ज्योतिष की मानें तो हर कोई किसी न किसी ग्रह दोष से ग्रस्त रहता है. कई बार उसे पता नहीं चलता कि किस वजह से उसकी जिंदगी में तूफान थमने का नाम नहीं ले रही. किस वजह से जीना मुहाल हो रहा है. तो क्या हैं नवग्रह दोष के लक्षण और उससे निजात पाने के उपाय।
अगर बिना बात घर में कलह क्लेश हो, हर काम बनते-बनते बिगड़ जाते हैं, शत्रु अकारण परेशान कर रहे हों , सेहत नहीं दे रही साथ, मान सम्मान का हो रहा हो नाश, बच्चे की बुद्धि का नहीं हो रहा विकास तो आप नवग्रह दोषों से ग्रस्त हैं।
फिर तो आप जान लीजिए वो 9 उपाय जो खत्म करेगा 9 ग्रहों के दोष. ज्योतिषाचार्य राजकुमार शास्त्री ने हर ग्रह के बारे में विस्तार से बताया है।
1. सूर्य दोष के लक्षण:
असाध्य रोगों के कारण परेशानी, सिरदर्द, बुखार, नेत्र संबंधी कष्ट, सरकार के कर विभाग से परेशानी, नौकरी में बाधा।
उपाय: भगवान विष्णु की आराधना करें, ऊं नमो भगवते नारायणाय मंत्र का 1 माला लाल चंदन की माला से जाप करें, गुड़ खाकर पानी पीकर कार्य आरंभ करें।
बहते जल में 250 ग्राम गुड़ प्रवाहित करें, सवा पांच रत्ती का माणिक तांबे की अंगूठी में बनवायें, रविवार को सूर्योंदय के समय दाएं हाथ की मध्यमा अंगूली में धारण करें।
मकान के दक्षिण दिशा के कमरे में अंधेरा रखें, पशु-पक्षियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था करें घर में मां, दादी का आशीर्वाद जरूर लें।
चंद्रमा दोष के लक्षण:
जुखाम, पेट की बीमारियों से परेशानी, घर में असमय पशुओं की मत्यु की आशंका, अकारण शत्रुओं का बढ़ना, धन का हानि।
उपाय: भगवान शिव की आराधना करें, ऊं नम शिवाय मंत्र का रूद्राक्ष की माला से 11 माला जाप करें, बड़े बुजुर्गों, ब्रह्मणों, गुरूओं का आशीर्वाद लें।
सोमवार को सफेद कपड़े में मिश्री बांधकर जल में प्रवाहित करें, चांदी की अंगूठी में चार रत्ती का मोती सोमवार को जाएं हाथ अनामिका में धारण करें।
शीशे की गिलास में दूध, पानी पीने से परेहज करें, 28 वर्ष के बाद विवाह का निर्णय लें, लाल रंग का रूमाल हमेशा जेब में रखें, माता-पिता की सेवा से विशेष लाभ।
मंगल दोष के लक्षण:
घर में चोरी होने का डर, घर-परिवार में लड़ाई-झगड़े की आशंका, भाई के साथ संबंधों में अनबन, दांपत्य जीवन में तनाव, अकाल मृत्यु की आशंका।
उपाय: भगवान हनुमान की आराधना करें, ऊं हं हनुमते रूद्रात्मकाय हुं फट कपिभ्यो नम: का 1 माला जाप करें, हनुमान चालीसा या बजरंगबाण का रोज पाठ करें।
त्रिधातु की अंगुठी बाएं हाथ की अनामिका अंगूली में धारण करें, 400 ग्राम चावल दूध से धोकर 14 दिन तक पिवत्र जल में प्रवाहित करें, घर में नीम का पौधा लगायें।
बहन, बेटी, मौसी, बुआ, साली को मीठा खिलायें बहन, बुआ को कपड़े भेंट न दें, तंदूर की बनी रोटी कुत्तों को खिलायें।
बुध दोष के लक्षण:
स्वभाव में चिड़चिड़ापन, जुए-सट्टे के कारण धन की बड़ी हानि, दांत से जुड़े रोगों के कारण परेशानी, सिर दर्द के कारण अधिक तनाव की स्थिति
उपाय: मां दुर्गा की आराधना करें, ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का 5 माला जाप करें, देवी के सामने अखंड घी का दीया जलायें, घर की पूर्व दिशा में लाल झंडा लगायें।
सोने के आभूषण धारण करें, हरे रंग से परहेज करें, खाली बर्तनों को ढ़ककर न रखें, चौड़े पत्ते वाले पौधे घर में लगायें, मुख्य द्वार पंचपल्लव का तोरण लगायें, 100 ग्रíम चावल, चने की दाल बहते जल में प्रवाहित करें।
गुरू दोष के लक्षण:
सोने की हानि, चोरी की आशंका, उच्च शिक्षा की राह में बाधाएं, झूठे आरोप के कारण मान-सम्मान में कमी, पिता को हानि होने की आशंका।
उपाय: परमपिता ब्रह्मा की आराधना करें, बहते पानी में बादाम, तेल, नारियल प्रवाहित करें, माथे पर केसर का तिलक लगायें।
सोने की अंगूठी में सवा पांच रत्ती का पुखराज गुरूवार को दाएं हाथ की तर्जनी अंगुली में धारण करें, पूजा स्थल की नियमित रूप से सफाई करें, पीपल के पेड़ पर 7 बार पीला धागा लेपटकर जल दें।
600 ग्राम पीले चने मंदिर में दान दें, जुए-सट्टे की लत न पालें, मांसाहार-मद्यपान से परहेज करें, कारोबार में भाई का साथ लाभकारी संबंध मधुर बनायें रखें।
शुक्र दोष के लक्षण:
बिना किसी बीमारी के अंगूठे, त्वचा संबंधी रोगों से परेशानी, राजनीति के क्षेत्र में हानि, प्रेम व दापंत्य संबंधों में अलगाव, जीवनसाथी के स्वास्थ्य को लेकर तनाव।
उपाय: मां लक्ष्मी की आराधना करें, ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसिद प्रसिद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम, रोज रात में मंत्र का 1 माला जाप करें, मां लक्ष्मी को कमल के पुष्पों की माला चढ़ायें।
मंदिर में आरती पूजा के लिए गाय का घी दान करें, 2 किलो आलू में हल्दी या केसर लगाकर गाय को खिलायें, चांदी या मिटटी के बर्तन में शहद भरकर घर की छत पर दबा दें।
आडू की गुटली में सूरमा भरकर घास वाले स्थान पर दबा दें, शुक्रवार के दिन मंदिर में कांसे के बर्तन।
ग्रहों की नाराजगी को ऐसे करें दूर, जानिए किस ग्रह के लिए किया जाता है कौन-सा दान
किसी भी इंसान के धार्मिक जीवन में दान की अपनी एक अलग ही भूमिका होती है। शास्त्रों के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति दान नहीं करता है, तो उसका जीवन व्यर्थ माना जाता है। इस संसार में हर व्यक्ति अपनी श्रद्धा और आस्था के अनुसार दान करता है।
ज्योतिष शास्त्र में दान की अलग तरह से ही व्यख्या की गई है। ज्योतिष की उपाय शाखा में अपनी कुंडली के ग्रहों को साधने और ग्रहों से सकारात्मक परिणाम के लिए बताए उपायों में से दान भी शामिल है।
दरअसल दान ग्रहों की नकारात्मकता को कम करने के लिए किया जाता है एवं कई बार ज्योतिष ग्रहों के लिए भी दान करने की सलाह देते हैं।
उसमें यह भी कहा गया है कि जब आप परोपकार की दृष्टि से सहायतार्थ दान करते हैं, तो उसमें कोई नियम या फिर बधंन विशेष नहीं होता है। लेकिन ज्योतिषीय दृष्टि से किसी ग्रह के लिए कराया गया दान निश्चित दिन और मात्रा के नियम में होता है।
ज्योतिषीय उपाय के तौर पर जब आप किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान देते हैं, तो उसके मन में आपके लिए जो आशिषें निकलने की वो आपके संबंधित ग्रहों की नाराजगी को दूर करने में काफी कारगर साबित होता है।
दान देते समय आपकी श्रद्धा और आस्था जितनी मजबूत होगी, तो आपका दिया गया दान उतना ही कारगर साबित होगा।
बता दें कि किसी भी विशेष ग्रहों के लिए दान तभी कराया जाता है, जब आपके किसी संबंधित ग्रहों की दशा नकारात्मक चल रही होती है या फिर किसी गोचर में किसी ग्रहों की दशा नकारात्मक हो। तब ग्रहों की दशा आपके बुरे परिणामों को देखकर संघर्ष कर रही होती है।
जैसे मारकेश ग्रहों की दशा, कुंडली के अकारक ग्रहों की दशा, पीड़ित ग्रहों की दशा। जब जीवन में बाधाएं बढ़ती हैं या साढ़ेसाती, ढैय्या और वर्तमान नकारात्मक गोचर ग्रहों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए भी उस समय में विशेष ग्रह का दान किया जाता है।
तो ग्रहों के अनुसार ऐसे करें दान
सूर्य- गेहूं, गुड़, लाल वस्त्र, ताम्बे के बर्तन। चन्द्रमा- दूध, चावल, सफ़ेद वस्त्र।
मंगल- साबुत लाल मसूर, गुड़, लाल वस्त्र, ताम्बे के बर्तन। बुध- साबुत मूंग, हरी सब्जियां, कांसे के बर्तन।
बृहस्पति- चने की दाल, बेसन के लड्डू, पीले वस्त्र, गाय का घी। शुक्र- चावल, सफ़ेद मिठाई, सफ़ेद वस्त्र।
शनि- साबुत उड़द, सरसों का तेल, लोहे का सामान। राहु- सतनाजा, साबुत उड़द, नारियल, साबुत बादाम। केतु- कम्बल, साबुत उड़द और चावल का मिश्रण, सतनाजा।