➡ प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि :
- आजकल एक समस्या देखने को आ रही है प्रोस्टेट ग्लैंड (Prostate Gland) का ज्यादा बढ़ जाना ये अधिक तर चालीस साल की उम्र से लेकर साठ साल की उम्र के लोग अधिक लोग परेशान रहते है प्रोस्टेट ग्लैंड का काम यूरीन के बहाव (Urine flow) को कंट्रोल करना और प्रजनन के लिए सीमेन (Semen) बनाना है उम्र बढ़ने पर यह ग्रंथि बढ़ने लगती हैं इस ग्रंथि का अपने आप में बढ़ना ही हानिकारक होता हैं इसे बीपीएच (Binign prostate hyperplasia) कहते हैं। www.allayurvedic.org
- पुरुषों के शरीर में होने वाला हारमोन (Hormone) का परिवर्तन एक विशेष कारण हो सकता है प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ जाने से मूत्र उत्सर्जन (Urination) की परेशानी हो जाती है इस ग्रंथि के आकार में वृद्धि हो जाने पर मूत्र नलिका (Urinary tract) अवरुद्ध हो जाती है और यही पेशाब रुकने का कारण बनती है।
➡ प्रोस्टेट ग्रंथि वृद्धि के लक्षण :
- रुक – रुक कर पेशाब होना या रात को कई बार पेशाब के लिए उठना।
- पेशाब करने में कठिनाई का होना।
- महसूस होता है कि तेज पेशाब लगी है लेकिन करने पर बूंद – बूंद कर होती है।
- कुछ लोगों को पेशाब में जलन (dysuria) मालुम होती है।
- मूत्र पर नियंत्रण नहीं होता है पेशाब कर चुकाने के बाद भी मूत्र की बूंदे टपकती है।
- मूत्राशय पूरी तरह खुल कर नहीं आता और शेष मूत्र – मूत्राशय में ही रह जाता है जहाँ रोगाणु के पनपने की संभावना बढ़ जाती है।
- सम्भोग में वीर्य (semen) निकलने पर दर्द होता है। www.allayurvedic.org
➡ प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि में कद्दू का प्रयोग एक वरदान :
- वैसे हमें प्रकृति द्वारा भी एक वरदान मिला है और वो है Pumpkin ( सीताफल ) जिसे हम आम भाषा में कद्दू भी कहते है इसके बीज इस बीमारी में बेहद ही लाभदायक है सीताफल के Raw seeds ( कच्चे बीज ) हर दिन अपने खाने में इस्तेमाल किया जाए , तो काफी हद तक यह प्रोस्टेट की समस्या से बचाव करने में मददगार होता है इन बीजों में ऐसे ‘ प्लांट केमिकल ‘ मौजूद होते हैं जो शरीर में जाकर टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) कोडिहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन (Dihydrostosterone) में बदलने से बचाता है जिससे प्रोस्टेट कोशिकाएं (Prostate cells) नहीं बन पातीं है।
- कच्चे सीताफल के बीज में काफी मात्रा में पोषक तत्व मौजूद होते हैं – जैसे आयरन , फॉस्फोरस , टि्रप्टोफैन , कॉपर , मैग्नेशियम , मैग्नीज , विटामिन के , प्रोटीन , जरूरी फैटी एसिड और फाइटोस्टेरोल – ये बीज जिंक के बेहतरीन स्रोतों में से एक माने जाते हैं – हर दिन 60 मिलीग्राम जिंक का सेवन प्रोस्टेट से जूझ रहे मरीजों में बेहद फायदा पहुंचाता है और उनके स्वास्थ्य में भी सुधार करता है – इन बीजों में बीटा -स्टिोसटेरोल भी होता है जो टेस्टोस्टेरोन को डिहाइड्रोटेस्टेरोन में बदलने नहीं देता – जिससे इस ग्रंथि के बढ़ने की संभावना न के बराबर हो जाती है।
- आप सीताफल के बीज कच्चा या भून कर या फिर दूसरे बीजों के साथ मिलाकर खा सकते हैं आप इसे अपने हर दिन के खाने में शामिल कर सकते है तथा इसे सलाद में मिलाकर भी खाया जा सकता है।
- टमाटर भी प्रोस्टेट ग्रंथि वृद्धि को रोकने के लिए उपयोगी होते हैं – टमाटर ‘ लाइकोपीन ‘ जो एक एंटीऑक्सीडेंट कार्य करता है और प्रोस्टेट ग्रंथि के आकार में वृद्धि को रोकने में मदद करता है में समृद्ध है। www.allayurvedic.org
- एक और प्राक्रतिक उपाय है अदरक इसे भी आप प्रोस्टेट ग्रंथि के सामान्य कामकाज के लिए आहार में शामिल कर सकते है।
- प्रोस्टेट ग्रंथि की सूजन को रोकने के लिए जुनिपर बेरीज के साथ – साथ अपने दैनिक आहार में अजवायन भी शामिल कर सकते है।
- प्रोस्टेट ग्रंथि से पीड़ित मरीज को बारी – बारी ठन्डे और गर्म पानी का स्नान भी लाभदायक है बढे हुए प्रोस्टेट ग्रंथि से पीड़ित को गर्म और ठंडे स्नान में आधे घंटे के लिए हर रोज बैठना चाहिए।
- गाजर का रस भी बढ़े हुए प्रोस्टेट के लक्षण को रोकने में उपयोगी है – आप बराबर मात्रा में गाजर का रस और पालक का रस मिश्रण बढ़े हुए प्रोस्टेट की अपनी समस्या का समाधान कर सकते हैं – यह एक स्वस्थ पेय है और प्रोस्टेट ग्रंथि के सामान्य कामकाज में मदद करता है।
➡ बचाव और क्या करे :
- जो लोग जो प्रोस्टेट ग्रंथि से पीड़ित है तथा बहुत शराब या कैफीन का सेवन करते है उनको इससे बिलकुल ही दूर रहना चाहिए-बहुत पानी पीकर भी सोने से पहले बचे। www.allayurvedic.org
- हलके व्यायाम या सुबह की सैर के लिए फिट और स्वस्थ रहने के लिए मदद करता है-पोस्ट बड़ी हो जाने के कारण हम आपको इसका शेष भाग होम्योपैथी की पोस्ट में प्रकाशित करेगे।