Left Side Sleep | बाएँ करवट सोना

सेहत के लिए खाना-पीना जितना जरूरी है उतना ही जरुरी सोना भी है। अच्छी नींद लेने से दिमाग शांत रहता है और पूरा शरीर उर्जा से परिपक्व रहता है, जिसकी वजह से अपने रोजमर्रा के काम सही तरीके से कर पाते हैं।

वैज्ञानिकों द्वारा किये गये एक शोध में पाया कि जो लोग अच्छे नींद लेते हैं वे लोग कम और ख़राब नींद लेने वालों की तुलना में ज्यादा स्वस्थ होते हैं।

ऐसे में स्वस्थ रहने के लिए बेहतर नींद अत्यधिक जरुरी है। कई बार गलत पोजीशन में सोने की वजह से बार-बार नींद खुलना या ख़राब नींद होने की समस्या होती है। सोने की भी एक विशेष नियम होती है, अगर नियमानुसार सोया जाये तो नींद बढ़िया होती है।

सोने का सही तरिका ही अपनाएँ वरना आपके सोने की ग़लत आदत बीमारियों को न्योता दे सकती है। आइये जानते हैं सोने के सही तरीके के बारे में…

किस करवट और क्यों सोए ये है वैज्ञानिक कारण

 

1. बायाँ तरफ सोएं :

बाएं तरफ पाचन तंत्र से सम्बन्धी महत्वपूर्ण अंग स्थित होते हैं और साथ ही साथ ह्रदय भी बायाँ तरफ होता है. बायाँ तरफ करके सोने से ह्रदय को प्राकृतिक सुरक्षा मिलती है, इसके अलावा खाया हुआ भोजन सही ढंग से पचता है. वैज्ञानिकों ने साबित कर दिया है कि बाएं तरफ सोने से दायें करके सोने की तुलना में ज्यादा फायदेमंद है।

बाएं तरफ सोने से रक्त संचार ठीक रहता है जबकि दायाँ सोने से शरीर में रक्त प्रवाह के लिए ह्रदय ज्यादा पम्पिंग नहीं कर पाता है और बाकि हिस्सों में रक्त संचार के लिए उसे अधिक जोर लगाना पड़ता है, जो कि ह्रदय के लिए उचित नहीं है।

 

2. घुटने मोड़कर न सोएं :

एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर के 40 प्रतिशत लोग घुटने मोड़े हुए पोजीशन में सोते हैं. इस पोजीशन में सोने से घुटने के जॉइंट पर बुरा प्रभाव पड़ता है और उसमें दर्द तथा थकान की समस्या होने लगती है।

अगर घुटने मोड़कर सोना ही है तो दोनों घुटनों के बीच तकिया रख दें. अगर स्वस्थ और अच्छी नींद लेना है तो इस पोजीशन न सोएं वही बेहतर है, इसके जगह पैर सीधा करके सो सकते हैं।

इस तरह All Ayurvedic द्वारा बताये गये सोने के इन सही तरीकों को अपनाएं और अच्छी नींद लें।

किस दिशा में सिर रखकर सोना चाहिए

आपका दिल शरीर के निचले आधे हिस्से में नहीं है, वह तीन-चौथाई ऊपर की ओर मौजूद है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ रक्त को ऊपर की ओर पहुंचाना नीचे की ओर पहुंचाने से ज्यादा मुश्किल है।

जो रक्त शिराएं ऊपर की ओर जाती हैं, वे नीचे की ओर जाने वाली धमनियों के मुकाबले बहुत परिष्कृत हैं। वे ऊपर मस्तिष्क में जाते समय लगभग बालों की तरह होती हैं। इतनी पतली कि वे एक फालतू बूंद भी नहीं ले जा सकतीं। अगर एक भी अतिरिक्त बूंद चली गई, तो कुछ फट जाएगा और आपको हैमरेज (रक्तस्राव) हो सकता है।

ज्यादातर लोगों के मस्तिष्क में रक्तस्राव होता है। यह बड़े पैमाने पर आपको प्रभावित नहीं करता मगर इसके छोटे-मोटे नुकसान होते हैं। आप सुस्त हो सकते हैं, जो वाकई में लोग हो रहे हैं। 35 की उम्र के बाद आपकी बुद्धिमत्ता का स्तर कई रूपों में गिर सकता है जब तक कि आप उसे बनाए रखने के लिए बहुत मेहनत नहीं करते।

आप अपनी स्मृति के कारण काम चला रहे हैं, अपनी बुद्धि के कारण नहीं। पारंपरिक रूप से आपसे यह भी कहा जाता है कि सुबह उठने से पहले आपको अपनी हथेलियां रगड़नी चाहिए और अपनी हथेलियों को अपनी आंखों पर रखना चाहिए।

दक्षिण दिशा की ओर सिर रखने के फायदे 

दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना बेहतर माना गया है. ऐसी स्थ‍िति में स्वाभाविक तौर पर पैर उत्तर दिशा में रहेगा. शास्त्रों के साथ-साथ प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, सेहत के लिहाज से इस तरह सोने का निर्देश दिया गया है। यह मान्यता भी वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है।

उत्तर की ओर क्यों न रखें सिर

दरअसल, पृथ्वी में चुम्बकीय शक्ति होती है. इसमें दक्षिण से उत्तर की ओर लगातार चुंबकीय धारा प्रवाहित होती रहती है. जब हम दक्षिण की ओर सिर करके सोते हैं, तो यह ऊर्जा हमारे सिर ओर से प्रवेश करती है और पैरों की ओर से बाहर निकल जाती है. ऐसे में सुबह जगने पर लोगों को ताजगी और स्फूर्ति महसूस होती है।

अगर इसके विपरीत करें सिर  

इसके विपरीत, दक्षिण की ओर पैर करके सोने पर चुम्बकीय धारा पैरों से प्रवेश करेगी है और सिर तक पहुंचेगी. इस चुंबकीय ऊर्जा से मानसिक तनाव बढ़ता है और सवेरे जगने पर मन भारी-भारी रहता है।

पूरब की ओर भी रख सकते हैं सिर 

दूसरी स्थ‍िति यह हो सकती है कि सिर पूरब और पैर पश्चिम दिशा की ओर रखा जाए. कुछ मान्यताओं के अनुसार इस स्थि‍ति को बेहतर बताया गया है. दरअसल, सूरज पूरब की ओर से निकलता है. सनातन धर्म में सूर्य को जीवनदाता और देवता माना गया है. ऐसे में सूर्य के निकलने की दिशा में पैर करना उचित नहीं माना जा सकता. इस वजह से पूरब की ओर सिर रखा जा सकता है।

कुछ जरूरी निर्देश

शास्त्रों में संध्या के वक्त, खासकर गोधूलि बेला में सोने की मनाही है।

सोने से करीब 2 घंटे पहले ही भोजन कर लेना चाहिए। सोने से ठीक पहले कभी भी भोजन नहीं करना चाहिए।

अगर बहुत जरूरी काम न हो तो रात में देर तक नहीं जागना चाहिए।

जहां तक संभव हो, सोने से पहले चित्त शांत रखने की कोशि‍श करनी चाहिए।

सोने से पहले प्रभु का स्मरण करना चाहिए और इस अनमोल जीवन के लिए उनके प्रति आभार जताना चाहिए।