Diabetes | Tejpat | Alzheimer | Headache | Urine Infection | Joint Pain | Bay Leaves 

तेजपात का पेड़ हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र में पाया जाता है। यह सिक्किम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में भी पैदा होता है। तेजपात सदा हरा रहने वाला पेड़ है। तेजपात का मसालों में प्रयोग किया जाता है। तेजपात का रंग हरा तथा ऊपरी भाग चिकना होता है। इस पर तीन स्पष्ट शिराएं दिखाई पड़ती है। इसमें लौंग तथा दालचीनी की तरह की खुश्बू होती है।

तेजपात को धूप में सुखाकर प्रयोग में लिया जाता है। तेजपत्ता हल्का, तीखा व मीठा होता है। इसकी प्रकृति गर्म होती है।  यह वातानुलोमक, मस्तिष्क (दिमाग) को शक्ति देने वाला, पेशाब को साफ करने वाला तथा आमाशय को शक्ति देने वाला होता है।

तेजपत्ता में दर्दनाशक तथा एंटी-ऑक्सीडेंड गुण पाए जाते हैं। हम हमारे शरीर को स्वस्थ करने के लिए महंगी से महंगी दवाईयों का उपयोग करते हैं लेकिन फिर कई बार हम जो सोचते हैं वैसे परिणाम हमें नहीं मिल पाते हैं । आजकल पथरी और डायबिटीज जैसी बीमारी भारत के हर तीसरे घर में हैं और आपको जानकर हैरानी होगी कि इस बीमारी का इलाज भी घर मे ही मौजूद हैं ।

हम आज आपको पथरी और डायबिटीज के बीमारी के इलाज के लिए ऐसी पत्ती के बारे में बता रहे हैं जो आपके घरों में मौजूद हैं । आपको जानकर आश्चर्य होगा लेकिन डायबिटीज जैसी बीमारी के लिए तेजपत्ता रामबाण इलाज साबित हो सकता हैं। अगर कोई व्यक्ति तेजपत्ते का नियमित सेवन करे तो उसकी डायबिटीज को कंट्रोल में रखा जा सकता हैं।

डायबिटीज के अलावा अगर कोई व्यक्ति पथरी से परेशान हैं तो उसे तेजपत्ते का सेवन करना चाहिए इसके लिए तेजपत्ते को उबालकर फिर उसके पानी को ठंडे करके पीना चाहिए। इससे कुछ ही दिनों में फर्क नज़र दिखने लगेगा। अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हैं तो नीचे कमेंट जरूर करें।

तेजपात या तेजपत्ते के फायदे | Tejpat Health Benefits | Diabetes | Tejpat | Alzheimer | Headache | Urine Infection | Joint Pain | Bay Leaves

मधुमेह में तेजपत्ते के प्रयोग : तेजपात को पीसकर बहुत बारीक चूर्ण बना ले। इसकी एक चम्मच नित्य तीन बार पानी से फंकी लेने से मधुमेह के रोगी को शीघ्र लाभ होता हैं। रक्तशर्करा शीघ्र घट जाती हैं। रात को एक चम्मच तेजपात का पाउडर एक कांच के गिलास में डालकर तीन चौथाई गिलास पानी से भर कर चम्मच से अच्छी तरह हिलाएं और ढक कर रख दे। सवेरे उस गिलास के पानी पर जैली जैसी परत जमी हुयी दिखेगी। इस परत को हटा कर फेंक दीजिये, और पानी को मलमल के कपडे से छानकर पियें। इसके बाद आधा घंटा कुछ भी ना खाए पियें। रात को पीसी हल्दी आधा चम्मच सोते समय एक कप पानी में घोलकर पियें। इसके बाद ठंडा पानी या दूध ना पियें। यह प्रयोग लम्बे समय तक करते रहे। मधुमेह नियंत्रण में रहेगा।

स्मरण शक्तिवर्धक – ‘अल्ज़ाइमर्स’ में उपयोगी : तेजपात मस्तक पोषक हैं। तेजपत्ता एसिटिलकोलाइनैस्टेरै नामक खतरनाक को बनने से रोकता हैं जो मस्तिष्क के सन्देश वाहक हॉर्मोन osteocalcin को तोड़ने का काम करता हैं। तेजपत्ता को नित्य खाए जाने वाले भोजन में शामिल करे। इससे स्मरणशक्ति बढ़ेगी और ‘अल्ज़ाइमर्स’ बीमारी पर नियंत्रण होगा।

माँ बनने का सुख : कभी कभी किसी स्त्री को ग-र्भधान ही नहीं होता और बांझपन की समस्या का सामना करना पड़ता हैं। किसी को गर्भ ठहरने के बाद ग-र्भस्त्राव हो जाता हैं। तेजपात दोनों ही समस्याओ को दूर करता हैं। तेजपात का पाउडर चौथाई चम्मच तीन बार पानी से नित्य फंकी ले। कुछ महीने तेजपात की फंकी लेने से ग-र्भाशय की शिथिलता दूर होकर ग-र्भधारण हो जाता हैं। जिन स्त्रियों को ग-र्भस्त्राव होता हो, वे गर्भवती होने के बाद इसी प्रकार तेजपात पाउडर की फंकी कुछ महीने ले। इस प्रकार तेजपात से गर्भ सम्बन्धी दोष दूर होकर ग-र्भधारण में सहायता मिलती हैं।

जुकाम खांसी : तेजपात कफजन्य रोगों को ठीक करता है। चौथाई चम्मच तेजपात पाउडर की गर्म पानी से नित्य तीन बार फंकी लेने से सर्दी जुकाम और खांसी ठीक हो जाती हैं। तेजपात और छोटी पीपल समान मात्रा में पीसकर आधा चम्मच चूर्ण को एक चम्मच शहद में मिलाकर तीन बार चाटने से खांसी ठीक हो जाती हैं।

जोड़ो का दर्द, मूत्रल, ज्वर या बुखार : तेजपात के चार पत्ते एक गिलास पानी में उबाले। उबलते हुए पानी आधा रहने पर छानकर नित्य तीन बार पियें। इससे पेशाब अधिक आता हैं, ज्वर या बुखार पसीना आकर उत्तर जाता हैं तथा पुन: ज्वर नहीं आता, बढ़ता। बदन का दर्द ठीक हो जाता हैं।

सिरदर्द : सर्दी या गर्मी में किसी भी कारण से सिरदर्द हो, तो तेजपात डंठल सहित पीसकर हल्का गर्म करके ललाट पर लेप कर दें। दर्द मिट जायेगा।

रक्तपित्त – रक्तस्त्राव : मुंह, नाक, मल, मूत्र किसी भी रास्ते से रक्त निकलने पर एक गिलास ठन्डे पानी में एक चम्मच पिसा हुआ तेजपात मिलाकर हर तीन घंटे बाद पिलाने से रक्तस्त्राव बंद हो जाता हैं।

दाँतो की सफाई : सूखे तेज पत्तो को बारीक पीसकर हर तीसरे दिन एक बार मंजन करें। इससे दांत चमकने लगेंगे।

सर्दी के रोग : सर्दी से शरीर में दर्द, नाक में सुरसुराहट, छींके आना, पानी गिरना, सिर में भारीपन, जलन, गला बैठना, तालु छिलना, आदि होने पर १० ग्राम तेजपात कूटकर तवे पर सेंककर रख लें। इसका १ भाग, २ कप पानी, स्वादानुसार दूध, चीनी मिलाकर चाय की तरह उबालकर, छानकर नित्य ३ बार पीने से सर्दी जनित रोग ठीक हो जाते हैं।

कमर का दर्द : 10 ग्राम अजवायन, 5 ग्राम सौंफ तथा 10 ग्राम तेजपात इन सब को कूट-पीसकर 1 लीटर पानी में उबालें। जब यह 100 ग्राम रह जाए तब इसे ठंडा करके पीएं इससे शीत लहर के कारण उत्पन्न कमर का दर्द ठीक हो जाता है।

मोच : तेजपात और लौंग को एक साथ पीसकर बना लेप बना लें। इस लेप को मोच वाले स्थान पर लगाएं इससे धीर-धीरे सूजन दूर हो जाती है और मोच ठीक हो जाता है।

मधुमेह (शूगर) का रोग और पथरी में   : तेजपात के पत्तों का चूर्ण 1-1 चुटकी सुबह, दोपहर तथा शाम को ताजे पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह रोग ठीक हो जाता है तो पथरी गल जाती है।

पेट के कीड़े : तेजपात और जैतून के तेल को मिलाकर गुदाद्वार पर लगाने से पेट के कीड़े मर कर बाहर निकल जाते हैं।

अपच : तेजपात (तेजपत्ता) का पीसा हुआ चूर्ण 1 से 4 ग्राम सुबह और शाम सेवन करने से पेट की गैस तथा अपच (भोजन का न पचना) की समस्या दूर हो जाती है।

नाक के रोग : लगभग 250 मिलीग्राम से 600 मिलीग्राम तक तेजपात का चूर्ण सुबह और शाम खाने से और इसके फल के काढ़े से रोजाना 2-3 बार नाक को धोने से नाक के रोग ठीक हो जाते हैं।

मानसिक उन्माद (पागलपन) : तेजपात को पानी के साथ पकाकर खाने से सर्दी के कारण हुआ पागलपन दूर हो जाता है।

बच्चों का रोना : 2 से 3 ग्राम तेजपात के चूर्ण को अदरक के रस और शहद के साथ बच्चो को खिलाने से बच्चों को होने वाले सभी रोगों में लाभ मिलता है।

विशेष : जो लोग आहार विहार विहार के नियमो का पालन करते हैं, उनको दवाओ की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। वे घर में ही उपलब्ध दालचीनी, तेजपात आदि के प्रयोगो से स्वस्थ हो सकते हैं।