- नीम का नाम सुनते ही कई लोगो का मुंह कड़वाहट से भरा हो जाता है। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नीम ही दुनिया का एकमात्र ऐसा पेड़ है, जिसकी पत्तियां, फूल, तना, छाल, जड़, बीज हर एक भाग स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। नीम सबसे ज्यादा गुणो से भरा होता है। आयुर्वेद में भी नीम को बहुत ही महत्वपूर्ण औषधि माना गया है। असल में नीम इतने सारें औषधीय गुणों से भरा हुआ है कि इसे आप औषधि का पर्याय भी माना जाता है। आयुर्वेदिक मतानुसार नीम कडुवी होती है। यह वात, पित्त, कफ, रक्तविकार (खून को साफ करने वाला), त्वचा के रोग और 200 कीटाणुनाशक होती है।
- नीम मलेरिया, दांतों के रोग, कब्ज, पीलिया, बालों के रोग, कुष्ठ, दाह (जलन), रक्तपित्त (खूनी पित्त), सिर में दर्द, वमन (उल्टी), प्रमेह, दिल की जलन, गैस, अरुचि (भूख को बढ़ाने वाला), बुखार, पेट के कीड़ें, विष (जहर), नेत्र (आंखों) के रोगआदि रोगों को नष्ट करती है। नीम के पत्ते कड़वे, कृमिघ्न (कीड़ों के नाशक), पित्त, अरुचि तथा विष विकार में लाभ देते हैं। इसकी कोपले संकोचक, वातकारक, रक्तपित्त (खूनी पित्त), आंखों के रोग और कुष्ठ रोग नाशक होती हैं। नीम के फूल पित्तनाशक तथा कड़वे होते हैं।
- ये पेट के कीड़े और कफ को समाप्त करने वाले होते हैं।कच्ची निंबौली रस में कड़वी, तीखी, स्निग्ध (चिकनी), लघु, गर्म होती है तथा यह फोड़े-फुंसियां और प्रमेह को दूर करती है। नीम की छाल संकोचक, कफघ्न (कफ को मिटाने वाली), अरुचि, उल्टी, कब्ज, पेट के कीडे़ तथा यकृत (लीवर) विकारों में लाभकारी होती है। नीम की छाल में निम्बीन, निम्बोनीन, निम्बीडीन, एक उड़नशील तेल, टैनिन और मार्नोसेन नामक एक तिक्त घटक होता है। नीम में एक जैव रासायनिक तत्व प्राप्त होता है जिसे लिमानायड कहते हैं। लगभग 200 प्रकार के हानिकारक कीटाणुओं पर नीम का असर होता है।नीम के बीज दस्तावर और कीटाणुनाशक हैं। पुरानी गठिया, पुराने जहर और खुजली पर इसका लेप करने से आराम मिलता है। नीम के तेल की मालिश करने से लाभ होता है।
आज हम भी आपको नीम के कुछ ऐसे ही आयुर्वेदिक गुणों के बारें में बताने जा रहें है जिन्हें जानकर आपको भी नीम मीठा लगने लगेगा, आइए जानते है इसके बारे में…
नीम के 20 चमत्कारी फ़ायदे :
- एंटीबैक्टीरियल की शक्ति : जैसा कि हमने पहले भी बताया था कि नीम की पत्तियां, फूल, तना, छाल, जड़, बीज हर एक भाग स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। और इनमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीमाइक्रोबल गुण भरें हुए होते है जिनसे यह हमारें शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और हमारें शरीर को स्वस्थ और सुरक्षित रखता है। इसके अलावा नीम के यही गुण कई प्रकार के जख्मों और इन्सेक्ट बाइट्स को भी खत्म करने और उन्हें मिटाने में कारगार साबित होता है।
- नेचुरल फेसपैक : आपको जानकर हैरानी होगी कि नीम दुनिया का एकमात्र इकलौता फेसपैक है। हर कोई अपने चेहरें की परेशानियों को खत्म करने के लिए ना जाने कितने प्रकार की दवाईयां और क्रीम इस्तेमाल करता है लेकिन नतीजा वही रहता है। अगर आपको भी मुहांसे, झाइयां, ब्लैकहेड्स, स्किन इन्फेक्शन्स, त्वचा का रूखापन, तैलीय त्वचा, डार्क सर्कल्स, स्किन एजिंग, एक्जिमा जैसी कोई भी बीमारी या समस्या है तो उसके लिए नीम का बना घरेलू फेसपैक ही काफी है।
- बालो को बढ़ाये : नीम चेहरें को तो चमकीला बनाता ही है इसके अलावा ये बालों के लिए भी काफी असरकार और कारगार है। आप अपने बालों से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या से ग्रसित है तो इसके लिए भी नीम एक गुणकारी औषधि है। नीम बालों को घना बनाता है और इसके इस्तेमाल से बाल तेजी से बढ़ते हैं। नीम के इस्तेमाल से गंजेपन में भी राहत मिलती है और बाल झड़ना भी कम होते हैं। इसे तेल, शैम्पू, कंडीशनर, या पाउडर किसी भी रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
- अस्थमा से राहत : अस्थमा बीमारी जिस तरह से लोगो के बीच फैल रही है उससे ये एक खतरनाक रोग बनाता जा रहा है। आजकल बढते प्रदुषण के कारण भी अस्थमा रोग बच्चों में भी फैलता जा रहा है। लेकिन क्या आपको पता है कि नीम अस्थमा रोग के लिए रामबाण इलाज है !! जी हां, अगर अस्थमा के मरीजो को रोज़ाना नीम के तेल की कुछ बूंदों का सेवन कराया जाएं तो इससे काफी राहत मिलती है। और इसके नियमित सेवन से अस्थमा पूरी तरह दूर हो जाता है। साथ ही यह खासी,कफ और सांसों से संबंधित अन्य समस्याओं से भी निजात मिलती है।
- मधुमेह से बचाये : भाई कुछ भी कहों लेकिन डायबिटीज़ मरीज़ों के लिए तो नीम किसी रामबाण इलाज़ से कम नही है। असल में नीम का इस्तेमाल नॉन-इन्सुलिन डिपेंडेंट टाइप 2 डायबिटीज के इलाज़ के लिए किया जा सकता है। नीम के नियमित इस्तेमाल से शरीर का शुगर नियंत्रित रहता है और ब्लड शुगर लेवल कम हो जाता है और डायबिटीज़ से लंबे समय के लिए राहत मिलती है। ऐसे में नीम का इस्तेमाल डायबिटीज़ मरीज़ों के लिए रामबाण इलाज़ है।
- बालोंकाअसमयमेंसफेदहोना : नीम के बीजों के तेल को 2-2 बूंद नाक से लेने से और केवल गाय के दूध का सेवन करने से पालित्य रोग में लाभ होता है। या नीम के तेल को सूंघने से बाल काले हो जाते हैं। या नीम के बीजों को भांगरा और विजयसार के रस की कई भावनाएं देकर बीजों का तेल निकाल लें, फिर इसकी 2-2 बूंदों को नाक से लेने से तथा आहार में केवल दूध और भात खाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।
- नकसीर : नीम की पत्तियों और अजवायन को बराबर मात्रा में पीसकर कनपटियों पर लेप करने से नकसीर का चलना बन्द हो जाता है।
- लकवा : नीम के तेल की 3 सप्ताह तक मालिश करने से लाभ होता है।
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कील–मुंहासे : नीम के पत्ते, अनार का छिलका, लोध्र और हरड़ को बराबर लेकर दूध के साथ पीसकर लेप तैयार कर लें। इस लेप को रोजाना मुंह पर लगाने से मुंह और चेहरा निखर उठता है। या नीम की छाल के बिना नीम की लकड़ी को पानी के साथ चंदन की तरह घिसकर मुंहासों पर 7 दिनों तक लगातार लगाने से मुंहासे पूरी तरह से समाप्त हो जाते हैं। या नीम की जड़ को पानी में घिसकर लगाने से कील-मुंहासे मिट जाते हैं और चेहरा सुंदर बन जाता है।
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दाँत : नीम की टहनी और पत्तियों को छाया में सुखाने के बाद जलाकर राख बना लें। इसे पीसकर मंजन बना लें। सुगन्ध और स्वाद के लिए इसमें लौंग, पिपरमेंट और नमक को मिला लें। इससे पायरिया ठीक हो जाता है और दांत मजबूत होते हैं। नीम की कोपलों को पानी में उबालकर कुल्ला करने से दांतों का दर्द मिटता है।
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आंखोंकीसूजन : नीम की 10 से 15 हरी पत्तियों को 1 गिलास पानी में उबालें। इसके बाद इसमें आधा चम्मच फिटकरी को मिलाकर पानी को छान लें। इस पानी से आंखों को 3 बार सेंकने से आंखों की सूजन और खुजली ठीक हो जाती है।
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मोतियाबिन्द : नीम की बीज की गुठली के बारीक चूर्ण को रोजाना थोड़ी-सी मात्रा में आंखों में काजल के समान लगाना हितकारी होता है। नीम के तने की छाल (खाल) की राख को सुरमे की तरह आंखों में लगाने से आंखों का धुंधलापन दूर होता है। नीम या कमल के फूल के बारीक चूर्ण को शहद के साथ रात को सोते समय आंखों में काजल के समान लगाने से मोतियाबिन्द ठीक हो जाता है।
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पेट के कीड़े : नीम के पेड़ की छाल को उतारकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें, इस बने चूर्ण की 2 ग्राम को खुराक के रूप में हींग और शहद के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं। या नीम के पेड़ के ताजे पत्तों की कोपलों को पीसकर प्राप्त हुए रस को शहद के साथ मिलाकर पीने से पेट के कीड़े और खून की खराबियां मिट जाती हैं। या नीम के पत्तों को तिल के तेल में पकाकर छानकर रख लें, फिर इसी तेल की मालिश करने से सिर की जूं, लीख और बाहरी कीड़े समाप्त हो जाते हैं। या नीम की पत्तियों को सुखाकर अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 2 चुटकी की मात्रा में लेकर शहद के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। या नीम के पत्तों का रस शहद के साथ मिलाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
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एसिडिटी : धनिया, सौंठ, नीम की सींक और शक्कर (चीनी) को मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को सुबह-शाम पीने से खट्टी डकारे, अपचन या भोजन का न पचना और अधिक प्यास का लगना दूर होता है।
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पीलिया : कड़वे नीम के पत्तों को पानी में पीसकर एक पाव रस निकाल लें। फिर उसमें मिश्री मिलाकर गर्म करें और ठंड़ा होने पर पी जायें। इससे पीलिया रोग दूर होता है।
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खून की बीमारी (रक्त विकार) : नीम के फूलों को पीसकर चूर्ण तैयार कर लें। इस चूर्ण को आधा-आधा चम्मच सुबह-शाम नियमित रूप से सेवन करें और दोपहर को 2 चम्मच नीम के पत्तों का रस 1 बार प्रयोग करें।
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खाज–खुजली : नीम के बीजों के तेल में आक (मदार) की जड़ को पीस लें। इसके लेप से पुरानी से पुरानी खाज-खुजली मिट जाती है। या नीम का तेल या निंबोली को पानी में पीसकर खुजली वाले स्थान पर लगाने से आराम होता है। या रोजाना सुबह 25 मिलीलीटर नीम के पत्तों के रस को पानी के साथ पीने से खून साफ होता है और खुजली भी दूर होती है।
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बवासीर : 50 मिलीलीटर नीम तेल, कच्ची फिटकारी 3 ग्राम, चौकिया सुहागा 3 ग्राम को बारीक पीस लें। शौच के बाद इस लेप को उंगली से गुदा के भीतर तक लगाने से कुछ ही दिनों में मस्से मिट जाते हैं।
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सफेद कुष्ठ या सफेद दाग : ताजे नीम के पत्ते 5 पीस और हरा आंवला 10 ग्राम (हरे आंवले के अभाव में सूखा आंवला 6 ग्राम)। इसे सुबह सूर्योदय के पहले ही ताजे पानी में पीस-छानकर पीयें तथा केले के रस में पिसी हल्दी और गाय के पेशाब को मिलाकर सफेद दागों पर लगाने से लाभ मिलता है।
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दाद : नीम के 8 से 10 पत्तों को दही में पीसकर लेप करने से दाद समाप्त होता है।