आयुर्वेद : कदम दर कदम
क्या है आयुर्वेद ?
अथर्ववेद की एक सुनी सुनाई शाखा या सड़को पर तम्बुओं में छुपकर इलाज या भाँती भाँती के चूर्णों से पेट भरना या हर्बल के नाम कचरा खाना या फिर च्यवनप्राश त्रिफला के नाम पर कम्पनियो का भरण पोषण या पागलो की दीवानगी जो चमत्कार में यकीन करती है
आज तक नही समझ पाये आयुर्वेद है क्या?
समझेंगे भी कैसे हम उस देश के वासी है जहाँ रोडवेज रेलवे की स्टाल पर 10 रुपये में आयुर्वेद सीखे और डॉक्टर कैसे बने किताबे जो पढ़ते है।
नागपंचमी पर्व पर नागों को ढूंढ ढूंढकर दूध पिलाने, बाकी दिन लठ लेकर पीछे पड़ने और आयुर्वेद के डॉक्टर के पास एक दिन जाने, बाकी दिन गालियां देने में कोई फर्क नही
जो जान गया सो पा गया, अनजान हाथ मलकर बेवफा समझने लगा।
आयुर्वेद अर्थात आयु : वेद का तात्पर्य आयु से समन्धित वेद। अब आयु और उम्र में क्या अंतर है ? उम्र कट जाती है या काटी जाती है जबकि जिया जाय वो आयु है। स्वस्थ सुखी सम्रद्ध जीवन जीने का रहस्य ही आयुर्वेद है। जी तो सब रहे है लेकिन diclo, paracetamol, insulin, ranitidine, omeorazole आदि के वेंटिलेटर पर कइयों ने तो पेट को मेडिकल स्टोर बना लिया, अंदर जो दवाई चाहो मिल जायेगी।
एलोपैथ जहाँ मरना सिखाता है, नींद की गोलियाँ ले लेकर वही आयुर्वेद चाँद की शीतल रौशनी में नींद लेकर जीना।
समुद्र मन्थन से अमृत और धन्वन्तरि से लेकर अश्विनीकुमार, च्यवन, चरक, सुश्रुत, शुक्राचार्य, बृहस्पति स्वयं शिव और संजीवनी वाली रामायण आयुर्वेद से रिश्ता दिखाती है। अत:विश्व की सबसे प्राचीन विधा है आयुर्वेद।
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