लालमिर्च का पौधा 60 से 90 सेमी ऊंचा होता है इसके पत्ते लंबे होते हैं। इसके फूल सफेद व पत्तियों का रंग हरा होता है। फल अगर कच्चा है तो हरा और पक जाने पर हल्का पीला व लाल होता है। एक मिर्च में बहुत से बीज होते हैं जोकि बिल्कुल बैंगन के बीजों की तरह होते हैं। लालमिर्च का स्वाद तीखा होता है यह काफी मशहूर है। कच्चे एवं पके मिर्च का आचार बनाया जाता है और इसका उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है। लालमिर्च गर्म, खुश्क, जलनशील तथा जहरनाशक होती है। यह पेट के रोग, घाव, अरुचि (भूख न लगना), स्वरभंग (गला बैठना), अपच, पेशाब में धातु का आना आदि रोगों को भी लाभकारी है। यह खाने में तीखा तथा तेज होती है तथा लार ग्रंथि को बढ़ाती है और आमाशय के अन्दर गरमी पैदा करती है।अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से यह हृदय और रक्तवाहिनियों को उत्तेजित करती है तथा पेशाब की मात्रा को बढ़ाती है।
लाल मिर्च के फायदे :
1. शराबियों का नशा और भ्रम : 1 ग्राम मिर्च का चूर्ण 20 मिलीलीटर गुनगुने पानी में मिलाकर दिन में 2 से 3 बार देने से शराब का नशा उतरकर भ्रम दूर हो जाता है। इस प्रयोग से सिन्नपात में भी आराम मिलता है।
2. आमवात : मिर्ची के तेल की मालिश आमवात में भी लाभदायक है।
3. गले के रोग : 1 लीटर पानी में 10 ग्राम पिसी हुई मिर्च डालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़ा से कुल्ला करने से मुंह के छाले मिटते हैं और गले के घाव ठीक हो जाते हैं।
4. आंखों का दर्द : लाल मिर्च को पीसकर उसका गाढ़ा लेप बना लें और उस लेप को पैर के अंगूठे के नाखून पर लेप करें। अगर दोनों आंखों में दर्द हो रहा हो तो दोनों पैर के अंगूठे पर लेप करें। इससे आंखों का दर्द दूर हो जाता है।
5. सांप के काटने की पहचान : सांप के काटने पर लालमिर्च खाने से मिर्च कड़वी नहीं लगती है इससे सांप काटने की पहचान की जा सकती है।
6. बिच्छू काटने पर : लाल मिर्च पीसकर लगाने से बिच्छू के डंक के जलन में राहत मिल जाती है।
7. खटमल : लाल सूखी मिर्चों को पानी में उबालें, फिर इस पानी को उस जगह पर छिड़क दें जहां पर खटमल हो इससे वहां खटमल दोबारा नहीं आते हैं।
8. बुखार : बुखार में अगर बच्चे को हवा लगकर पैर में लकवे की आशंका हो तो मिर्च के बारीक पाउडर में तेल मिलाकर मालिश करने से फायदा मिलता है।
9. मलेरिया का बुखार : 3 पीस लालमिर्च को डंठल सहित पानी में पीसकर बायें हाथ की अनामिका में लपेटकर, मलमल के कपड़े से बांध लें और कपड़े पर पानी डालते रहें ताकि वह गीला रहें। इस विधि को बुखार आने से कम से कम 2 घंटे पहले करें। इससे मलेरिया का बुखार नहीं आता है।
10. दांतों का दर्द : लालमिर्च को बारीक पीसकर पानी में घोलकर छान लें। उस पानी को हल्का गर्मकर 2 से 4 बूंद कान में डालें। याद रहे दर्द बांई ओर के दांत में होने पर दांई ओर के कान में और दांयी ओर के दांत में होने पर बांयी ओर के कान में डालें।
11. मुंह के छाले : लालमिर्च को पानी में घोलकर या काढ़ा बनाकर पीने से मुंह के छाले व घाव जल्द ठीक होते हैं।
किन बातो का ख्याल रखे :
- पित्त प्रकृति वाले व्यक्तियों के लिए लाल मिर्च को ज्यादा खाना हानिकारक है। यह मूत्राशय, आमाशय और फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है।