कभी अपने सोच है कि क्या ऐसा संभव है कि किसी मंत्र या किसी विशेष पूजा से जिंदगी बदल जाए? ये सवाल मन में आना वाजिब है. लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि ऐसा संभव है।

कुछ खास महामंत्रों और पूजा से सचमुच आपकी जिंदगी बदल सकती है. इसे इस तरह समझिए कि आपके घर का नाम सोनू या बिन्नी है और बाकी लोगों को ये नहीं पता, सिर्फ घर वालों को ही पता है।

अब एक सिचुएशन देखिए कि घर से बहुत दूर आप किसी काम में व्यस्त हैं और कोई अनजान व्यक्ति आकर आपको सोनू या बिन्नी कहे तो आप कैसे रिएक्ट करेंगे।

आप चौंक जाएंगे और कहेंगे कि आपको कैसे पता और फिर आपके मन में ये खयाल आएगा कि ये जरूर मेरे परिवार से संबंधित या करीबी है. और तुरंत ही आप उसके प्रति सॉफ्ट हो जाएंगे और ज्यादा फ्रेंडली होंगे।

जबकि अगर वो आपको सोनू या बिन्नी नहीं कहते, तो शायद आप उसे अजनबी मान कर उसी तरह ट्रीट करते जैसे कि बाकी लोगों को आप करते हैं।

यानी शब्द सोनू और बिन्नी का जादू ऐसा चला कि आपका कॉमन बिहेबियर कॉमन नहीं रहा, बल्कि फ्रेंडली हो गया. वो शब्द आपकी फ्रेंडली पर्सनालिटी को सामने लाने के लिये पासवर्ड जैसे साबित हुए।

महामंत्र भी इसी तरह के पासवर्ड हैं, जो हमारे अगल-बगल या ब्रहृमांड में घूम रही कुछ खास कॉस्मिक एनर्जीज को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

इस एनर्जी को कुछ लोग भगवान बोलते हैं, तो कुछ सुपर नेचुरल पावर. वहीं कुछ लोग तो इन बातों पर शायद यकीन ही न करते हो. लेकिन जैसा कि आपने सुना होगा कि दुनिया यकीन पर टिकी है. ये सच है।

विश्वास पर सिर्फ दुनिया ही नहीं, आपके अंदर की धारणा, भगवान, भूत या सुपरनेचुरल पावर जैसी बातें भी टिकी हैं. चूंकि ये आपके विश्वास में मौजूद हैं और आपके दिमाग पर असर डाल रही हैं, तो यकीनन इस विश्वास को बढ़ाने वाला हर तरीका विश्वास को बढाएंगा और आप पर इनका असर होगा।

इन शब्दों के समूह बन कर मंत्र बनते हैं, मंत्र विश्वास को बढ़ाते हैं. मन पर असर डालते हैं, जब मन खुश होने लगता है, तो आपके फैसले ज्यादा विवेकपूर्ण होने लगते हैं. बहरहाल, सनातन धर्म में कॉस्मिक एनर्जी के सबसे बड़े स्रोत में से एक उपाय महाशिवरात्रि के दिन और रात दोनों ही हैं।

इस अहोरात्र ( दिन और रात ) के घटक, नक्षत्र, दिशाएं, कॉस्मिक एनर्जी ट्रांसमिशन का दौर कुछ अलग होता है और शिव पार्वती का स्वरूप स्वयं सर्वशक्तिशाली माना गया है. उस परम शक्तिशाली की ऊर्जा को प्रभावित करने या यूं कहें उससे सामंज्सय बिठाने के लिए कुछ खास शब्द समूह बने हुए हैं यानी मंत्र हैं. ये मंत्र पासवर्ड का काम करते हैं।

महामंत्र सिर्फ शब्द समूह नहीं होते, बल्कि शब्दों में जब भाव, उच्चारण, ध्यान, उसका रीपिटेशन, एक्सेंट, और टाइम ड्यूरेशन मिलता है, तब मंत्र बनता है. श्रीकृष्ण ने गीता में कहा ‘ श्रद्धावानं लभते ज्ञानं ‘…सिर्फ श्रद्धावान को ही ज्ञान मिलता है।

ठीक इसी तरह जिसके मन में श्रद्धा है मन में भाव पैदा कर सकता है और मंत्र को असरकारक बना सकते हैं. मंत्र एक तरह से एकॉस्टिक साइंस का हिस्सा है।

यह महामंत्र विशेष फ्रीक्वेंसी और रेजोनेंस पैदा करते हैं, जिससे वातावरण में मौजूद अणुओं (एटम) में कंपन (वाइब्रेशन) होता है और ये कंपन उन अदृश्य शक्तियों के अणुओं तक पहुंचता है, जो हमारे आसपास ब्रह्मांड में घूम रही है

महामंत्रों की खोज दरअसल बाबा गोरक्षनाथ ने की थी, आम भाषा में गोरक्षनाथ गोरखनाथ बन गया. और गोरखनाथ भगवान शिव का योगी रूप है. वही गोरखनाथ जिनकी वजह से हिमाचल की ज्यावा देवी मंत्री में आग की लौ आज भी जलती है।

हालांकि गोरखनाथ के कई मंत्र कीलक (पासवर्ड प्रोटेक्टेड) थे, इसलिए वो मंत्र सिर्फ उन्हीं के द्वारा काम करते थे जो उस पासवर्ड को खोलना जानते थे. लेकिन विभिन्न संतों महात्माओं ने उनमें कई तब्दीलियां की और आजकल के अधिकतर मंत्र वही है।

भारत के राज्य उत्तराखंड के पंडित सकला नंद बलोदी धर्म कर्मकांड और ज्योतिष के जानकार हैं वे बताते हैं कि कुछ मंत्र बडे सरल हैं और भगवान शिव की कृपा पाने में बाकियों से ज्यादा इफेक्टिव हैं।

वो कहते है कि पूजा और मंत्रों का जाप दो ऐसी क्रियाएं हैं जो भगवान शिव की कुछ एनर्जी को अपनी तरफ आकर्षित कर सकती है यही एनर्जी कृपा कही जा सकती है।

भगवान शिव की एनर्जी पाने के लिये ये ज़रुर ध्यान रखा कि विशेष पूजा के मुहूर्त क्या हैं. इस दिन रुद्राभिषेक का बहुत महत्व है. शिवलिंग कॉस्मिक एनर्जी का बहुत बडा स्रोत है।

जब रुद्राभिषेक में शिवलिंग पर कुछ द्वव्यों द्वारा मंत्रोंच्चार करते हुए स्नान कराया जाता है. किसी को कोई बीमारी हो और उससे निपटने की कृपा पाना चाहता हो तो कुशा (कांस) को जल में डालकर उस जल से रुद्राभिषेक करें।

लक्ष्मी की प्राप्ति चाहते हों तो गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें, और धन की प्राप्ति करनी हो तो शहद से करें,मोक्ष की कामना हो तो घी से करें।

खेती किसानी में कृपा पानी हो तो दहीं से करें, संतान का सुख लेना हो तो देसी गाय के दूध से रुद्राभिषेक करें. निष्काम कृपा पाना चाहते हों तो गंगाजल से करें और समस्य व्याधियों से मुक्ति चाहते हैं तो पंचामृत से रुद्राभिषेक करें।

अभिषेक करते समय जल या द्व्य की धारा धीरे धीरे शिवलिंग पर छोड़ें और मन में ओम नम: शिवाय या पसंद का मंत्र जाप करते रहें. महामृत्युजय मंत्र भी जाप कर सकते हैं।

यह भगवान शिव का महामृत्युंजन मंत्र प्राणघातक बाधाओं को दूर करने की उर्जा देता है , मंत्र इस प्रकार है — ।।ॐ हौं जूँ सः । ॐ भूर्भुवः स्वः । ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् । ॐ स्वः भुवः भूः ॐ । सः जूँ हौं ॐ।।

एक और मंत्र है जो गायत्री मंत्र से युक्त है गायत्री वेदों की देवी हैं –।। तत्पुरुषाय विदमहे महादेवाय धीमही तन्नो रुद्रोप्रचोदयात ।।

परेशानी से निपटने के लिये सिद्धि मंत्र है- ।।ॐ वामदेवाय नमों,ज्येष्ठाय नम: श्रेष्ठाय नमों,रुद्राय नम: कालाय नम: कलविकर्णाय नमो बल विकर्णाय नमो बलाय नमो बल प्रमथनाय नम: सर्व भूत दमनाय नमों मन्नोनमाय नम:।।

सर्वकामना सिद्धि मंत्र है- ।।अघोरेभ्यो अथघोरेभ्यो घोर घोरतरेभ्य: सर्वेभ्य: सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्र रुपेभ्य:।।

कुछ और मंत्र है जो मन शांति और शक्ति के लिये हैं – ।।ॐ सद्यो जाते प्रपद्यामि सद्यो जाताय वै नमो नम:।।

इसी तरह का एक और है- ।।भवे भवे न ती भवे भवस्य मां भवोतभवाय नम:।।

विद्या पाने में सहायक मंत्र है -।।इशान: सर्व विद्यानामिस्वर: सर्वभूतानाम ब्रह्माधपति ब्रह्मणोंधिपति ब्रहाशिवोमेअस्तु सदाशिवोम्।।

अलग-अलग कार्य के लिये एनर्जी जुटाने के लिये अलग अलग मंत्र हैं. ध्यान रहे कि पूजा और मंत्र जाप विधियां हम कृपा ( एनर्जी) पाने के लिये कर रहे हैं. लेकिन जीवन में कोई काम करने के लिये हार्ड वर्क (कर्म) और लक (भाग्य) दोनों जरूरी है।

यह इस दुनिया का नियम है, जो स्वयं परमात्मा का बनाया है. यानी भाग्य का पार्ट भगवान के हिस्से में है और कर्म का पार्ट इंसान के हिस्से में, कर्म का पार्ट तो खुद निभाना ही पड़ेगा।

कर्म बिना भाग्य भी नहीं बन सकता. आप बिना भाग्य के लोगों को कर्म करते देख सकते हैं, पर कर्म के बिना किसी भी भाग्यशाली को ढूंढने पर भी नहीं पाएंगे।