आज हम आपको अलसी के बीज खाने से होने वाले फायदे के बारे में बतायेंगे। अलसी के बीज के हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हैं। अगर अलसी के बीज का सेवन किया जाये तो इससे हमारा पाचन तंत्र ठीक रहने के साथ और भी बहुत फायदे हैं। हर उम्र में जवान दिखना चाहते हैं तो रोज करें इसका सेवन। भूरे-काले रंग के यह छोटे छोटे बीज, हृदय रोगों से आपकी रक्षा करते हैं।
इसमें उपस्थित घुलनशील फाइबर्स, प्राकृतिक रूप से आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का काम करता है। इससे हृदय की धमनियों में जमा कोलेस्ट्रॉल घटने लगता है, और रक्त प्रवाह बेहतर होता है, नतीजतन हार्ट अटैक की संभावना नहीं के बराबर होती है।
अलसी में ओमेगा-3 भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो रक्त का थक्का बनने या उसे जमने से रोेकता है। क्याेंकि रक्त का थक्का बनने से रक्त के प्रवाह में बाधा आती है और अटैक की संभवना बनती है ।अलसी इस संभावन काे समाप्त करती है। यहशरीर के अतिरिक्त वसा को भी कम करती है, जिसे आपका वजन कम होने में सहायता मिलती है। यह रक्त में मौजूद कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी सहायक है। आइए जाने इसके फ़ायदों के बारे में…
अलसी सेवन का तरीका
हमें प्रतिदिन 30 – 60 ग्राम अलसी का सेवन करना चाहिये। 30 ग्राम आदर्श मात्रा है। अलसी को रोज मिक्सी के ड्राई ग्राइंडर में पीसकर आटे में मिलाकर रोटी, पराँठा आदि बनाकर खाना चाहिये।
डायबिटीज के रोगी सुबह शाम अलसी की रोटी खायें। कैंसर में बुडविग आहार-विहार की पालना पूरी श्रद्धा और पूर्णता से करना चाहिये। इससे ब्रेड, केक, कुकीज, आइसक्रीम, चटनियाँ, लड्डू आदि स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाये जाते हैं।
अलसी को सूखी कढ़ाई में डालिये, रोस्ट कीजिये (अलसी रोस्ट करते समय चट चट की आवाज करती है) और मिक्सी से पीस लीजिये. इन्हें थोड़े दरदरे पीसिये, एकदम बारीक मत कीजिये. भोजन के बाद सौंफ की तरह इसे खाया जा सकता है।
अलसी के स्वास्थ्य वर्धक फायदे | Health Benefits of Flax Seeds
पाचन तंत्र को सही रखता है : अलसी पाचन तंत्र को सही रखने में बहुत सहायक है क्यूंकि अलसी के बीज फाइबर निहित होते हैं, जो स्वास्थ्य पाचन तंत्र के लिए बहुत आवश्यक हैं।
वजन घटता हैं : अलसी में वसा फाइबर बहुत अधिक मात्र में पाया जाता हैं, जिससे हमे भूख कम लगती हैं और हमारा वजन तेजी से घटता हैं हर उम्र में जवान रहने के लिए वजन कम रहना जरुरी हैं इसलिए हमे नियमित रूप से अलसी का सेवन करना चाहिए।
कोलेस्ट्रोल कम करने में सहायक : अलसी के बीज का नयमित रूप से सेवन करने से ख़राब कोलेस्ट्रोल को कम करने में बहुत मदद मिलती हैं। अलसी में घुलनसील फाइबर पाया जाता हैं जो कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित रखता हैं। अलसी के बीज का सेवन करने से आप हर उम्र में जवान दिखाई देंगे।
गठिया, संधिवात, सूजन, जोड़ों की सूजन : अलसी की पुल्टिस का प्रयोग गले एवं छाती के दर्द, सूजन तथा निमोनिया और पसलियों के दर्द में लगाकर किया जाता है। इसके साथ यह चोट, मोच, गठिया, संधिवात, सूजन, जोड़ों की सूजन, शरीर में कहीं गांठ या फोड़ा उठने पर लगाने से शीघ्र लाभ पहुंचाती है। यह श्वास नलियों और फेफड़ों में जमे कफ को निकाल कर दमा और खांसी में राहत देती है।
मलाशय की शुद्धि और किडनी : इसकी बड़ी मात्रा विरेचक तथा छोटी मात्रा गुर्दो को उत्तेजना प्रदान कर मूत्र निष्कासक है। यह पथरी, मूत्र शर्करा और कष्ट से मूत्र आने पर गुणकारी है। अलसी के तेल का धुआं सूंघने से नाक में जमा कफ निकल आता है और पुराने जुकाम में लाभ होता है। यह धुआं हिस्टीरिया रोग में भी गुण दर्शाता है। अलसी के काढ़े से एनिमा देकर मलाशय की शुद्धि की जाती है। उदर रोगों में इसका तेल पिलाया जाता हैं।
पथरी, सुजाक एवं पेशाब की जलन : अलसी के तेल और चूने के पानी का इमल्सन आग से जलने के घाव पर लगाने से घाव बिगड़ता नहीं और जल्दी भरता है। पथरी, सुजाक एवं पेशाब की जलन में अलसी का फांट पीने से रोग में लाभ मिलता है। अलसी के कोल्हू से दबाकर निकाले गए (कोल्ड प्रोसेस्ड) तेल को फ्रिज में एयर टाइट बोतल में रखें।
स्नायु रोगों, कमर एवं घुटनों के दर्द : स्नायु रोगों, कमर एवं घुटनों के दर्द में यह तेल पंद्रह मि.ली. मात्रा में सुबह-शाम पीने से काफी लाभ मिलेगा। इसी कार्य के लिए इसके बीजों का ताजा चूर्ण भी दस-दस ग्राम की मात्रा में दूध के साथ प्रयोग में लिया जा सकता है। यह नाश्ते के साथ लें।
बवासीर, भगदर, फिशर : बवासीर, भगदर, फिशर आदि रोगों में अलसी का तेल (एरंडी के तेल की तरह) लेने से पेट साफ हो मल चिकना और ढीला निकलता है। इससे इन रोगों की वेदना शांत होती है।
गले व श्वास नली का कफ : अलसी के बीजों का मिक्सी में बनाया गया दरदरा चूर्ण पंद्रह ग्राम, मुलेठी पांच ग्राम, मिश्री बीस ग्राम, आधे नींबू के रस को उबलते हुए तीन सौ ग्राम पानी में डालकर बर्तन को ढक दें। तीन घंटे बाद छानकर पीएं। इससे गले व श्वास नली का कफ पिघल कर जल्दी बाहर निकल जाएगा। मूत्र भी खुलकर आने लगेगा।
डायबिटीज : डायबिटीज के रोगी को कम शर्करा व ज्यादा फाइबर खाने की सलाह दी जाती है। अलसी व गैहूं के मिश्रित आटे में जहां अलसी और गैहूं बराबर मात्रा में हो।