➡ वज्रासन/बज्रासन :
- बड़ा ही सरल और हमारे सेहत के लिए महत्वपूर्ण है , जिसे हमें अपने दिनचर्या में निश्चयरुप से सामिल कर लेनी चाहिए। इसे नित्य अभ्यास करने के लिए विशेषरुप से समय निकालने में अगर किसी भी प्रकार की परेशानिया हो रही हो तो घबड़ाने की आवश्यकता नहीं है , इसे किसी भी समय किसी भी जगह अर्थात् घर के अन्दर या बाहर या बिस्तर पर अभ्यास किया जा सकता है। सबसे बड़ें मजे की बात तो यह है कि इसे खाली पेट या भोजनोपरान्त दोंनो ही समय में अभ्यास करनी चाहिए , सिर्फ थोड़ा सा अंतर हो जाता है- भोजनोपरान्त पेट को ढ़िला और खाली पेट में पेट को टाईट रखना चाहिए। www.allayurvedic.org
➡ कारण :
- इसे भोजनोपरान्त इसलिए पेट को ढ़िला रखा जाता है कि भोजन आराम से हजम हो सके, पेट को आराम मिल सके। लाभ के दिशा में सब समानरुप से है।
- इसे खाली पेट में इसलिए पेट को टाईट अर्थात् कमर , पिठ और गर्दन रखा जाता है कि इन तिनों का ही व्यायाम हो सके , बाकी रहा घुटना और एड़ी तो यह दोनों ही अवस्था में ठिक है- इसमें कुछ परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। www.allayurvedic.org
➡ मुद्रा में प्रवेश करें :
- कुछ जरुर बिछाकर उसके उपर बैठे , आपका मुख् उत्तर या पूरब के ओर रहेगा , पैर को सिधा सामने के तरफ बिछावन के उपर लम्बा पसारे , दाहिने हाथ से दाहिने पैर के अंगुठा पकड़कर कमर के पिछे मोड़ें….श्वास खिचते हुए ही पैर को पिछे ले जाना है और तब श्वास छोड़ना है , ठिक इसी तरह बाया हाथ से बाया पैर के अंगुठा पकड़कर श्वास खिचते हुए कमर के पिछे लें जाकर छोड़ना है और श्वास को भी छोड़ना है , हाथ को घुटने के उपर रखना है , नेत्र को सिधा सामने के तरफ रखना है या बंद भी किया जा सकता है , कमर.. पिठ… और गर्दन 90 डिग्री का कोण बनाना है और श्वास को स्वभाविक रुपसे चलने दे। www.allayurvedic.org
➡ लाभ :
- कमर , घुटना , एड़ी और गर्दन का भली-भॉती व्यायाम होने के कारण ये हिष्ट-पुष्ट होते है , दर्द दुर करता है और दुर्बल स्नायु को भी पूष्ट करता है और हाजमा शक्ति बढ़ाता है। www.allayurvedic.org