgative Croton) को शुद्ध करना :
- जमालगोटा को दूध में मिलाकर गर्म कर लें जब उसमें चिकनाई खत्म हो जाये तब समझे यह शुद्ध हो गया है।
जमालगोटा (Purgative Croton) के फायदे :
- मस्तिष्क ज्वर : सिर के बाल मुण्डवाकर 3 चम्मच जैतून के तेल में एक चम्मच जमाल गोटा का तेल मिलाकर मालिश करना लाभदायक होता है।
- ब्रेन हेमरेज व कोमा : मक्खन या शहद के साथ जमालगोटा के तेल की एक बूंद जीभ के नीचे रख देना फयदेमंद होता है। जरूरी होने पर दूसरे दिन भी यही प्रयोग दोहराया जा सकता है।
- कब्ज : जमालगोटा के बीज 30 मिलीग्राम से 60 मिलीग्राम या तेल आधा से एक बूंद मक्खन में मिलाकर खाने से पतले दस्त आते हैं। ध्यान रहे कि जब शौच रुक नहीं रहा हो तो ऐसी हालत में पानी में कत्था (खैर) को घिसकर नींबू का रस मिलाकर अच्छी तरह घोंटकर पिलाते रहें। इससे कब्ज नष्ट हो जाती है।
- पौरुष कमजोरी : जमालगोटे का तेल अंग के ऊपर लगाने से बहुत आनंदित लाभ मिलता है।
- नहरूआ (स्यानु) : जमालगोटा को पानी में पीसकर लेप करने से नहरूआ का रोग दूर हो जाता है।
- नासूर (पुराने घाव) : जमाल गोटा को पीसकर नासूर पर लेप करने से लाभ मिलता है।
- गंजापन : नींबू के रस में जमालगोटे के बीज को पीसकर सिर पर लगाएं। सूखने पर कुछ ही देर में धो लें। इसे प्रतिदिन लगाते रहें। इससे गंजापन का रोग नष्ट हो जाता है।
- चर्म (स्किन) रोग : जमाल गोटा को नारियल के तेल में पीसकर लेप बना लें और लगायें। इससे चर्मरोग नष्ट हो जाते हैं।
- सांप के काटने पर : जमाल गोटा का चूर्ण 100 मिलीग्राम की मात्रा में एक कालीमिर्च के साथ पीसकर पानी के साथ पिलाने से उल्टी होकर जहर निकल जाता है। फल को घिसकर डंक लगे स्थान पर भी लगाने से शीघ्र लाभ होता है।
- सिर दर्द : सिर दर्द होने पर जमालगोटा को पीसकर माथे पर मलने से सिर का दर्द दूर हो जाता है। कुछ समय बाद इसे पोंछकर घी लगा लें नहीं तो जलन होगी।
- बिच्छू का दंश : जमाल गोटा को पानी में घिसकर काटे हुए हिस्से पर लगायें। इससे बिच्छू का दंश ठीक हो जाता है।
- फोड़े-फुंसियां : जमाल गोटा और एरण्ड के बीज बराबर की मात्रा में पीसकर पानी में मिलाकर लेप बनाकर फोड़े-फुंसी और मुंहासे लगाने से लाभ मिलता है।
- दमा : जमालगोटे को दिये की लौ में जलाते हुए इसका धुंआ नाक द्वारा अन्दर लेने से श्वास रोग में लाभ मिलता है। या जमाल गोटा को गर्म कण्डे पर टुकड़े-टुकड़े करके डालें और उससे निकलने वाले धुएं को मुंह से अन्दर खींचकर नाक के बाहर निकालें। यह प्रयोग बार-बार दोहराएं या जले हुए जमाल गोटा के टुकड़े को पान में रखकर चबायें और खा लें इससे और भी अधिक लाभ होगा।
जमालगोटे का हानिकारक प्रभाव :
- जमालगोटा दस्त पैदा करता है, उल्टी लाता है और पेट में जलन पैदा करता है। जमाल घोटा का ज्यादा सेवन करना आमाशय व आंतों के लिए नुकसानदायक होता है। यह पेट में जलन , दर्द, और खून के दस्त पैदा करता है। इससे पेट में जख्म हो जाता है। इसका प्रयोग कम से कम करना चाहिए। यह मल को तोड़ता है। उल्टियाँ आनी शुरू हो जाती है। पेट में ऐंठन होती है। आँतों में जलन, घाव बन जाते हैं। खूनी दस्त भी हो सकते हैं।
जमालगोटे के विषैले प्रभाव को समाप्त करने का तरीका :
- गर्म पानी पियें।
- मिश्री, धनिया, दही खाने से आराम होता है।
- बिना घी निकाला छाछ पियें।
जमालगोटे में सावधनियाँ :
- इसके तेल और बिना शुद्ध किये बीजों का प्रयोग कदापि न करें।
- इसे गर्भावस्था में कभी प्रयोग न करें।
- इसका तेल उत्यंत उत्तेजक है। चमड़ी पर लग जाने पर यह फोड़े करता है।