जब गौर दुखी असाध्य रोगी हजारों रुपए खर्च करके बड़ी आशा से आयुर्वेद की शरण में आता है परंतु जब आयुर्वेद संहिता ज्ञान से अनजान चिकित्सक अथवा औषधि कंपनी के विज्ञापन के चंगुल में फंस जाता है तो ठगा कर यही कहता है कि आयुर्वेद में दम नहीं है। उक्त धारणा मित्रों परिजनों के माध्यम से फैलती है तो इस दुष्प्रचार का परिणाम आयुर्वेद पद्धति को भोगना ही है, जबकि दोषी कोई और है। इसलिए आयुर्वेद के सुयोग्य चिकित्सकों पर दोहरा दायित्व है- प्रामाणिकता के साथ आयुर्वेदिक चिकित्सा करना और आयुर्वेद चिकित्सा के बारे में फैल रहे भ्रमजाल को दूर करना ताकि भ्रांतियों के भंवर से उबरकर आयुर्वेद पुन: अपना स्थान पा सके।
आयुर्वेद रोग का शमन और शोधन करती है जिसके सिद्धांत पूर्णतः प्रकृति से जुड़े है। जल  मिट्टी हवा अग्नि आकाश सूर्य चन्द्रमा नवग्रह संगीत गन्ध ज्योतिष नाड़ी योग ध्यान आदि को मिलाकर एक अनूठी चिकित्सा प्रणाली बनती है। इन सबका आपस में भी और मानव शरीर से भी गहरा सम्बन्ध है उसे जानना, वात पित्त कफ का विश्लेषण और पंचकर्म, फिर शास्त्रसम्मत विधि से ओषधि निर्माण करना।
रोग के लक्षण, कारण, पथ्य अपथ्य और अंत में ओषधि देना।
यह है आयुर्वेद!!
विश्वास कीजिये,
श्वास मिलेगा!!
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