- चंद्रप्रभा वटी, को 37 पदार्थों के योग से बनाया गया है। यह एक बहुत ही लोकप्रिय और प्रभावी दवा है जो की बहुत से रोगों में दी जाती है। ‘चंद्र’ का मतलब है चंद्रमा और ‘प्रभा’ का मतलब है चमक। तो इसका शाब्दिक अर्थ है वो दवा या टेबलेट जो शरीर में चमक लाए। ये दवा कई नामी आयुर्वेदिक कंपनियों द्वारा निर्मित की जाती है।
- चंद्रप्रभा वटी को मधुमेह और मूत्र रोगों में प्रयोग किया जाता है। यह मूत्रेंद्रिय और वीर्य-विकारों की सुप्रसिद्ध औषधी है। इसका उपयोग शरीर में चमक लाता है और बल, ताकत और शक्ति बढती है।
➡ Benefits of Chandraprabha Vati :
- चंद्रप्रभा वटी सूजाक के कारण होने वाली दिक्कतों को नष्ट करती है। पुराने सूजाक में इसका उपयोग होता है। सूजाक के कारण होने वाले फोड़े, फुंसी, खुजली आदि में इस दवा को चन्दनासव या सारिवाद्यासव के साथ दिया जाता है। यह दवा शरीर से विष को निकालती है और धातुओं का शोधन करती है।
- किसी कारण से जब शुक्रवाहिनी और वातवाहिनी नाड़ियाँ कमज़ोर हो जाती हैं तब इस स्थिति में वीर्य अपने आप ही निकल जाता है जैसे की स्वप्नदोष nocturnal discharge/night fall, पेशाब के साथ वीर्य जाना discharge of semen with urine , premature ejaculation. ऐसे में इस दवा को गिलोय के काढ़े giloy decoction के साथ दिया जाना चाहिए। यह दवा पुरुष जननेंद्रिय विकारों male reproductive system related diseases में अच्छा प्रभाव दिखाती है। www.allayurvedic.org
- इस का प्रयोग स्त्री रोगों gynecological problems में भी होता है। यह गर्भाशय uterus को शक्ति देती है और उसकी वकृति को दूर करती है। सुजाक, उपदंश आदि में यह प्रभावी है। स्त्रियों में होने वाले अन्य समस्यों जैसे की पूरे शरीर में दर्द full body pain, मासिक में दर्द painful menstruation, १०-१२ दिनों का मासिक धर्म periods for 10-12 days आदि में यह दवा अशोक घृत के साथ दी जाती है।
- मूत्र रोगों में जैसे की बहुमूत्र, मूत्रकृच्छ, मूत्राघात urine retention, मूत्राशय में किसी तरह की विकृति, पेशाब में जलन burning sensation while urination, पेशाब का लाल रंग, पेशाब में दुर्गन्ध, पेशाबी में चीनी sugar in urine, श्वेत प्रदर, किडनी की पथरी kidney stones , पेशाब में एल्ब्यूमिन, रुक रुक के पेशाब आना, मूत्राशय की सूजन inflammation of urinary bladder, आदि में ये बहुत ही अच्छा प्रभाव दिखाती है।
- जब मूत्र कम मात्रा में बने और मूत्राघात हो तो इसका प्रयोग पुनर्नवासव या लोध्रासव के साथ किया जाता है।
- वात के अधिक होने पर कब्ज़ और मन्दाग्नि हो जाती है जो ज्यादा दिन रहने पर भूख न लगना, अपच, ज्यादा प्यास, कमजोरी आदि दिक्कतें पैदा करती हैं। इसमें में भी इस दवा का प्रयोग अच्छा असर दिखाता है।
- यह दवा बलवर्धक, पोषक, कांतिवर्धक, और मूत्रल है।
- नीचे इस दवा के घटक, गुण, सेवनविधि, और मात्रा के बारे में जानकारी दी गयी है। www.allayurvedic.org
➡ चिकित्सीय उपयोग :
- विबंध (Constipation), शूल (Colicky Pain)
- अरुचि (Tastelessness), मन्दाग्नि (Impaired digestive fire)
- ग्रंथि (Cyst), पांडू (Anemia), कमाला (Jaundice), प्लीहोदर (Disorder of Spleen, Ascites associated with splenomegaly)
- अर्बुद (Tumor), कटी शूल (Lower backache)
- कुष्ठ (Diseases of skin), कंडू (Itching)
- आंत्र वृद्धि (Hernia), अंड वृद्धि (prostate)
- दांत रोग (Dental disease), नेत्र रोग (Eye disorder)
- मूत्र रोग, अनाह (Distension of abdomen due to obstruction to passage of urine and stools), मुत्रक्रिछा (Dysuria), प्रमेह (Urinary disorders), अश्मरी (Calculus), मूत्रघात (Urinary obstruction)
- अर्श (Haemorrhoids), भगंदर (Fistula-in-ano),
- स्त्रीरोग (Gynaecological disorders), आर्तव रज (Dysmenorrhoea)
- वीर्य सम्बन्धी दोष, शुक्र दोष (Vitiation of semen), दुर्बल्य (Weakness)
- Natural safe effective diuretic मूत्रल
➡ घटक Complete list of ingredients :
1. Candraprabha (Karpura)
Sublimated Extract 3 g
2. Vaca Rhizome 3 g
3. Musta Rhizome 3 g
4. Bhunimba (Kiratatikta)
Plant 3 g
5. Amrita (Guduci) Stem 3 g
6. Daruka (Devadaru) Heart Wood 3 g
7. Haridra Rhizome 3 g
8. Ativisha Root 3 g
9. Darvi (Daruharidra) Stem 3 g
10. Pippalimula (Pippali)
Root 3 g
11. Citraka Root 3 g
12. Dhanyaka Fruit 3 g
13. Haritaki Pericarp 3 g
14. Bibhitaka Pericarp 3 g
15. Amalaki Pericarp 3 g
16. Cavya Stem 3 g
17. Vidang Fruit 3 g
18. Gajapippali Fruit 3 g
19. Sunthi Rhizome 3 g
20. Marica Fruit 3 g
21. Pippali Fruit 3 g
22. Makshika dhatu bhasma (Makshika)
Mineral 3 g
23. Yava kshara (Yava) Plant (Whole) 3 g
24. Sarji Kshara Svarjikshara Alkalli preparation
3 g
25. Saindhava lavan Salt 3 g
26. Sauvarcala lavan Salt 3 g
27. Vida lavan Salt 3 g
28. Trivrit Root 12 g
29. Danti Root 12 g
30. Patraka (Tejapatra) Leaf 12 g
31. Tvak Stem bark 12 g
32. Ela (Sukshmaila) Seed 12 g
33. Vanshlochan Silicacious Concretion
12 g
34. loha (Lauha) bhasma
24 g
35. Sita 48 g
36. Shilajeet 96 g
37. Guggulu (Exd.) 96 g
➡ सेवन विधि और मात्रा How to take and dosage :
- 1-2 tablets/250mg to 500mg, पानी/दूध/गिलोय काढ़ा/दारुहल्दी रस/बेल की पत्ती का रस/ गोखरू काढ़ा या केवल शहद के साथ लें।
- Where to buy : आप इस दवा को सभी फार्मेसी दुकानों पर या ऑनलाइन खरीद सकते हैं।
- Chandraprabha Vati is manufactured by Dabur, Shree Baidyanath Ayurved Bhawan, Patanjali Divya Pharmacy, Shree Dhootapapeshwar Limited, Shri Bajranga Ayurved Bhawan and some other pharmacies।