गुडमार की सामान्य जानकारी : 

  • गुडमार की लता पूरे भारतवर्ष में 600 मीटर तक की ऊंचाई तक पायी जाती है। इसका लैटिन में नाम जिम्नेमा सिल्विसट्रे है। इसका पत्ता सरल, विपरीत, अण्डाकार या लट्वाकार, भालाकार होती है। पर्णवृंत 6 से 12 मिमी लंबे और रोमिल होते हैं; पटल 3 से 6 सेमी लंबा और 1 से 3 सेमी चौड़ा होता है। पत्ते की गंध, अप्रिय; स्वाद कड़वा और तीखा होता है।
  • गुड़मार या मेषश्रृंगी एक बहुत उपयोगी जड़ी-बूटी है। आयुर्वेद में इसके पत्तों और जड़ को औषधीय रूप से प्रयोग किया जाता है। जैसा की नाम से ही पता चलता है, यह जड़ी-बूटी गुड़ अर्थात मीठेपन को नष्ट करती है। इसका सेवन मधुमेह में बढ़ी हुई रक्तशर्करा को कम करता है। यह मधुमेह, जिसे डायबिटीज भी कहा जाता है, के उपचार में प्रभावी है।
  • गुड़मार के पत्ते स्वाद में कुछ नमकीन-कड़वे होते हैं तथा इन्हें चबाने पर जीभ की स्वाद करने की क्षमता कुछ समय के लिए नष्ट हो जाती है। इसी कारण इसे मधुनाशनी भी कहा जाता है।
  • यह जड़ी-बूटी बहुत सी एंटी-डायबिटिक दवाओं की एक महत्वपूर्ण घटक है। गुड़मार पाउडर Gudmar Leaf Powder के सेवन से शुगर नियंत्रण में रहती है। गुड़मार प्लाज्मा, रक्त, वसा और प्रजनन अंगों पर काम करता है। यह मूत्रल और भूख बढ़ाने वाला है। इसके पत्तों, जड़ के चूर्ण और काढ़े को अकेले ही या अन्य जड़ी-बूटियों के साथ प्रयोग किया जाता है।
  • चरक संहिता के अनुसार यह विरेचक है। इसका पौधा, कड़वा कसैला, तीखा, उष्ण, सूजन दूर करने वाला, पीड़ानाशक, पाचक, यकृत टॉनिक, मूत्रवर्धक, उत्तेजक, कृमिनाशक, विरेचक, ज्वरनाशक और गर्भाशय टॉनिक है।
  • गुड़मार छोटा, रूखा तथा स्वाद में कडुवा, पौष्टिक और गर्मप्रकृति का होता है। यह कफ-वात को नष्ट करने वाला, हृदय, टायफाइड को ठीक करने वाला, विष को दूर करने वाला, पथरी , हृदय रोग, बवासीर, जलन, पीलिया और आंख के रोगों को ठीक करने वाला होता है। इसे अधिक मात्रा में सेवन करने से जलन उत्पन्न होती है। मधुमेह तथा डायबिटीज से पीड़ित रोगियों के लिए यह बहुत लाभकारी औषधि है।

गुड़मार पत्ते के संघटक : 

  • ट्रीटरपेनॉइड सपोनिंस ऑफ़ जिमनेमिक एसिड A, B, C और D, ग्लुकुरोनिक एसिड, गलक्टरोनिक एसिड, फेरुलिक, एंजेलिक एसिड्स, जिमनेमागेनिन, जिमनेमिक एसिड, बीटेन, कोलिन, जिमनमिने अल्कलॉइड्स, इनोसिटोल, d-क्वेरसिटोल, हाइड्रोकार्बोन्स, रेज़िन, टार्टरिक एसिड, फोरमिक एसिड, ब्यूटिरिक एसिड, एमिनो एसिड्स।

गुड़मार के फायदे :

1. मधुमेह : 

  • इस आयुर्वेदिक पौधे में कुछ ऐसी एंटी-एथेरोस्‍क्‍लेरोटिक  क्रियाएं होती हैं। जो हमें कई महत्‍वपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य लाभ दिलाने में मदद करती हैं। गुड़मार में हाइपोग्‍लइसेमिक क्रिया होती है जिसका मतलब यह है कि यह मानव शरीर में रक्‍त शर्करा के स्‍तर को कम करने में मदद करता है। जिन लोगों को मधुमेह की समस्‍या होती है उन लोगों के लिए गुड़मार बहुत ही उपयोगी होता है। गुड़मार आपके रक्‍त प्रवाह में लिपिड की मात्रा को भी कम करने में मदद करता है। 
  • गुड़मार टाइप 2 मधुमेह के इलाज के लिए भी बहुत ही उपयोगी होता है। आमतौर पर मधुमेह मेलिटस टाइप 2 इंसुलिन की कमी के कारण उच्‍च रक्‍त ग्‍लूकोज द्वारा वर्णित एक चयापचय विकार है और अक्‍सर जीवन शैली और अनुवांशिक संयोजन के कारण होता है।
  • गुड़मार की पत्तियों में ऐसे गुण होते हैं जो चीनी की मात्रा को कम करने मे मदद करते हैं और टाइप 2 मधुमेह रोगियों में हाइपरग्लिसिमिया को नियंत्रित करने में प्रभावी होते हैं। इसलिए आप मधुमेह टाइप 2 रोग को कम के लिए गुड़मार का उपयोग कर सकते हैं जो आपके रक्‍त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है। 
  • मधुमेह प्रकार 1 की बीमारी में कोशिका अग्‍नाशय में इंसुलिन उत्‍पन्‍न नहीं करती हैं इस प्रकार रक्‍त और मूत्र में ग्‍लूकोज स्‍तर में वृद्धि हो जाती है क्‍योंकि चीनी को शरीर के द्वारा अवशोषित नहीं किया जा सकता है। यह वसा और प्रोटीन के चयापचय को भी प्रभावित करता है और अन्‍य संवहनी रोग का खतरा बढ़ा देता है। गुड़मार में एंटीऑक्‍सीडेंट गुण होते हैं जो आमतौर पर लैंगरहैंस के आइलेट्स को उत्‍तेजित करते हैं।
  • यह इंसुलिन को छिद्रित कोशिकाओं की झिल्‍ली पारगम्‍यता को भी बढ़ाता है। गुडमार की पत्तियों का सेवन करने से इं‍सुलिन निर्भर मधुमेह मेलिटस के रोगीयों का इलाज होता है। और टाइप 1 के उपचार में इसका संभावित उपयोग इसे रोकने और इलाज करने में मदद करता है।
  • ध्यान रहे : इस प्रकार की किसी भी आयुर्वेदिक जड़ी बूटी का सेवन करने से पहले अपनी शुगर की जाँच अवश्य करें और डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद ही इसका सेवन करें।

2. गठिया :

  • गुरमार गठिया जैसी समस्‍याओं के लिए एक पारंपरिक उपचार है। गठिया रोग के प्रारंभिक स्‍तर में यदि गुड़मार का उपयोग किया जाता है तो यह गठिया रोग को विकसित होने से पहले ही रोक देता है। इसमें एंटी-इंफ्लामैट्री गुण होते हैं जो गठिया के उपचार में मदद करता है। यह पानी के प्रतिधारण में भी मदद कर सकता है क्‍योंकि यह एक अच्‍छा मूत्रवर्धक होता है।

3. लिवर :

  • यकृत पेट के दाहिने ओर होता है जो एक बड़ा मांसल अंग है। यह लगभग 3 पाउंड वजन का होता है और यह लाल या भूरे रंग का होता है जिसे स्‍पर्श करने पर यह रबर की तरह महसूस हो सकता है। लेकिंन आप इसे छू नहीं सकते क्‍योंकि यह आपके शरीर के अंदर प‍सलियों के बीच होता है। 
  • गुड़मार के पूरक पदार्थों में हेपेट्रोप्रोटेक्‍टीव गुण होते हैं जो आपके यकृत के लिए टॉनिक का काम करते हैं। शायद आपको पता हो कि भारतीय सिरुमालाई पहाड़ियों में रहने वाली जनजातियां गुड़मार के हेपेट्रोप्रोटेक्‍टीव गुणों के कारण इसका उपयोग पीलिया (जॉडिंस) के उपचार में किया करती हैं।

4. मोटापा :

  • सन 2012 मे किये गए अध्‍ययनों से पता चलता है कि गुड़मार का उपयोग कर बढ़े हुए वजन को कम किया जा सकता है। 8 सप्‍ताह के दौरान शोधकर्ताओं ने मोटापे के लिए चूहों पर अध्‍ययन किया। जिसमें पाया गया कि गुड़मार के पूरक पदार्थों का सेवन करने से चूहों के वजन में कमी हुई। 
  • इस अध्‍ययन के परिणाम उल्‍लेखनी थे क्‍योंकि जिमनेमा ने शरीर के वजन, खाद्य खपत, ट्राइग्लिसराइड्स, कुल कोलेस्‍ट्रोल, एलडीए कोलेस्‍ट्रोल, वीएलडीएल कोलेस्‍ट्रोल और रक्‍त शर्करा में काफी कमी की। गुडमार का सेवन करने से HDL कोलेस्‍ट्रोल के स्‍तर को भी बढ़ाया जा सकता है। यदि आपको लगता है कि आपका वजन बढ़ रहा है तो आप इसे नियंत्रित करने के गुड़मार का उपयोग कर सकते हैं।

5. कोलेस्ट्रॉल :

  • कोलेस्‍ट्रोल एक मोम पदार्थ है जो शरीर में यकृत द्वारा बनाया जाता है लेकिन यह कुछ खाद्य पदार्थों में भी पाया जाता है। यह हर कोशिकाओं के लिए महात्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसमें उपस्थित विटामिन डी, कुछ हार्मोन और पाचन के लिए पित्‍त बनाने में भी मदद करता है। हालांकि रक्‍त में बहुत अधिक मात्रा में कोलेस्‍ट्रोल का होना दिल और परिसंचरण रोगों के खतरे को बढ़ा सकता है। 
  • गुड़मार में कुछ एंटीऑक्‍सीडेंट गुण होते हैं जो हानिकारक कोलेस्‍ट्रोल और आंत में ट्राइग्लिसराइड्स के अवशोषण से बचाते हैं और कोलेस्‍ट्रोल के स्‍तर को कम करते हैं। गुड़मार की एंथैथोस्‍क्‍लेरोटिक क्षमता हृदय धमनियों में कोलेस्‍ट्रोल के द्वारा अवरोध को कम करने के लिए प्रयोग की जाती है।

गुड़मार सेेवन का तरीका :

  • गुड़मार के पत्ते को दर्द, शोष, पाइल्स, अस्थमा, हृदय के रोगों, कफ, कृमि, कुष्ठ, आँखों के रोग, घाव, दांतों के कीड़ों, प्रमेह, और डायबिटीज के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
  • गुड़मार पत्ती को लेने की औषधीय मात्रा 3-6 ग्राम (सूखा पाउडर), 1-2 टेबलस्पून (ताज़ी पत्तियां) है। 
  • गुड़मार की जड़ को अस्थमा, कफ, हृदय के रोग, त्वचा के रोग, पेशाब के रोग, रक्त विकार और प्रमेह के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
  • इसको लेने की औषधीय मात्रा 1-2 ग्राम तथा काढ़े को 30- 50 ml की मात्रा में लिया जा सकता है।
  • काढ़ा बनाने के लिए 30 -50 g पाउडर को 200 ml पानी में उबाला जाता है जब तक पानी चौथाई रह जाए। इसे फिर छान कर पीया जाता है।

गुड़मार के हानिकारक प्रभाव : 

  1. जिन लोगों को दूध से एलर्जी होती है उन लोगों में गुड़मार का सेवन करने से प्रतिक्रिया हो सकती है। 
  2. गर्भवती या स्‍तनपान कराने वाली महिलाओं और छोटे बच्‍चों के लिए इसे सुरक्षित नहीं माना जाता है। इसलिए इन्‍हें गुडमार का सेवन करने से बचना चाहिए। 
  3. वे लोग जो एंटी- हाइपरग्‍लेसेमिक दवाएं या मधुमेह के लिए अन्‍य दवाएं ले रहे हैं उन्‍हें इस जड़ी बूटी का उपयोग करने से बचना चाहिए। अधिक मात्रा में गुड़मार का सेवन करने से यह आपके शरीर में कम रक्‍त शर्करा का कारण बन सकता है।