चिरौंजी के छोटे-छोटे बीज पोषक तत्वों से भरे होते हैं। इसका पेड़ भारत का मूल निवासी है और देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में बहुतायत में पाया जाता है। इस पर गोल और काले कत्थई रंग का एक फल लगता है। यह फल पकने पर मीठा और स्वादिष्ट होता है और उसके अन्दर से बीज प्राप्त होता है। बीज या गुठली का बाहरी आवरण मजबूत होता है। इसे तोड़कर उसकी मींगी निकलते है। यह मींगी ही Chironji चिरौंजी कहलाती है और एक सूखे मेवे dry fruit की तरह इस्तेमाल की जाती है। चिरौंजी के अतिरिक्त, इस पेड़ की जड़ों roots, फल fruits, पत्तियां leaves और गोंद gum का भारत में विभिन्न औषधीय प्रयोजनों medicinal uses के लिए उपयोग किया जाता है। चिरौंजी का उपयोग कई भारतीय मिठाई बनाने में एक सामग्री की तरह इस्तेमाल किया जाता है।
➡ विभिन्न नाम :
- आयुर्वेदिक- प्रियाल, खरस्कंध, चार, राजादन, ताप्सेष्ट, सन्नकदृ,
- बंगाली-चिरौंजी, पियाल
- गुजराती-चारोली
- हिन्दी-पियाल, चिरौंजी, चारोली
- मराठी-चारोली
- तेलुगू- सारुपपू
- उर्दू-चिरौंजी, हब्बुस्स्माना (अरेबिक)
- लैटिन- बुचानिया लेट्रीफ़ोलिया
➡ चिरौंजी मेवे के फायदे :
- चिरौंजी बीज, कैलोरी में अपेक्षाकृत कम होते हैं। यह प्रोटीन और वसा का एक अच्छा स्रोत हैं। इनमे फाइबर की भी अच्छी मात्रा होती हैं।इसके अतिरिक्त इसके विटामिंस जैसे की, विटामिन सी , विटामिन बी 1, विटामिन बी 2 और नियासिन आदि भी होते है। खनिज जैसे की, कैल्शियम, फास्फोरस और लोहे भी इन बीजों में उच्च मात्रा में पाए जाते हैं।
- चिरौंजी (मेवे के रूप में), एक टॉनिक है। यह मदुर, वात और पित्त को कम करने वाली, दिल के लिए अच्छी, विष को नष्ट करने वाली और आम्वर्धक है।
➡ इसका औषधीय प्रयोग :
- सांस की समस्याओं respiratory ailments के उपचार में भी किया जाता है। यह श्लेष्मा phlegm/mucous को ढीला करने में भी मदद करता है और नाक और छाती की जकडन में राहत देता है। यह एंटीऑक्सिडेंट antioxidant है। चिरौंजी की बर्फी खाने से शरीर में बल की वृध्धि होती है और दुर्बलता जाती है ।
- चिरौंजी पित्त, कफ तथा रक्त विकार नाशक है ।
- चिरौंजी भारी, चिकनी, दस्तावर, जलन, बुखार और अधिक प्यास को दूर करती है ।
- चिरौंजी को खाने से शरीर में गरमी कम होती और ठंडक मिलती है। It is cooling in nature. इसके १०-२० ग्राम दाने चबाने से शीत-पित्त या छपाकी में राहत मिलती है।
➡ चिरौंजी का रासायनिक विश्लेषण :
- चिरौंजी में 3।0% नमी, लिपिड / वसा (59।0%), प्रोटीन (19।0-21।6%), स्टार्च / कार्बोहाइड्रेट (12।1%), और फाइबर (3।8%) होता है। इसमें खनिज जैसे की कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा और विटामिन जैसे थायामिन , एस्कॉर्बिक एसिड / विटामिन सी, राइबोफ्लेविन, नियासिन आदि होते है।
➡ चिरौंजी का तेल :
- चिरौंजी बीज, में करीब 50% से अधिक तेल होते हैं, जो की चिरौंजी का तेल नाम से जाना जाता है और उसका प्रयोग कॉस्मेटिक और चिकित्सीय उद्देश्य से किया जाता है।
- चिरौंजी का तेल प्रजनन प्रणाली से संबंधित समस्याओं के इलाज के लिए एक कारगर उपाय है।
- चिरौंजी का तेल दर्द, खुजली, प्रिकली हीट, तथा अन्य त्वचा समस्याओं में भी फायदेमंद है। इसे आमवाती सूजन और जोड़ों के दर्द में दर्द वाले हिस्सों पर लगाया जाता है।
- इस तेल को गर्दन की ग्रंथियों की सूजन को कम करने में बाहरी रूप से लगाया जाता है।
- चिरौंजी का तेल गंजे पन में सिर पर मलते है।
➡ चिरौंजी के घरेलू उपचार :
- त्वचा की चमक, दाग धब्बे हटाने के लिए।
- फेस पैक : यह फेस पैक चेहरे की त्वचा को नर्म, चिकनी, और सुन्दर बनता है। इसे बनाने के लिए चिरोंजी को सिल पर कुछ गुलाब जल डाल कर पेस्ट बना लें। इसे चेहरे पर तब तक लगाएं जब तक वो सूख जाए और पानी से धो लें। एक सप्ताह तक दैनिक इस पैक को लगाएं।
- चिरोंजी और नारंगी के छिलके का फेस पैक : इसे बनाने के लिए चिरोंजी और नारंगी के छिलके दूध के साथ पीस लें। इसे चेहरे पर तब तक लगाएं जब तक वो सूख जाए और पानी से धो लें। एक सप्ताह तक दैनिक इस पैक को लगाएं।
- गीली खुजली या खाज : गीली खुजली में चमड़ी में बहुत अधिक खुजली होती है और खुज्लाए बिना नहीं रहा जाता। खुजलाने से चमड़ी से पानी-सा निकल आता है। इसके लिए, १०० ग्राम चिरौंजी को बारीक पीस लें। इसमें १५ ग्राम कच्चा सुहागा मिलाएं और पीस कर एक साथ मिला लें। इस को गुलाब जल डाल साफ़ खरल में रगड़ लें और खुजली वाले स्थान पर दिन में चार बार नियम से लगायें।
- शीतपित्त/छपाकी Urticaria : शीतपित्त या छपाकी में शरीर पर लाल-लाल चखत्ते उभर आते हैं। इससे सारे शारीर में जलन, और खुजली हो जाती है। ज्यादातर यह समस्या मौसम बदलने, पानी में अधिक देर तक रहने/ तैरने आदि से होती है। इससे राहत पाने के लिए चिरोंजी को २० ग्राम ले कर धीरे-धीरे और बहुत अच्छी तरह चबाना चाहिए। इससे शरीर में खुजली और जलन में राहत मिलती है।