त्वचा की लाली, चकत्ते, जलन, त्वचा के रंग में परिवर्तन और सूजन ये सभी त्वचा एलर्जी के संकेत हो सकते हैं। एलर्जी शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है और जब आप किसी त्वचा विशेषज्ञ के पास जाएंगे,
तो वह त्वचा विशेषज्ञ एलर्जी का इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं और क्रीम लिखेंगे लेकिन आप घर पर इसका इलाज करने के लिए इन सरल प्राकृतिक उपचारों की भी मदद ले सकते हैं।
आज के इस युग में त्वचा से संबंधित समस्याएं काफी जटिल समस्या बन चुकी है। इस जटिल समस्या से छुटकारा पाने के लिए लोग ना जाने क्या-क्या उपाय करते हैं । कई तरह की दवाइयां करते हैं, फिर भी कुछ खास असर नहीं पड़ता है।
आज हम जो नुस्खा आपको बताने जा रहे हैं। उसके इस्तेमाल से आप पुराने से पुराना दाद खाज और खुजली से छुटकारा पा सकते हैं। तो आओ देखें त्वचा से संबंधित कुछ बेहतरीन घरेलू उपाय।
एक कष्टदायक रोग चर्मरोग :
यह पूरे शरीर की चमड़ी पर कहीं भी हो सकता है। अनियमित खान-पान, दूषित आहार, शरीर की सफाई न होने एवं पेट में कृमि के पड़ जाने और लम्बे समय तक पेट में रहने के कारण उनका मल नसों द्वारा अवशोषित कर खून में मिलने से तरह तरह के चर्मरोग सहित शारीरिक अन्य बीमारियां पनपने लगती हैं जो मानव के लिए अति हानिकारक होती है।
दाद के लक्षण :
दाद में खुजली बहुत ज्यादा होती है की आप उसे खुजाते ही रहते हैं। खुजाने के बाद इसमे जलन होती है व छोटे-छोटे दाने होते हैं।
दाद ज्यादातर जननांगों में जोड़ोें के पास और जहाँ पसीना आता है व कपड़ा रगड़ता है, वहां पर होता है। वैसे यह शरीर में कहीं भी हो सकता है।
खाज (खुजली) :
इसमें पूरे शरीर में सफेद रंग के छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं। इन्हें फोड़ने पर पानी जैसा तरल निकलता है जो पकने पर गाढ़ा हो जाता है। इसमें खुजली बहुत होती है, यह बहुधा हांथो की उंगलियों के बीच में तथा पूरे शरीर में कहीं भी हो सकती है।
इसको खुजाने को बार-बार इच्छा होती है और जब खुजा देते है तो बाद में असह्य जलन होती है। यह छुतहाएवं संक्रामक रोग है। रोगी का तौलिया व चादर उपयोग करने पर यह रोग आगे चला जाता है, अगर रोगी के हाथ में रोग हो और उससे हांथ मिलायें तो भी यह रोग सामने वाले को हो जाता है।
उकवत (एक्जिमा) :
दाद, खाज, खुजली जाति का एक रोग उकवत भी है, जो अत्यंत कष्टकारी है। रोग का स्थान लाल हो जाता है और उस पर छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं। इसमे चकत्ते तो नही पड़ते परन्तु यह शरीर में कहीं भी हो जाता है। यह दो तरह का होता है। एक सूखा और दूसरा गीला। सूखे से पपड़ी जैसी भूसी और गीले से मवाद जैसा निकलता रहता है। अगर यह सर में हो जाये तो उस जगह के बाल झड़ने लगते हैं।
गजचर्म चर्मदख :
शरीर के जिस भाग का रंग लाल हो, जिसमें बराबर दर्द रहे, खुजली होती रहे और फोड़े फैलकर जिसका चमड़ा फट जाय तथा किसी भी पदार्थ का स्पर्श न सह सके, उसे चर्मदख कहते हैं।
विचर्चिका तथा विपादिका :
इस रोग में काली या धूसर रंग की छोटी-छोटी फुन्सियां होती हैं, जिनमें से पर्याप्त मात्रा में मवाद बहता है और खुजली भी होती है तथा शरीर में रूखापन की वजह से हाथों की चमड़ी फट जाती है, तो उसे विचर्चिका कहते हैं। अगर पैरों की चमड़ी फट जाय और तीव्र दर्द हो, तो उसे विपादिता कहते हैं। इन दोनों में मात्र इतना ही भेद है।
पामा और कच्छु :
यह भी अन्य चर्म रोगों की तरह एक प्रकार की खुजली ही है। इसमें भी छोटी-छोटी फुन्सियां होती हैं। उनमें से मवाद निकलता है, जलन होती है और खुजली भी बराबर होती रहती है। अगर यही फुन्सियां बड़ी-बड़ी और तीव्र दाहयुक्त हों तथा विशेष कमर या कूल्हे में हो तो उसे कच्छू कहते है।
चर्मरोग उपचार :
दाद, खाज, खुजली में आंवलासार गंधक को गौमूत्र के अर्क में मिलाकर प्रतिदिन सुबह शाम लगायें। इससे दाद पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
शुद्ध किया हुआ आंवलासार गंधक एक रत्ती को 10 ग्राम गौमूत्र के अर्क के साथ 90 दिन लगातार पीने से समस्त चर्मरोगों में लाभ होता है ।
दाद खाज और खुजली का घरेलू उपचार
नीम के पत्तों : 8 से 10 नीम के पत्तों को पीसकर दही में मिलाकर इस पेस्ट को दाद खाज और खुजली पर लगाने से काफी राहत मिलता है l
नींबू का रस : यदि आप दाद की समस्या से अधिक परेशान है तो, दाद को अच्छे से खुजाकर फिर उस पर नींबू का रस लगाएं। इसके इस्तेमाल के लिए सबसे पहले थोड़ा-सा नींबू का रस लें और फिर प्रभावित क्षेत्र पर नींबू का रस लगाएं और इसे सूखने के लिए छोड़ दें। इसे लगाने के बाद आपको थोड़ी सी जलन महसूस हो सकती है और त्वचा को परेशानी हो सकती है, लेकिन आपको खुजली नहीं करनी है। सूख जाने के बाद साफ़ पानी से इसे धों लें।
अजवाइन : दाद की समस्या से छुटकारा पाने के लिए अजवाइन को पीस लें फिर गर्म पानी में पेस्ट तैयार करें और इस पेस्ट को दाद पर लगाएं।
अनार के पत्ते : अनार के पत्तों को पीसकर दाद पर लगाने से जड़ से खत्म हो जाती है दाद की समस्या। यदि आप दाद खाज और खुजली के शिकार हैं तो खट्टे मीठे और चटपटी चीजें ना खाएं।
सरसों का तेल : 250 ग्राम सरसों का तेल लेकर लोहे की कढ़ाही में चढ़ा कर आग पर रख दे। जब तेल खूब उबलने लगे तब इसमें 50 ग्राम नीम की कोमल कोंपल (नयी पत्तिया) डाल दे। कोपलों के काले पड़ते ही कड़ाही को तुरंत नीचे उतार ले अन्यथा तेल में आग लग कर तेल जल सकता हैं। ठंडा होने पर तेल को छान कर बोतल में भर ले। दिन में चार बार एक्ज़िमा पर लगाये, कुछ ही दिनों में एक्ज़िमा नष्ट हो जायेगा। एक वर्ष तक लगते रहेंगे तो ये रोग दोबारा नहीं होगा।
मोम (शहद वाला) : आंवलासार गंधक 50 ग्राम, राल 10 ग्राम, मोम (शहद वाला) 10 ग्राम, सिन्दूर शुद्ध 10 ग्राम। पहले गंधक को तिल के तेल में डालकर धीमी आंच पर गर्म करें। जब गन्धक तेल में घुल जाए तो उसमें सिन्दूर व अन्य दवायें पाउडर करके मिला दें। सिन्दूर का रंग काला होने तक इन्हे पकायें और आग से नीचे उतारकर गरम-गरम ही उसी बर्तन में घोंटकर मल्हम (पेस्ट) जैसा बना लें। यह मल्हम एग्जिमा, दाद, खाज, खुजली, अपरस आदि समस्त चर्मरोगों में लाभकारी है। सही होने तक दोनों टाइम लगायें।